“उत्तराखंड स्व-वित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क विनियमन) अधिनियम2025* को तत्काल लागू किए जाने की राज्यपाल से मांग

देहरादून। उत्तराखंड में प्राइवेट स्कूलों द्वारा मनमानी फीस वृद्धि आदि निरंकुश कार्यप्रणाली पर रोक लगाने हेतु “उत्तराखंड स्व-वित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क विनियमन) अधिनियम2025*को तत्काल लागू किए जाने की राज्यपाल से मांग।संयुक्त नागरिक संगठन द्वारा प्रस्तावित अधिनियम का प्रारूप भेजते हुए मांग की गई है कि राज्य के जनपदों में जिला मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में अधिकार संपन्न ‘जिला शुल्क नियामक समिति’(डिस्ट्रिक्ट फीस रेगुलेटरी कमेटी) का गठन किया जाए जिसके अनुमोदन के बगैर स्कूलों को फीस, ड्रेस या यूनिफॉर्म में किसी भी तरह का बदलाव करने पर रोक लगाई जाय।प्राविधान भी शामिल किया जाय।सुझाव में कहा गया है की स्कूल-पब्लिशर्स व रिटेलर्स से संबंधित सभी गतिविधियां को नियंत्रित करने के साथ प्राइवेट स्कूलों में प्रवेश शुल्क में तीन वर्षों में अधिकतम 10% प्रतिशत वृद्धि सुनिश्चित करने सहित प्रत्येक कक्षा की फीस निर्धारित करते हुए इसमें एकरूपता सुनिश्चित कीजाय!संगठन सचिव का सुझाव है की ICSE बोर्ड से संबंध स्कूलों में भी प्रदेश के भीतर NCERT की पुस्तकें अनिवार्य की जाएं।इनकी मांग है की राज्य में प्राइवेट पब्लिशर्स की पुस्तकें पूरी तरह प्रतिबंधित की जाएं। यदि ये लगाई भी जाती हैं तो सरकार राज्य के भीतर इनके पृष्ठों और प्रिंटिंग क्वालिटी के अनुसार इनका अधिकतम विक्रय मूल्य निर्धारित/नियंत्रित होना जरूरी है। अन्य सुझावों में स्कूल के संचालन के लिए मान्यता/एनओसी संबंधी प्रावधानों को कठोर बनाने के साथ ही इनका अनुपालन सुनिश्चित कराने के लिए डीएम और मुख्य शिक्षाधिकारी को व्यापक अधिकार दिए जाने की भी मांग की गई है।।संगठन के अनुसार स्कूलों में सुविधाओं में बढ़ोतरी,अवसंरचना विस्तार,नवीन शाखा की स्थापना, शैक्षिक प्रयोजनों के विकास आदि के साथ ही सभी तरह के शुल्क संग्रह की प्रक्रिया खुली,पारदर्शी व उत्तरदाई बनाने इसकी रसीद अभिभावक को हर हाल में उपलब्ध कराने,मासिक ट्यूशन फीस में ही परिवहन, बोर्डिंग, मेस या डाइनिंग (उपयोगानुसार), शैक्षिक दौरे या अन्य समान क्रियाकलाप का शुल्क शामिल किए जाने का प्रस्ताव भी भेजा है वसंगठन सचिव सुशील त्यागी के अनुसार स्कूल छोड़ते समय बच्चे के अभिभावक को एडमिशन के वक्त जमा कराई गई सिक्योरिटी की पूरी राशि और टीoसीo जारी करने की बाध्यता किए जाने, टीoसीo के लिए किसी भी तरह का अतिरिक्त शुल्क/भुगतान लेने पर रोक लगाने,टीoसीo बच्चे को निःशुल्क उपलब्ध कराने का प्राविधान लागू किए जाने का आग्रह भी किया गया है। मांगपत्र के अंत में प्राविधानों/नियामक समिति के आदेशों/अभिवावकों की शिकायतो की जांच में पाए गए दोषी प्राइवेट स्कूलों के विरुद्ध 5 लाख रुपए आर्थिक दंड लगाने/स्कूलों को जारी एनoओoसीo को निरस्त करने/स्कूलों को सीज कराने के प्राविधान भी प्रस्तावित एक्ट में शामिल करने की मांग को भी प्रस्तावित किया गया है।