युद्ध के कारण आणविक युद्ध के खतरे को लेकर गोष्ठी का आयोजन

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Soulofindia
हरिद्वार/ “युक्रेन रूस युद्ध के कारण दुनिया भर में मंडराते आणविक युद्ध के खतरे तथा भारतीय विदेश नीति” विषय पर संयुक्त नागरिक संगठन के तत्वावधान में परिसंवाद का आयोजन सिटीबैंकट हाल में किया गया। इस अवसर पर वक्ताओं जिनमें पूर्व सैन्य अधिकारी भी शामिल थे, का निष्कर्ष था कि भावी तीसरे विश्व युद्ध के परिणामों के सभी देशों में व्यापक आर्थिक प्रभाव होंगे जिनसे खाद्य कीमतों में बढ़ोतरी, आम जीवन में स्तर में बदलाव, पर्यावरण को गहरी क्षति, करोड़ों निरपराध लोगों की अकाल मृत्यु होगी।इसको रोकने के लिए सभी शांति पसन्द ताकतो का एक होना जरूरी हो।इनका कहना था कि युक्रेन युद्ध ने दुनिया को दो गुटों में बांट दिया है जिनमें अमेरिकी नेतृत्व में सक्रिय नाटो और यूरोपियन देश है दूसरी ओर रूस चीन ईरान उत्तर कोरिया आदि हैं।इस युद्ध के कारणों में से एक विश्व में दादागिरी कायम करने में सक्रिय अमेरिका है जिसका काम दुनिया के देशों में युद्ध का भय दिखाकर अपने हथियारों की बिक्री बढ़ाकर अकूत मुनाफा कमाना है और शांति से रह रहे निर्गुट देशों को नाटो में शामिल कराकर दुनिया का थानेदार बनने की आकांक्षाएं हैं। वक्ताओं ने कहा आजादी के बाद से भारतीय विदेश नीति का मूल तत्व गुटनिरपेक्षता रहा है और यह भाजपा की वर्तमान मोदी सरकार में अभी तक कायम है।इसलिए रूस तथा अमरीकी नीतियां हमें प्रभावित करने में असफल रही हैं।निष्कर्ष था की रूस हमारा आज तक विश्वसनीय मित्र साबित हुआ है और आज भी हमारा सहयोगी है। आर्थिक प्रतिबंधों को रोकने में नाकाम यूरोपियन यूनियन के देश रूस भारत व्यापारिक आर्थिक,सैन्य,व्यापारिक संबंधों को क्षति पहुंचाने में नाकाम रहे हैं। वर्तमान हालातों में भारत सरकार को संयुक्त राष्ट्र में शांति प्रस्ताव लाकर तत्काल सीजफायर पर रूस युक्रेन को सहमत कराने मे अपनी प्रभावशाली भूमिका का निर्वाह किया जाना समय की मांग है।मोदी सरकार को इस सन्दर्भ मे आवश्यक कदम उठाने चाहिए। परिसंवाद सहभागियों में पूर्व सैन्य अधिकारी मेजर जनरल केडी सिंह, कर्नल कृष्णदत्त शैली, लेफ्टिनेंट कर्नल बीएम थापा, लेफ्टिनेंट कर्नल जीएस गंभीर, ब्रिगेडियर केजी बहल, तथा जीएस जस्सल, चौधरी ओमवीर सिंह, जितेंद्र डडोना, उर्मिला पंत, सुशील त्यागी आदि थे।

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