पातालेश्वर महादेव मंदिर

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..कठिन परिक्रमा भोले की..

पातालेश्वर महादेव मंदिर क़स्बा बिजौली में पहली बार पातालेश्वर महादेव की पवित्र नगरी की पंडित बिजेंद्र पाल शर्मा ने कठिन दंडवत परिक्रमा करने का लिया संकल्प | आप को बता दें कि पातालेश्वर महादेव मंदिर क़स्बा बिजौली, तहसील अतरौली, जनपद अलीगढ़, उत्तर प्रदेश में विख्यात है वहां के बुजुर्ग बताते हैं कि यह मंदिर बहुत ही प्राचीन है | 1175 वर्ष पूर्व मंदिर के स्थान पर किसान जमीन को समतल करने के लिए टीले को खोदते समय उनका फावड़ा भगवान भोलेनाथ की शिवलिंग में लग गया और उस शिवलिंग से दूध की धार बहने लगी | यह दृश्य देखने को आसपास के सभी गांव के लोग इकट्ठा होने लगे और सोचने पर मजबूर हो गए कि ऐसा कैसे होने लगा कि एक पत्थर से दूध की धार बहने लगी | वहां के किसानों ने उस जगह को और गहरा खोदना शुरू कर दिया जैसे-जैसे लोग उस शिवलिंग के चारों तरफ से खोदकर मिट्टी को बाहर निकालते वैसे-वैसे शिवलिंग ऊपर की ओर बढ़ रहा था | यह देखने के लिए वहां पर बहुत बड़ा लोगों का मेला लग गया और शिवलिंग बहुत ऊंचा हो गया | जैसे- जैसे उस जगह की खुदाई की गहराई बड रही थी लेकिन शिवलिंग का छोर नहीं मिल रहा था लोगों की संख्या बड़ती जा रही थी | यह कोई चमत्कार से कम नहीं था किसानों की समझ में आ गया था कि यह भगवान पातालेश्वर हैं इनका नीचे कोई छोर नहीं है | तभी से भगवान भोलेनाथ के उस शिवलिंग का नाम पातालेश्वर महादेव के नाम से विख्यात हो गया | सभी ग्रामीणों ने भगवान पातालेश्वर महादेव की पूजा-अर्चना शुरू कर दी भजन कीर्तन शुरू कर दिया | ग्रामीणों को अत्यंत खुशी हो रही थी कि हमारे गांव में भगवान पातालेश्वर पधार गए हैं जो भगवान पातालेश्वर की श्रद्धा भाव से पूजा करता है भगवान पातालेश्वर उसकी सभी मनोकामना अवश्य पूरी करते हैं नि:संतान महिलाएं पुत्र प्राप्ति के लिए मंदिर की चारों तरफ बनी दीवारों पर गाय के गोबर से सतिया बनाती हैं और पुत्र प्राप्ति के बाद उनके दर्शन कर भगवान का पूजन करती है दुग्ध से शिवलिंग को स्नान कराती हैं | हर वर्ष शिवरात्रि पर वहां पर बहुत बड़ा मेला लगता है आसपास के सभी ग्रामीण वहां पर भगवान पातालेश्वर महादेव की पूजा अर्चना करते हैं और जो भी वहां श्रद्धा भाव से अपनी मनोकामना मांगता है भगवान पातालेश्वर उसकी मनोकामना पूर्ण करते हैं विद्वान बताते हैं कि सावन माह में गंगा से जल भरकर जो भगवान पातालेश्वर पर चढ़ाता है उसे कोई भी रोग भय, व्याधि एवं अकाल मृत्यु नहीं होती और भगवान पातालेश्वर उसे मनोवांछित फल देते हैं उन भक्तो की सभी इक्छा पूरी होती है | इसी कामना को लेकर प्रथम बार 65 वर्षीय पंडित विजेंद्र पाल शर्मा ने भगवान पातालेश्वर की