सन 2009 से निरंतर जारी है “वृक्षाबंधन अभियान”

0

जब कभी भी पेड़ों का छपान होता है मेरे मन मे अजीब सी पीड़ा उठती है। मन मस्तिष्क से एक ही सोच निकलती है कि हम मात्र कुछ माह “माँ” के गर्भ मे रहकर व कुछ वर्ष सानिध्य मे पलकर जब जीवन भर “माँ” के ऋणी हो जाते हैँ तो फिर हमारे फेफड़ों मे प्रत्येक पल सांस (ऑक्सीजन) पहुंचा रहे वृक्षों के प्रति हम क्यों कृत्यघ्न हो जाते हैँ? हम मानव कैंसे इतने निर्दयी होकर पेड़ों को बडी निर्दयता से काटते रहते हैँ। परन्तु तब एक प्रण भीतर ही भीतर जन्मता है कि दुष्ट विधवंस करेंगे परन्तु हम रचना धर्मी बनेंगे। वह काटेंगे और हम उगाएंगे। सन 2009 से निरंतर जारी “वृक्षाबंधन अभियान” को इसी सोच से बढ़ाता आ रहा हूँ। ईच्छा तो यह रहती है कि वह यदि एक वृक्ष काटेंगे तो हम उसके बदले दस वृक्ष रोपेंगे। परन्तु हमें अपनी हैसियत का भली भांति भान है। हम सरकार, कॉरर्पोरेट, कम्पनियों, भूपतियों समान अपार साधन संसाधनों से लैस नहीं हैँ। हम अपना योगदान गिलहरी समान ही कर सकते हैँ.. और वह हम दृढता पूर्वक करते आ रहे हैँ। आज इसी कडी मे नागराज देवता ग्राम क्षेत्र के आस पास व भद्रराज क्षेत्र के करीब फलदार व छांवदार वृक्ष रोपे हैँ। बिटिया अर्चना, भोपाल चौधरी जी, सुरेन्द्र रावत जी, मुरार कण्डारी जी, नितिन जी, चौहान जी के सहयोग से दर्जनों वृक्षारोपण आज हमने पूर्ण किये हैँ। महाप्रभु चाहेंगे तो हम एक ना एक दिन अपनी कार्यशैली व सोच मे जन जन को सम्मिलित कर ही लेंगे। हरे कृष्ण! – आपका मुकुंद कृष्ण दास (“सैनिक शिरोमणि” मनोज ध्यानी)

About Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Share