हिमस्खलन, जीएलओएफ और भूस्खलन पर एक दिवसीय विचार-मंथन कार्यशाला का आयोजन किया

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हरिद्वार। सीएसआईआर-सीबीआरआई, रुड़की ने 27 नवंबर 2024 को भारतीय परिआवास केंद्र, नई दिल्ली में “हिमस्खलन, जीएलओएफ और भूस्खलन पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के लिए एक राष्ट्रीय योजना विकसित करने की दिशा में” विषय पर एक दिवसीय विचार-मंथन कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला का उद्देश्य भारतीय हिमालय में हिमस्खलन, जीएलओएफ और भूस्खलन के उभरते मुद्दों का मूल्यांकन और चर्चा करना है।

कार्यशाला का उद्देश्य सीएसआईआर-सीबीआरआई के प्रस्ताव और पहल को संबोधित करना है ताकि अनुसंधान और विकास, क्षमता निर्माण, पर्वतीय खतरों पर विशेष संगठनों और संस्थानों और ऐसे उभरते मुद्दों को संबोधित करने के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए बढ़े हुए वित्त पोषण की आवश्यकता पर ध्यान आकर्षित किया जा सके।

इस विचार-मंथन कार्यशाला का उद्घाटन मुख्य अतिथि डॉ. एम. रविचंद्रन (सचिव, एमओईएस, भारत सरकार), विशिष्ट अतिथि डॉ. आर.के. भंडारी (पूर्व निदेशक, सीएसआईआर-सीबीआरआई, रुड़की), प्रो. आर. प्रदीप कुमार (निदेशक, सीएसआईआर-सीबीआरआई, रुड़की), आर. एस.के. नेगी (अध्यक्ष, आयोजन समिति) और डॉ. डी.पी. कानूनगो (सह-अध्यक्ष, आयोजन समिति)।
प्रो. आर. प्रदीप कुमार (निदेशक, सीएसआईआर-सीबीआरआई, रुड़की) ने अपने उद्घाटन भाषण के दौरान देश में जलवायु परिवर्तन प्रेरित पर्वतीय खतरों के लिए राष्ट्रीय योजना तैयार करने के महत्व और आवश्यकता पर बल दिया। यदि ऐसी योजनाएं अभी नहीं बनाई गईं, तो भविष्य में आपदा प्रेरित जीडीपी हानि 2047 तक 8% से बढ़कर 15% तक पहुंच सकती है। आज के कार्यक्रम के सह-आयोजक और मुख्य वैज्ञानिक डॉ. डी.पी. कानूनगो ने पर्वतीय खतरों की निगरानी और मॉडलिंग के लिए इनएसएआर तकनीक के संभावित अनुप्रयोग पर जोर दिया।
विशिष्ट अतिथि डॉ. आर. के. भंडारी (पूर्व निदेशक सीएसआईआर-सीबीआरआई) ने मुख्य रूप से प्रभावी आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए बहु-खतरा आकलन और डोमिनोज़ प्रभाव आधारित तरीकों पर ध्यान केंद्रित किया है। उन्होंने जलवायु परिवर्तन परिदृश्य के तहत डेटा-सूचित निर्णय लेने के लिए बिग डेटा, एआई और एमएल की क्षमता पर भी चर्चा की है।

डॉ. एम. रविचंद्रन, मुख्य अतिथि (सचिव, एमओईएस, भारत सरकार) ने विशेष रूप से ऐसे पर्वतीय खतरों की बेहतर समझ और भविष्यवाणी के लिए स्पेस-टाइम दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि चल रही जलवायु परिवर्तन की घटना में इन उच्च पर्वतीय खतरों की आवृत्ति और परिमाण को बढ़ाने की क्षमता है। वह ऐसे खतरों से निपटने के लिए समग्र दृष्टिकोण पर विचार करने और प्रभावी आपदा नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों के साथ सहयोग स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। उन्होंने बेहतर जोखिम प्रबंधन के लिए सभा को निम्नलिखित की सिफारिश की उद्घाटन सत्र के बाद धन्यवाद ज्ञापन मुख्य वैज्ञानिक एवं आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ. राजेश कुमार दाश ने किया। कार्यशाला में लगातार 4 तकनीकी सत्र हुए, जिसमें मॉनिटर एंड मेजर, क्वांटिफाई एंड फोरकास्ट, मिटिगेट एंड प्रिपेयर और इस क्षेत्र में काम कर रहे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों के साथ राष्ट्रीय योजना विकसित करने की दिशा में एक पैनल चर्चा शामिल थी। अंतिम सत्र के बाद पैनल चर्चा का संचालन प्रो. आर. प्रदीप कुमार ने किया। इस विचार-मंथन कार्यशाला में देश भर के विभिन्न संगठनों/संस्थाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले 80 से अधिक प्रतिनिधि और विशेषज्ञ और सीएसआईआर-सीबीआरआई, रुड़की के वैज्ञानिक, तकनीकी और प्रशासनिक कर्मचारी मौजूद थे।

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