शक्तिपीठ मां कामाख्या मंदिर का अंबुवाची मेला

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मां कामाख्या मंदिर, गोहाटी में जुटे देशभर के संत महंत, तांत्रिक और विद्वान
गोहाटी आसाम में स्थापित मां कामाख्या मंदिर, भारत के सबसे लोकप्रिय मंदिरों में शुमार है। कामाख्या देवी मां दुर्गा के रूप में मानी जाती हैं। मान्यता है कि यहां पर माता सती की योनि गिरी थी, इसलिए इस जगह को 51 शक्तिपीठों में सबसे प्रमुख स्थलों में गिना जाता है।
हरिद्वार के श्री तपोनिधि पंचायती अखाड़ा निरंजनी के स्वामी आलोक गिरी महाराज ने कहा कि गोहाटी, आसाम में घने जंगलों में विराजमान शक्तिपीठ मां कामाख्या मंदिर का अंबुवाची मेला का अंबुवाची मेला 22 जून से शुरू हो रहा है। तीन दिवसीय मेला 25 जून तक चलेगा। इस दौरान मंदिर श्रद्धालुओं के लिए बंद रहेगा। 25 जून से श्रद्धालु मंदिर में प्रवेश कर दर्शन कर सकेंगे।

उन्होंने कहा कि इस बार अंबुवाची मेला गुप्त (आषाढ़) नवरात्रि में आयोजित किया जा रहा है। ऐसा दुर्लभ संयोग वर्षों के बाद बना है जो भक्तों के लिए परम कल्याणकारी होगा। हरिद्वार श्री बालाजी धाम सिद्ध हनुमान नर्मदेश्वर महादेव मंदिर, जगजीतपुर के प्रबंधक महंत आलोक गिरी महाराज अपनी मंडली के साथियों के साथ हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी अंबुबाची मेला में दर्शन के लिए पहुंचे हैं। अंबुबाची मेला का महत्व बताते हुए स्वामी आलोक गिरी महाराज ने बताया कि मां कामाख्या मंदिर में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले अम्बुबाची मेले का विशेष महत्व है। अंबुबाची मेला को अमेती या तांत्रिक प्रजनन उत्सव के रूप में भी जाना जाता है। मां की पूजा करने के लिए देश भर के तांत्रिक भारी संख्या में यहां इकट्ठा होते हैं। अंबुबाची का अर्थ है पानी से बोली जाने वाली। इस शब्द का अर्थ ये भी है कि मानसून के महीनों में बारिश पृथ्वी को उपजाऊ करने के लिए तैयार करती है। अम्बुबाची मेला में मां कामाख्या के वार्षिक मासिक धर्म चक्र का जश्न मनाया जाता है। स्वामी आलोक गिरी महाराज ने कहा कि अंबुबाची मेले के दौरान कामाख्या मंदिर तीन दिनों के लिए बंद रहता है। इन तीन दिनों के दौरान, भक्तों के लिए कुछ प्रतिबंध रहते हैं, जिसमें कोई भी भक्त पवित्र ग्रंथ नहीं पढ़ेगा, पूजा नहीं करेगा, खाना नहीं बनाएगा जैसी चीजें शामिल हैं। इस तरह की चीजें वैसी ही हैं, जैसी मासिक धर्म के दौरान महिलाओं द्वारा देखी जाती हैं। उन्होंने कहा कि तीन दिनों के बाद, मंदिर के दरवाजे फिर से खुल जाते हैं, और भक्तों को मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति दी जाती है। भक्त फिर देवी का आशीर्वाद लेने के लिए मंदिर जाते हैं। स्वामी आलोक गिरी महाराज ने कहा कि इस वर्ष गुप्त (आषाढ़) नवरात्रि में अंबुवाची मेला का दुर्लभ संयोग बना है। इसीलिए मेला का महत्व कई गुणा बढ़ गया है। देशभर से श्रद्धालु, साधु-संत और तांत्रिक मंदिर पहुंच रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस वर्ष अंबुबाची मेला 22 जून बुधवार से 26 जून रविवार तक चलेगा। मंदिर के दरवाजे 22 जून को बंद कर दिए जाएंगे और 25 जून की सुबह को खोल दिए जाएंगे। 25 जून को देवी की पूजा स्नान के बाद ही कपाट खुलेंगे। इसके बाद भक्तों में प्रसाद बांटा जाएगा।
हिंदू धर्म शास्त्रों में कुल चार नवरात्रि का वर्णन है। चैत्र और शारदीय नवरात्रि के अलावा दो गुप्त नवरात्रि भी होती हैं। एक गुप्त नवरात्रि माघ और दूसरी आषाढ़ के महीने में पड़ती है। आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की शुरुआत 19 जून से हो रही है, जो कि 28 जून को समाप्त होगी और उनके बीच प्रसाद वितरित किया जाता है। स्वामी आलोक गिरी महाराज ने कहा धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की पूजा-अर्चना की जाती है। तंत्र मंत्र सीखने वाले साधकों के लिए गुप्त नवरात्रि खास होती है। गुप्त नवरात्रि की पूजा के लिए कलश की स्थापना का शुभ मुहूर्त 19 जून 2023 सोमवार को प्रात: काल 05 बजकर 23 मिनट से 07 बजकर 27 मिनट तक है। इसके अलावा इस दिन अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजकर 55 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 50 मिनट बजे तक है। इस मुहूर्त में भी कलश स्थापना की जा सकती है।
फोटो: साभार

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