नगरी की दंडवत परिक्रमा करने का संकल्प ले लिया है पंडित विजेंद्र पाल शर्मा ने बताया कि किसी ने आज तक इस तरह भगवान पातालेश्वर की नगरी की परिक्रमा नहीं की मेरे मन में काफी वर्षों से यह विचार था कि मैं भगवान पातालेश्वर की नगरी की परिक्रमा करूं लेकिन मैं कभी कर नहीं पाया मेरे मन में यही बार बार विचार आ रहा था कि मैं अगर भगवान पातालेश्वर की परिक्रमा अब नहीं कर पाया तो कभी नहीं कर पाउँगा मेरी उम्र भी बढ़ती जा रही और शरीर दुर्बल हो रहा है धीरे धीरे काम करना बंद कर देगा और मेरे मन की बात मन में ही रह जाएगी रात्रि को भगवान पातालेश्वर ने मुझे ऐसी प्रेरणा दी कि मैंने सुबह 5 बजे से ठंडवत (ठंडोती) से परिक्रमा शुरू कर दी है और अब यह कितने दिन में पूरी होगी यह मैं नहीं जानता यह सब भगवान भोलेनाथ ही जानते है | इसमें मेरा सहयोग मेरा छोटा पुत्र पंडित आलोक शर्मा मेरे मित्र सतवीर, मंजीत कर रहे हैं | गांव निवासी सतवीर सिंह ने बताया कि आज तक किसी ने भगवान पातालेश्वर महादेव की पवित्र नगरी की किसी ने यह कठिन परिक्रमा नहीं लगाई है पंडित बिजेंद्रपाल शर्मा ने दंडवत से परिक्रमा का शुभारंभ किया है भगवान भोलेनाथ इनकी मांगी हुई मनोकामना को पूरा करें और इन्हें इस कठिन संकल्प में सहियोग प्रदान करें इन्हें देखकर यहां के ग्रामीणों को भी प्रेरणा मिलेगी और भगवान भोलेनाथ की इस पवित्र नगरी की भी परिक्रमा का शुभारंभ हो जाएगा काफी लोग इस परिक्रमा से प्रेडित होंगे और भगवान भोलेनाथ की पवित्र नगरी की परिक्रमा करना शुरू कर देंगे। पातालेश्वर महादेव मंदिर की प्राचीनता को लेकर महिपाल सिंह ने बताया कि यह मंदिर काफी प्राचीन है जब पातालेश्वर शिवलिंग की लंबाई काफी लंबी हो गई तब गांव के पंडित गंगाराम मुनीम ने कनस्तर से मिट्टी डालकर पातालेश्वर महादेव शिवलिंग के चारों तरफ मिट्टी का चबूतरा बनाया और फिर धीरे-धीरे वहां पर एक पातालेश्वर महादेव मंदिर के रूप में स्थापना हो गई | महाशिवरात्रि पर्व पर यहां 3 दिल का मेला लगता है | श्रधालु गोमुख, हरिद्वार, सोरों, गणमुक्तेश्वर, रामघाट, कछला, नरौरा, सांकरा, राजघाट आदि स्थानों से कांवड़ में जल लाकर बाबा पातालेश्वर महादेव पर जलाभिषेक करते हैं तीन दिन तक देवी जागरण, हवन यज्ञ, दंगल कुश्ती रसिया आदि का आयोजन होता है । अलग- अलग प्रांतों से आये श्रद्धालु इस आयोजन में शामिल होते हैं। मंदिर के चारों तरफ मेला लगाया जाता है | मेले में भक्तों की खरीदारी के लिए दुकानें लगयी जाती है और विशाल झूले भी लगाए जाते हैं। तीन दिन तक विभिन्न उत्सव होते है इस मेले को लेकर हर वर्ष भक्तों में बेहद उत्साह रहता है। सभी समाज के लोग इस मेले के सफल आयोजन में बेहद सहयोग करते हैं |

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