संत कर रहे हैं काशी में संस्कृति संसद का आयोजन

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संपादक- सूर्यकांत बेलवाल

संस्कृति संसद में देश के सभी मठ मंदिर और धार्मिक संस्थाओं के साधु संतो को बुलाया गया है।

हरिद्वार। सनातन के उन्मूलन को लेकर आयोजित किये जा रहे कार्यकर्मों को लेकर संत समाज व्यथित दिखा, जो की स्वाभाविक था/ अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष, श्री पंचायती अखाड़ा मां निर्वाणी के सचिव श्री महंत रवींद्र पुरी महाराज व अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी जितेंद्रानंद ने प्रेस क्लब में पत्रकारों से वार्ता करते हुए बताया की प्राचीन भारतीय संस्कृति पर लगातार हो रहे हमलों के विरोध में आगामी 2 से 5 नवंबर तक देश की आध्यात्मिक राजधानी काशी में बड़ी संख्या में साधू संत जुटने जा रहे हैं। हाल ही में विपक्षी दलों के कुछ नेताओं द्वारा सनातन धर्म को लेकर दिए गए आपत्तिजनक बयानों के विरोध में साधु संत संस्कृति संसद का आयोजन करने जा रहे हैं।

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद, अखिल भारतीय संत समिति और गंगा महासभा से जुड़े पदाधिकारी संस्कृति संसद आयोजित करेंगे। संस्कृति संसद में देश के सभी मठ मंदिर और धार्मिक संस्थाओं के साधु संतो को बुलाया गया है। संस्कृति संसद में देश के गृहमंत्री अमित शाह व यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी शिरकत करेंगे।

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्रपुरी और अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि सनातन धर्म के अपमान को संत समाज बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करेगा। वाराणसी में होने वाली संस्कृति संसद में ऐसा करने वाले नेताओं के खिलाफ कड़े कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने बताया कि इस संस्कृति संसद में देश के 27 राज्यों के करीब 2000 वरिष्ठ संत शिरकत करेंगे। 2 नवंबर से आरंभ होने वाले इस संस्कृति संसद से पूर्व काशी के रुद्राक्ष ऑडिटोरियम में अयोध्या मामले के 465 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष में 465 नर्मदेश्वर शिवलिंग का अभिषेक पूजन किया जाएगा।

बताया कि पूजन के बाद नर्मदेश्वर शिवलिंगों को आदिवासी व बनवासी एक-एक गांव में एक-एक शिवलिंग वितरित किया जाएगा, साथ ही साथ ही ₹11000 की धनराशि दी जाएगी, जिससे शिवलिंग की स्थापना पूजन आदि कार्य नियमित नियमित रूप से चला रहे।

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