बिनसर महादेव मंदिर एक लोकप्रिय हिंदू मंदिर है । यह मंदिर रानीखेत से लगभग 20 किमी की दूरी पर स्थित है । कुंज नदी के सुरम्य तट पर करीब 5500 फीट की ऊंचाई पर बिनसर महादेव का भव्य मंदिर है | समुद्र स्तर या सतह से 2480 मीटर की ऊंचाई पर बना यह मंदिर हरे-भरे देवदार,चीड़,बाँज और काफल के जंगलों से घिरा हुआ है । भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर का निर्माण 10 वीं सदी में किया गया था। इस मंदिर की वास्तुकला बहुत ही शानदार है ।
बिनसर महादेव मंदिर क्षेत्र के लोगों का अपार श्रद्धा का केंद्र है। यह भगवान शिव और माता पार्वती की पावन स्थली मानी जाती है। प्राकृतिक रूप से भी यह स्थान बेहद खूबसूरत है । हर साल हजारों की संख्या में मंदिर के दर्शन के लिए श्रद्धालु आते हैं ।
बिनसर महादेव मंदिर का भव्य व सुंदर मंदिर निर्माण व प्रतिवर्ष विशाल भंडारे का सफल आयोजन भी बाबा मोहनगिरी महाराज के द्वारा किया जाता था।
वर्तमान में बाबा रामगिरि और बाबा गोवेर्धन गिरी महाराज इस पुण्यकर्म को आगे बढ़ा रहे हैं।
मंदिर का इतिहास:-
जनश्रुति के अनुसार पूर्व में निकटवर्ती सौनी गांव में मनिहार लोग रहते थे। उनमें से एक की दुधारु गाय रोजाना बिनसर क्षेत्र में घास चरने जाती थी । घर आने पर इस गाय का दूध निकला रहता था । एक दिन मनिहार गाय का पीछा करने चल दिया। उसने देखा कि जंगल में एक शिला के ऊपर खड़ी होकर गाय दूध छोड़ रही थी और शिला दूध पी रही थी। इससे गुस्साए मनिहार ने गाय को धक्का देकर कुल्हाड़ी के उल्टे हिस्से से शिला पर प्रहार कर दिया | इससे शिला से रक्त की धार बहने लगी। उसी रात एक बाबा ने स्वप्न मैंआकर मनिहारों को गांव छोड़ने को कहा और वह गांव छोड़कर रामनगर चले गए।
जनश्रुति के अनुसार सौनी बिनसर के निकट किरोला गांव में एक 65 वर्षीय नि:संतानी वृद्ध थे। उन्हें सपने में एक साधु ने दर्शन देकर कहा कि कुंज नदी के तट की एक झाड़ी में शिवलिंग पड़ा है। उसे प्रतिष्ठित कर मंदिर का निर्माण करो। उस व्यक्ति ने आदेश पाकर मंदिर बनाया और उसे पुत्र प्राप्त हो गया। पूर्व में इस स्थान पर छोटा सा मंदिर स्थापित था। वर्ष 1959 में श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा से जुड़े ब्रह्मलीन नागा बाबा मोहन गिरि के नेतृत्व में इस स्थान पर भव्य मंदिर का जीर्णोद्घार शुरू हुआ। इस मंदिर में वर्ष 1970 से अखंड ज्योति जल रही है।

(साभार)

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