पहाड़ों में हादसों को रोकने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक को वाहनों में अनिवार्य बनाकर इसे जीपीएस/जिओ फेंसिंग सिस्टम से जोड़ने की मांग

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देहरादून। शासकीय-प्रशासनिक कुव्यवस्थाओं का परिणाम है अल्मोड़ा हादसे में 36 यात्रियों की दर्दनाक मौतें।
पहाड़ों में हादसों को रोकने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक को वाहनों में अनिवार्य बनाकर इसे जीपीएस/जिओ फेंसिंग सिस्टम से जोड़ने की मांग। संयुक्त नागरिक संगठन की ओर से मुख्य्मंत्री तथा मुख्य सचिव को भेजे गए पत्र में हादसे से पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए राज्य में विगत 24 साल में सड़क हादसों में गई बीस हजार जानो पर आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा गया है कि गंभीर दुर्घटनाओं पर हुई सरकारी जांचों के परिणाम केवल फाइलों में दब कर रह गए हैं।खानापुरी के लिए कुछ अधिकारियों का निलंबन हुआ पर हादसों पर अंकुश रखने के लिए व्यवस्थागत उपाय नहीं हुए।दिवंगत यात्रियों के परिवार को आर्थिक सहायता देकर हम उनके परिवारों को जिंदगी जीने का सहारा नहीं दे सकते हैं। हम सबको अब सभी संबंधित विभागों के समन्वय के साथ सामूहिक निर्णय/सुझाव लेकर इनको क्रियान्वयन करना ही होगा। संगठन के सचिव सुशील त्यागी द्वारा सुझाव दिए गए हैं की पर्वतीयमार्गों पर सड़क सुरक्षा मानकों के हिसाब से सौ प्रतिशत पैराफिट,क्रैशबैरियर बनाए जाए। यदि संदर्भित घटनास्थल पर यह होते तो बस इसे टकराकर बस रुक या पलट सकती थी।पूर्व मुख्यसचिव संधू जी ने भी इसे संबंध में आदेश दिए थे जो लोक निर्माण विभाग की लापरवाही या शासन से बजट के अभाव में अब तक नहीं लग पाए हैं। हादसे की जांच में यात्री बस कितने साल पुरानी थी? फिटनेस थी या नहीं? बस ड्राइवर नशे में था या नहीं? सड़क के हालात कैसे थे? 45 सीटर बस में 55 यात्रियों को कैसे ठूसा गया? बस के ऊपर समान ओवरलोड था?आदि बिंदु आने जरुरी है। जांच के परिणामों को जनहित में सार्वजनिक किया जाय।पहाड़ों की सड़कों को स्मार्ट बनाने के लिए ट्रैफिक नियमो में आधुनिक एआई तकनीक का प्रयोग़ बसो,ट्रकों,ट्रैकरों में अनिवार्य बनाया जाय।आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से ड्राइविंग की स्पीड पर नियंत्रण के साथ ड्राइवर के नशे में होना भी पता लगाया जा सकेगा। इसे जीपीएस जिओफेंसिंग से जोड़ने से वाहनों की निगरानी भी की जा सकेगी।

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