ह्यूमेनिटीज के साथ हम्बल बनिए :डॉ श्रीवास्तवा

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ऋषिकेश/
आज श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के प०ल०मो०शर्मा परिसर ऋषिकेश कैंपस में यू जीसी के गाइड लाइन पर नये स्नातको हेतु ज्ञानवर्धक स्टूडेंट्स इंडक्शन प्रोग्राम दीक्षारंभ के द्वितीय दिवस का प्रारंभ प्राचार्य प्रोफ़ेसर महावीर सिंह रावत और अन्तर्राष्ट्रीय आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ डी के श्रीवास्तव ने संयुक्त रूप से विद्या दायिनी माँ सरस्वती पूजन के बाद दीप प्रज्वलन कर किया गया , मुख्य वक्ता मोटिवेशनल स्पीकर के रूप में डॉ डी के श्रीवास्तव को प्राचार्य जी ने पुष्प गुच्छ से सम्मानित किया ।
खुशी और स्वस्थ मन द्वारा आप की मेहनत और परिश्रम ही आपको कामयाब और सफल व्यक्ति बनाकर समाज मे आपकी नई पहचान बनाएगी , ह्यूमेनिटीज के साथ हम्बल बनिये , दुनिया जानती है कि नुक्लेअर वेपन से सेफ रहेंगे लेकिन ये भ्रम है ,हम लोगो की अच्छी दुआओ और ब्लेसिंग में ही कामयाब और सुरक्षित रह सकते है यह उद्गार अंतरराष्ट्रीय आयुर्वेद विशेषज्ञ एवं नवजीवनम आयुर्वेद संस्थान के प्रमुख चिकित्सक डॉ डी0 के0 श्रीवास्तवा ने आज श्री सुमन्देव विश्वविद्यालय के ऋषिकेश परिसर में ट्रांजिशनल क्योरिकलेम फ़ॉर न्यूली एडमिटेड स्टूडेंट्स के लिए आयोजित कार्यक्रम दीक्षारंभ में छात्रों को संबोधित करते हुए दिया । उन्होंने कहा कि अगर आपको आगे बढ़ना है तो आपको तप करना पड़ेगा ,सूरज की तरह आज से ही अपने आप मे एक आग लगानी पड़ेगी एक बर्निंग डिजायर ही आपको मनवांछित मंजिल पे पहुचायेगी ।
डॉ0 श्रीवास्तव ने कहा कि वक्त ने आपको ३वर्षों का समय दिया है ये आपसे कोई नही ले सकता आपको इन्ही वर्षों में अपने किस्मत की आधार एवं इबारत लिखनी है, एक एक पल अनुशासित और समयबद्ध तरीक़े से जी लीजिए तो कामयाबी आपकी कदम चूमेगी। आज सभी क्रिटिसिसम से दुखी है इसलिये आप अपने स्वभाव से केवल ऍपरिसीएसिन करने से ही आपकी खुशियों में इजाफा करेगा ने कहा कि इस मोटिवेशनल प्रोग्राम से छात्रों में नये ऊर्जा का संचार होगा आप मे जितनी छमता नया करने का है उसे नया मुकाम देकर दुसरो के सहयोगी बनिये और सदैव सकारात्मक बने ।अपने जीवन को समाज देश मे नए ऊर्जा के साथ समर्पित हों
डॉ श्रीवास्तव ने कहा आज समाज में तमाम नकारात्मक वस्तुयें और व्यवहार आप की मंज़िल से आपको दूर करे इसके पूर्व आप स्वयं अपने आहार व्यवहार और संस्कार से उससे दूर हो जाइए और सभ्य समाज का निर्माण कीजिए और अपने मातापिता के अरमानों को मुक़ाम दीजिए ये पल फिर नहीं मिलेंगे ।

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