पितृ ऋण उतारने का समय पितृ पक्ष होता है

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श्री बद्रीनाथ जी धाम में ब्रह्म कपाल की अद्भुत महत्ता: चंद्रशेखर

ज्योतिषाचार्य कहते है कि पितृ पक्ष में पितरों को पिंडदान किया जाता हैं. मान्यता है कि पितृ पक्ष में श्री बद्री नाथ जी धाम में पितर के लिए श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान आदि करने से वे प्रसन्न होते और आशीर्वाद देते हैं.
पितृपक्ष के दिनों में पितरों को पिंडदान श्राद्ध, तर्पण, आदि कर प्रसन्न किया जाता है. वायु पुराण में उल्लेख है कि पितृ पक्ष में पितृ सूक्ष्म रूप सें धरती पर वास करते हैं. वहीं तीन पीढ़ियों तक को पितृ माना गया है. पितृकुल से पिता( यदि मृत्यु हो गई हो), दादा और परदादा शामिल होते हैं. वहीं मातृकुल में नाना, परनाना और उसके ऊपर के एक वृद्ध पर नाना होता हैं. यानि तीन पीढ़ियों तक को पितृ कहते है और पितृ पक्ष में इनकी पूजा की जाती है.

मनुष्य जन्म लेते ही तीन ऋण से युक्त हो जाता है. पहला होता देवी से देवताओं का ऋण, दूसरा ऋषि ऋण होता है. जो मनुष्य को सही रास्ता दिखाते हैं और तीसरा होता है पितृ ऋण. पितृ हमारे पूर्वज होते हैं. इनके ही आशीर्वाद से घर में सुख समृद्धि आती है. वहीं पितृ ऋण उतारने का समय पितृ पक्ष होता है. पितृ ऋण उतारने के लिये पितृपक्ष में श्राद्ध, तर्पण, ब्राह्मण भोज आदि कराया जाता है. इससे पितृ प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद प्रदान करते हैं. इसीलिए पितृपक्ष में विसर्जन जरूरी होता है.

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