कहानी पौड़ी के आछरी खाल मन्दिर की
यह मंदिर गांव कफलना में अछरीखाल नामक स्थान पर है। यह मंदिर अछरिंयो और मां भुवनेश्वरी देवी का है। लगभग डेढ़ दो सौ साल पूर्व इस खाल(तालाब) में सात कन्याएं डूब गयी थी। वह अछरिया बन गयी और यहां पर उन्होंने लोगों का आना जाना लगभग बंद कर दिया। वह महिलाओं पर अवतरित होती थी फिर उनका पूजन करना पड़ता था। इससे निजात पाने के लिए सभी नजदीकी गांवों ने मिलकर उन्हें देवी रूप में स्थापित किया वर्तमान मूर्ति के बगल में सात पाषाण शिलाये मौजूद हैं वह उन अछरियो का स्वरूप है और उनको देवी भूवनेश्वरी का सान्निध्य दिया गया है।
हमने साठ पैंसठ साल पहले यह देखा है कि कौन युवती चटक कपड़े पहन कर उधर से गुजरने पर जोर से चिल्लाती थी और बेहोश हो जाती थी। फिर धुपाणा पिठाई देने ठीक हो जाती थी। जो बरात वहां दुल्हन के साथ गुजरती थी वह वंहा जाकर पिंठाई चढ़ाती थी और श्रीफल फाड़ती थी यदि भूलवश ऐसा नहीं हुआ तो घर पहुंचते ही दुल्हन बेहोश हो जाती थी फिर कोई याद दिलाता था और श्रीफल और पिठाई माफी के साथ रखने पर वह सामान्य हो जाती थी। यह घटना दो बार हमने भी देखी थी। वर्ष २०१०में कफलना के लोगों ने इसका नवनिर्माण किया। मां वैष्णो देवी मंदिर का इस से अलग है।
सरदार सिंह रावत
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