बारिश और बर्फबारी न होने से जड़ी बूटियों पर खतरा

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जैव विविधता बुरी तरह प्रभावित
श्रीनगर। उत्तराखंड में इस वर्ष सर्दियों में अभी तक पहाड़ी इलाकों में एक दिन भी बारिश नहीं हुई है। इससे दिन के समय अन्य वर्षों की अपेक्षा गर्मी बढ़ी है। मौसम शुष्क हुआ है। इस कारण हिमालय की जैव विविधता बुरी तरह से प्रभावित हुई है। कम बर्फबारी के कारण इस वर्ष बुरांस का फूल भी फरवरी, मार्च के बजाय जनवरी माह में खिल गया है। साथ में 26 से अधिक हिमालयी रीजन में पाई जाने वाली जड़ी बूटियों के प्रजनन चक्र पर बुरी तरह प्रभाव पड़ने से इनका अस्तित्व भी संकट में आ गया है। उत्तराखंड में एक प्यारा सा बुरांस का फूल खिलता है। इस साल बुरांस वक्त से पहले ही जनवरी माह में ही खिल गया है। इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह मौसम में बढ़ी गर्मी है। बारिश और कम बर्फबारी होने के कारण बुरांस का फूल भी वक्त से पहले फरवरी, मार्च के बजाय इस साल जनवरी में ही खिल गया है। वैज्ञानिक इससे चिंता में पड़ गए हैं। मात्र बुरांस ही इस गर्मी का शिकार नहीं हो रहा है। इसके अतिरिक्त भी 26 से अधिक जड़ी बूटियों के भी प्राण संकट में आ गए हैं। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केन्द्रीय विवि के उच्च शिखरीय पादप शोध संस्थान में डायरेक्टर डॉक्टर विजय कांत पुरोहित का कहना है कि इस वर्ष पिछले 6 माह से बारिश नहीं हुई है.इसके अतिरिक्त बर्फबारी भी कम हुई है। इस कारण मौसम में गर्मी बढ़ने के कारण बुरांस, फ्योंली जैसे फूल भी वक्त से पहले ही खिल गए हैं। इसके अतिरिक्त उच्च हिमालय में पाई जाने वाली जटामासी, कुटकी, चोरी, ब्रह्मकमल जैसी 26 से अधिक जड़ी बूटियों पर भी इसका प्रभाव पड़ा है। बर्फबारी ना होने के कारण इनके प्रजनन में असर पड़ा है। इससे इनके उत्पादन पर बड़ा खतरा मंडरा गया है।

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