पटाखों से निकलने वाले धुऐं में काफी अधिक मात्रा मेें कार्बन डाइऑक्साइड और नाइट्रस ऑक्साइड होता है

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देहरादून। दीपावली की तैयारियाँ अक्सर कुछ दिन पहले शुरू हो जाती है। कभी-कभार दीपावली से एक या दो महीने पहले। गर्भवती होने के नाते आपके दिमाग में कई सवाल आते होंगे, जिनके बारे में आपने पहले कभी नहीं सोचा होगा जैसे पटाखों से होने वाले प्रदूषण का आप पर और आपके बढ़ते शिशु पर क्या प्रभाव होगा? लेकिन इसका मतलब यह नहीं है की आप त्योहारों का आनंद नहीं ले सकती है। जानिए आप कैसे त्योहार को खुश-नुमा बना सकती है। पटाखों से निकलने वाला धुआं, धमाके की आवाज और कठोर रसायन गर्भवती महिलाओं के लिए हानिकारक होते है। साथ ही ये भू्रण को भी नुकसान पहुंचाते है। दीपावली के दिन अगर आपके घर में कोई महिला गर्भवती है या फिर आप खुद गर्भवती हैं तो आपको अपना खास ख्याल रखना चाहिए। जिससे उन्हें या फिर उनके पेट में पल रहे शिशु को कोई तकलीफ न हो। संजय ऑर्थोपीड़िक, स्पाइन एवं मैटरनिटी सेंटर की राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डाॅ. सुजाता संजय ने बताया कि दिवाली के जश्न के दौरान छोटी-सी भी लापरवाही गर्भवती महिलाओं को जोखिम में डाल सकती है।
डाॅ. सुजाता के अनुसार, गर्भवती महिलाओं को पटाखों से फैले प्रदूषण से भी बच कर रहना चाहिए गर्भावस्था के दौरान प्रदूषण गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए समस्या उत्पन्न कर सकता है। पटाखों से निकलने वाले धुऐं में काफी अधिक मात्रा मेें कार्बन डाइऑक्साइड और नाइट्रस ऑक्साइड होता है। ऐसे में इन रसायनों के सीधे संपर्क में आने से गर्भ में पल रहे बच्चे और माँ दोनों को खतरा हो सकता है। यह हानिकारक गैस भ्रूण के प्लेसेंटा से हो कर गुजरे तो गर्भ में पल रहे बच्चे को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाता। यह भ्रूण के विकास में रूकावट का कारण भी बन सकता है। इस रात सिल्क या सिनथेटिक की साड़ी पहनने कि बजाए कोई ऐसा कपड़ा पहने।जिसमें आप खुद को आरामदायक महसूस करती हों। बढ़ियां होगा कि आप काॅटन का कपड़ा पहने पटाखों से दूरी बनाएं। हो सकता है कि आप हर साल हल्के पटाखे छुड़ा लेती थी, मगर अब आप प्रेगनेंट है इसलिए इनसे दूरी बनाएं रखें। इसके अलावा पटाखों का शोर भी प्रेगनेट महिला के लिए खतरनाक होता है क्योंकि कान बहुत संवेदनशील हो जाते है।
डाॅ. सुजाता संजय यह भी कहती है कि जिन्हें सांस की समस्या हो, उन्हें निश्चय ही प्रदूषण से दूर रहना चाहिए। खासकर यदि किसी महिला को अस्थमा की समस्या हैं तो उन्हें हर वक्त अपने साथ इनहेलर रखना चाहिए। एलर्जी के खतरे को कम करने के लिए जब तक संभव हो सजावट की फूल-मालाएं आदि को घर से बाहर ही रखें। साथ ही उन्हें घर के भीतर लाने से पहले पानी से अच्छी तरह से छिड़काव करें। ऐसा करने से उन फूलों पर लगी घूल और पराग खत्म हो जाएगी और एलर्ती से भी बचाव होगा।
गर्भवती महिलाओं को घर के अंदर ही रहकर एक पर्यावरण सुरक्षित दिवाली का आनंद उठाना चाहिए। यह न सिर्फ उनके लिए बल्कि उनके गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि अक्सर महिलाएं त्यौहार की तैयारियों में व्यस्त होकर भोजन के प्रति लापरवाही कर जाती है। उन्हें थोड़ी-थोड़ी मात्रा में 1 से 2 घंटे के अंतराल पर पौष्टिक भोजन ग्रहण करना चाहिए और संभव हो तो हर घंटे में पानी पीते रहना चाहिए। ऐसा करने से चक्कर आने की समस्या, बेहोशी और सुस्ती से आप खुद को बचा सकती है। हो सकें तो तेल और मसाले वाला भोजन ना खाएं साथ ही मिठाई भी कम ही खाएं। अगर बड़ों का आशीर्वाद लेने के लिए आपको बार बार नीचे झुकना पड रहा है तो पीठ के बल झुकने के बजाय अपने घुटनों के बल झुकें और अपने पति को आपको सहारा देने के लिए साथ रखें। अगर आपका पेट ज्यादा बाहर है तो झुकें नहीं हाथ से ही सबको प्रणाम करें, आपके परिवार के सदस्य यह जरूर समझेंगे। डाॅ. सुजाता संजय ने गर्भवती महिलाओं से कहा है, कि घर का काम करते हुए गर्भवती महिलाओं को संचेत रहना चाहिए। घर की सफाई करते वक्त आपको स्टूल पर नहीं खड़े होना है और ना ही साबुन के घोल का प्रयोग करना है। घर का काम करते वक्त काफी दुर्घटनाएं घटित हो जाती है। रिसकी काम ना ही करें तो अच्छा होगा। यदि आपको अत्यधिक थकावट, पेट में मरोड़ या अत्यधिक मिचली या अम्लता हो, तो तुरंत अपनी डाॅक्टर से सलाह करें।

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