रामलीला का भव्य मंचन किया गया
देहरादून। सरस्वती कला मंच विकासनगर की रामलीला में विभिन्न दृश्य का भव्य मंचन किया गया। लीला के प्रथम दृश्य में हनुमान जी लंका से सीता का संदेश लेकर प्रभु राम के पास पहुंचते हैं और उन्हें पूरा वृतांत बताते हैं कहते हैं कि सीता जी अत्यंत कमजोर हो गई है और उन्होंने कहा है कि अगर एक माह के अंदर प्रभु राम मुझे यहां से छुड़ाकर नहीं ले गए तो मैं अपने प्राण त्याग दूंगी। अब रामचंद्र की सौगंध खाते हैं रावण मैं तेरे कल का नाम निशान मिटा दू इसके उपरांत लंका पर चढ़ाई करने के लिए विभिन्न योजनाएं बना की शुरू हो जाती है। नल नील द्वारा रामेश्वर पूजा के उपरांत समुद्र पर पुल बांधने का कार्य किया जाता है तभी रावण का भाई विभीषण भी रावण द्वारा लंका से निकलने के उपरांत प्रभु राम की शरण में आ जाता है। प्रभु राम भीषण को लंका का राजा घोषित कर देते हैं तब विभीषण कहते हैं की प्रभु आप सिर्फ मुझ पर दया कर दीजिए मेरे लिए वहीं काफी है।
इसके बाद राजा सुग्रीव, विभीषण, हनुमान जी नल नील जामवंत प्रभु राम से कहते हैं कि एक बार लंका पर आक्रमण करने से पहले दूध भेज कर रावण को एक बार फिर से समझना चाहिए तब सभी के विचार उपरांत यह निर्णय लिया जाता है कि युवराज अंगद को दूध बनाकर भेजना चाहिए समझ सके अंगद लंका में जाकर रावण को बड़ी प्रकार समझता है लेकिन रावण किसी भी प्रकार से मानने को तैयार नहीं होता। अंत में युवराज अंगद अपना पैर जमाते हैं और कहते हैं लंका का कोई भी राजा अगर मेरे पर को उठा देगा मैं सीता जी को हार जाऊंगा अंत में लंका के बड़े-बड़े राजा योद्धा अंगद का पैर हिलाने का प्रयास करते हैं लेकिन कोई भी अंगद के पर को नहीं उठा सकता। अंत में लंकापति रावण अंगद का पैर उठाने के लिए उठते हैं युवराज अंगद अपना पैर हटा लेते हैं रावण से कहते हैं कि या तो आप राम की शरण में जाओ आपके अपराध क्षमा कर देंगे तो यह समझ लो अब युद्ध का ऐलान हो गया है उधर रावण मेघनाथ को युद्ध के लिए भेज देता है उधर प्रभु रामचंद्र जी युद्ध के लिए खुद तैयार होते हैं लेकिन उनके भ्राता लक्ष्मण जी ने मना कर देते हैं और कहते हैं आज के युद्ध में मैं खुद जाऊंगा लक्ष्मण जी के साथ सुग्रीव हनुमान नल नील जामवंत भी युद्ध के लेते चल देते हैं भयंकर युद्ध संग्राम होता है में जब मेघनाथ को लगता है कि वह मर जाएगा तब वह लक्ष्मण पर ब्रह्मा फास का आक्रमण कर देता है लक्ष्मण जी को पास लगा देता है जिससे वह मारना आसान हो जाते हैं प्रभु राम लक्ष्मण जी की हालत देखकर रोने लगते हैं तब विभीषण जी ने बताते हैं की लंका में सुसान वेद नाम का एक वेद रहता है आप उसे बुला लीजिए अंजनी पुत्र हनुमान जी सुसैन वेद को लेकर आते हैं तब वेदराज बताते हैं कि लक्ष्मण के मर्म स्थान पर चोट आई है और इसकी एक ही जड़ी बूटी है जो द्रोणाचल पर्वत पर मिलती है अगर यह बूटी 24 घंटे के अंदर लाकर लक्ष्मण को नहीं खिलाई गई लक्ष्मण के प्राण नहीं बचेंगे तब हनुमान जी सुशासन वैसे जड़ी बूटी के बारे में पूछते हैं सेन वेद हनुमान जी को बताते हैं स्थान पर यह जड़ी बूटी होती है वहां पर रात में प्रकाश रहता है हनुमान जी तो द्रोण पर्वत पर जाते हैं जड़ी बूटी की पहचान नहीं होती सुबह पर्वत के उसे टुकड़े कोई उठा कर ले आते हैं अंत में जड़ी बूटी के द्वारा वेदराज द्वारा लक्ष्मण का इलाज किया जाता है प्राण बचाए जाते हैं। हनुमान जी सुशांत वेद को लंका में छोड़ आते हैं। लीला का विश्राम हो जाता है/