*-दुःख की घड़ियों में भी जिसने गीत खुशी का गाया है…इतिहास रचा, उसने ही नाम कमाया है

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soulofindia-Haridwar, Editor Suryakant belwal’Aviral’

डॉ रश्मि प्रियदर्शनी की इन पंक्तियों को शब्दाक्षर हरिद्वार साहित्योत्सव-2023 में देश भर से आये साहित्यकारों से खूब सराहना मिली। हिन्दी तथा शब्दाक्षर के उत्थान में सक्रिय योगदान देने हेतु डॉ रश्मि प्रियदर्शनी को “शब्दाक्षर सम्मान” प्रदान किया। 

शब्दाक्षर हरिद्वार साहित्योत्सव-2023 के मंच पर डॉ रश्मि प्रियदर्शनी का सम्मान करते डॉ बुद्धिनाथ मिश्र, केवल कोठारी, डॉ स्मृति कुलश्रेष्ठ और ज्योति नारायण।*

 

गया/कोलकाता। ‘दुःख की घड़ियों में भी जिसने गीत खुशी का गाया है। उसने ही इतिहास रचा, उसने ही नाम कमाया है।। यह जीवन पल-दो पल का है, मृत्यु अटल है आयेगी। छोड़ दिया जिसको वसंत ने, पतझड़ ने अपनाया है।। हम थे नहीं तब भी थी दुनिया, होंगे नहीं, तब भी होगी। यह जग सच लगता है, लेकिन, सच पूछो तो माया है…’ शब्दाक्षर हरिद्वार साहित्योत्सव-2023 में प्रस्तुत शब्दाक्षर की राष्ट्रीय प्रवक्ता-सह-प्रसारण प्रभारी एवं जीबीएम कॉलेज, गया की अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉ रश्मि प्रियदर्शनी की इन पंक्तियों को शब्दाक्षर हरिद्वार साहित्योत्सव-2023 में देश भर से आये साहित्यकारों से खूब सराहना मिली। डॉ रश्मि ने जब अपनी कविता ‘द्युतिमय स्मरण तुम्हारा’ तथा हिन्दी के सम्मान में ‘हृदय की प्यास है हिन्दी, हृदय की भूख है हिन्दी। विटप है यह वतन, तो कोकिला की कूक है हिन्दी।। ये तुलसी सी सुखद, पावन; प्रबल दिनकर सरीखी है। विचारों, भावनाओं से सजी संदूक है हिन्दी…’‘ मुक्तक सुनाया तो सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।

काव्य सृजन हेतु अभीष्ट परिस्थितियों को शब्दांकित करते हुए डॉ रश्मि ने “हृदय में भावनाओं का समंदर जब मचलता है। विवश कवि-चित्त हो जाता, न खुद पर जोर चलता है।। अश्रु की बारिशों से भींग जाते कोर नयनों के। अतल गहराइयों में आत्मा की, काव्य पलता है..” मुक्तक सुनाया, जिसपर जमकर वाहवाहियाँ लगीं। शब्दाक्षर के राष्ट्रीय अध्यक्ष रवि प्रताप सिंह, आयोजन-प्रमुख-सह-शब्दाक्षर उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष डॉ बुद्धिनाथ मिश्र, व्यवस्था प्रमुख-सह-शब्दाक्षर तमिलनाडु प्रदेश अध्यक्ष केवल कोठारी, शब्दाक्षर के राष्ट्रीय संगठन मंत्री-सह-प्रधान मंच संचालक विश्वजीत शर्मा सागर और संस्था के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष दयाशंकर मिश्र ने हिन्दी तथा शब्दाक्षर के उत्थान में सक्रिय योगदान देने हेतु डॉ रश्मि प्रियदर्शनी को “शब्दाक्षर सम्मान” प्रदान किया। उन्हें श्रीफल, शॉल, मुक्तामाला, शब्दाक्षर अंगवस्त्र तथा मेमेंटो प्रदान करके सम्मानित किया गया। शब्दाक्षर के राष्ट्रीय अध्यक्ष रवि प्रताप सिंह ने डॉ. रश्मि की गौरवमय शैक्षणिक उपलब्धियों एवं साहित्यिक सक्रियता पर प्रकाश डालते हुए हिन्दी तथा शब्दाक्षर के उत्थान हेतु उनके द्वारा किये जा रहे प्रयत्नों की सराहना की, भूरि-भूरि प्रशंसा की।

शब्दाक्षर हरिद्वार साहित्योत्सव में भाग लेने शब्दाक्षर बिहार से राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ रश्मि के अतिरिक्त शब्दाक्षर बिहार प्रदेश अध्यक्ष मनोज कुमार मिश्र पद्मनाभ, शब्दाक्षर जहानाबाद की जिलाध्यक्ष सावित्री सुमन, शब्दाक्षर गया के जिला संगठन मंत्री अजय वैद्य और प्रदेश प्रचार मंत्री अश्विनी कुमार आदि भी प्रतिभागिता हेतु हरिद्वार साहित्योत्सव में आमंत्रित थे। शब्दाक्षर द्वारा इन्हें भी सम्मानित किया गया।
राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ रश्मि एवं प्रदेश अध्यक्ष श्री पद्मनाभ ने शब्दाक्षर बिहार प्रदेश की ओर से राष्ट्रीय अध्यक्ष रवि प्रताप सिंह को शॉल तथा भगवान बुद्ध की प्रतिमा प्रदान करके सम्मानित किया। उद्घाटन सत्र में डॉ. रश्मि, श्री कोठारी एवं ज्योति नारायण ने शब्दाक्षर गीत की सुमधुर प्रस्तुति दी। साहित्योत्सव के अंतिम दिन छह काव्य सत्र आयोजित हुए, जिनमें पहले काव्य सत्र की अध्यक्षता भी राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ रश्मि ने ही की। पाँचवे सत्र की अध्यक्षता शब्दाक्षर बिहार प्रदेश अध्यक्ष श्री पद्मनाभ ने की। साहित्योत्सव में शब्दाक्षर औरंगाबाद (बिहार) के धनंजय जयपुरी, नागेन्द्र केसरी, अनुज बेचैन, जनार्दन मिश्र जलज, कुटुंबा प्रखंड अध्यक्ष कुमार सानू तथा अनिल अनल भी सम्मानित हुए।

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