नापाक इरादों पर जारी हो चुका है मौत का फरमान

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भविष्य की आहट / डा. रवीन्द्र अरजरिया
जी 20 की आशातीत सफलता से पूरी दुनिया में देश का डंका बज गया है। विश्वगुरु के सिंहासन पर राज्याभिषेक होने की तैयारियां जोरों पर हैं। भारत के विकास, समृध्दि और सम्मान की त्रिवेणी से बौखलाये पाकिस्तान ने भारत विरोधी पाकिस्तान मुस्लिम लीग(नवाज) के नेता और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की घर वापिसी की घोषणा कर दी है। उनके भाई तथा निवर्तमान प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा है कि आगामी 21 अक्टूबर को लाहौर में पूरा देश नवाज शरीफ का स्वागत करेगा। सन् 2019 में पनामा लीक्स में नाम आने के बाद नवाज शरीफ पाकिस्तान से इलाज के नाम पर ब्रिटेन चले गये थे। पाकिस्तान के न्यायालय ने उन्हें चार सप्ताह का समय दिया गया था, जिसमें वापिस न आने पर उनकी गिरफ्तारी का वारंट जारी कर दिया गया था। ऐसे में पाकिस्तान वापिस आने पर उनकी गिरफ्तारी हो सकती है परन्तु पाकिस्तान में सेना की मंशा के आगे सरकार, न्यायालय, व्यवस्था, सिध्दान्त, कानून सहित कारक सभी बौने साबित होते रहे हैं। तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के सर्वेसर्वा इमरान खान के मुद्दे पर सेना की मंशा ही सर्वोपरि रही। दूसरी ओर नवाज शरीफ ने घर वापिसी का समय भी ऐसा चुना है जब चीफ जस्टिस उमर अता बंदियाल की जगह पर जस्टिस काजी फैज ईसा काबिज होंगे। जस्टिस उमर अता बंदियाल का रुख न्याय के साथ कडाई से चलता है जबकि जस्टिस काजी फैज ईशा उदारवादी माने जाते हैं। नवाज शरीफ ने विलायत से घोषणा की थी कि अगर उनकी सरकार को खत्म नहीं किया जाता तो आज पाकिस्तान जी20 देशों की लिस्ट में शामिल होता। भारत के विरोध को मुद्दा बनाकर हमेशा से राजनैतिक सरगर्मियां तेज करने वाला पाकिस्तान आज कंगाली की बदहाली से गुजर रहा है। फिर भी वहां के हुक्मरान भारत के सामने आंखे दिखाकर स्वयं को अपनी जनता के सामने मजबूत साबित करने के प्रयास में हैं। इतिहास गवाह है कि सन् 1947 में भारत से अलग हुए पाकिस्तान ने आतंकियों की पनाहगार के रूप में अपने स्वरूप को विकसित किया है। उसे कट्टरता की दम पर दुनिया जीत लेने का घमण्ड है। आजादी के दौर में भी लाशें भरकर भारत भेजने वाले पाकिस्तान को उस समय के हमारे हुक्मरानों ने उनके लोगों को पलकों पर बिठाकर सीमा पार करायी थी। इसी बीच पहला कश्मीर युध्द छिड गया था जिसमें पाकिस्तानी सेना ने कबायली सेना के साथ मिलकर कश्मीर के एक बडे हिस्से पर कब्जा कर लिया था। इसमें भारत की सेना ने बंधे हाथों से लडाई लडी थी। जिसका परिणाम 1 जनवरी 1949 की रात 11.59 बजे औपचारिक संघर्ष विराम की घोषणा के साथ सामने आया था। सन् 1965 में पाकिस्तान ने पुन: आक्रमण कर दिया। तब 17 दिन चले इस युध्द में हमारे हजारों सैनिक शहीद हो गये थे। संयुक्त संघ और संयुक्त राष्ट्र संघ के राजनयिकों के हस्तक्षेप के बाद युध्द विराम हो सका था। भारत-पाक के प्रधानमंत्रियों की ताशकंद बैठक में हुए समझौते के बाद संदिग्ध परिस्थितियों में देश के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु हो गई थी। सन् 1971 में पाकिस्तान ने पुन: भारत पर आक्रमण कर दिया था। उस दौरान हमारे जावांजों ने 94 हजार पाकिस्तानी सैनिकों को बंदी बना लिया था किन्तु राजनैतिक इच्छाशक्ति के अभाव में हमारे हुक्मरानों ने काफी नीचे उतरकर समझौता कर लिया था जबकि हमारी सेना पाकिस्तान पर हावी थी। तब 13 दिन चले इस युध्द का परिणाम एक और समझौते के रूप में हुआ। सन् 1999 में पाकिस्तान ने कारगिल में आतंकवादियों के साथ मिलकर भारत पर आक्रमण कर दिया। यहां भी भारत की जीत का बिगुल बजा। उसके बाद से पाकिस्तान निरंतर छदम्म भेष में अपने सैनिकों, नागरिकों तथा कट्टरपंथियों को आतंक फैलाने के लिए सीमा पार भेजता रहा। इस सब में नवाज शरीफ का पुराना शासनकाल भी भारत विरोधी कृत्यों के लिए वहां आदर्श परिभाषा के रूप में देखा जाता है। घोटालों, अनियमितताओं और मनमानियों के लिए चर्चित रहे नवाज शरीफ को वर्तमान में वहां के कंगाल तंत्र व्दारा मसीहा बनाकर पेश किया जा रहा है ताकि संवेदनाओं के आधार पर राष्ट्र को बचाने का कागजी महल खडा हो सके। नवाज शरीफ की आगवानी को लेकर वहां के हुक्मरान भारत में एक बार फिर दहशत की इबारत लिखने की कोशिश में है। पाकिस्तान अपने आका की आगवानी में अनन्तनाग, बारामूला, रजौरी जैसे अनेक स्थानों पर एक साथ आतंकी गतिविधियां पेश करके स्वयं को मजबूत, कट्टर और शक्तिशाली घोषित करना चाहता है। आतंकियों की घुसपैठ के लिये पाक चौकियों से होने वाली फायरिंग का सहारा लिया जा रहा है ताकि मारे गये पाकिस्तानी सपोलों की लाशें भारत को प्राप्त न हो सकें। पाकिस्तान को 29-29 सितम्बर 2016 तथा 26 फरवरी 2019 की रातें नहीं भूलना चाहिए, जब भारत की ओर से की गई सर्जिकल स्ट्राइक में उसकी धरती पर मौजूद आतंकी कैम्पों को नस्तनाबूत कर दिया गया था। वर्तमान भारत की तुलना पुराने इण्डिया से करने की भूल का खामियाजा निश्चित ही आने वाले दिनों में पाकिस्तान को भुगतना पडेगा। देश के जांवाजों के खून से लिखी नापाक आतंकी इबारत पर जारी हुए मौत के फरमान की ओर से पाकिस्तान अभी बेखबर है। उसे तो केवल और केवल नवाज शरीफ की आगवानी की जोरदार तैयारी दिख रही है। ऐसे में उसके इरादों पर कब पानी फिर जाये, कुछ कहा नहीं जा सकता। इस बार बस इतना ही। अगले सप्ताह एक नई आहट के साथ फिर मुलाकात होगी।

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