इस देश में न प्राकृतिक जंगल हैं, न पहाड़ हैं, न झरने हैं, न नदियां, न ही खेती
Soulofindia
प्रकृति को अपने अनुकूल स्वयं बनाया है मालदीव Maldives ने-
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मालदीव में न प्राकृतिक जंगल हैं, न पहाड़ हैं, न झरने हैं, न तालाब हैं, न नदियां हैं, न पोखर हैं, न पशुधन हैं, न खेती है, न जमीन है। यहां तक की मिट्टी भी नहीं है। बस समुद्र समुद्र और समुद्र है। लेकिन दृढ़ निश्चय, दूर दृष्टि, पक्का इरादा और बड़ी सोच जितना है उसी में से सब कुछ निकाल लेती है। समुद्र के रेत बजरी से ही कुछ आइलैंड बनाए गए। कुछ समुद्र स्वयं ही बनाता गया। उन्हीं में जंगल उगाये गए। झरने पार्क सब बनाए गए। फूलों की क्यारियां सजाई गई। बड़े-बड़े महलनुमा अट्टालिकाएं बनाए गए और सारे आईलैंडस को हरे-भरे पेड़ों से आच्छादित कर दिया। कुछ पेड़ तो ऐसे हैं जो हिमालय के बड़े-बड़े पहाड़ और जंगलों में उगते हैं तथा जिनकी लंबाई बहुत होती है। यहां उस तरह के यह पेड़ उतने न हो सके हों किन्तु उन जैसे जरूर दिखते हैं। चीड़ और देवदार हिमालय की बहुत ऊंचाई पर उगने वाले वृक्ष हैं। यहां समुद्र तल पर भी इन लोगों की इच्छा शक्ति ने कोशिश की और कुछ पेड़ चीड़ देवदार जैसे दिखने लगे। यह भी अपने आप में सफलता का एक अभिनव प्रयोग है।
सबसे बड़ी बात यह है कि इसके साथ या झलकता है की शासन और प्रशासन की योजनाओं के अनुरूप उसको क्रियान्वित करने में वहां के नागरिक कितना सहयोगी और समर्पित है जो यहां पर एकदम सकारात्मक महसूस होता है। हर नागरिक अपनी कर्तव्यनिष्ठा और जिम्मेदारी के प्रति सजग दिखता है।
डॉ ० हरिनारायण जोशी अंजान