वरिष्ठ अधिवक्ता ने राष्ट्रपति से राहुल गांधी की संसद की सदस्यता समाप्त करने की मांग की
Soulofindia,हरिद्वार/ वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ अरविंद कुमार श्रीवास्तव ने राहुल गांधी की संसद की सदस्यता समाप्त करने की राष्ट्रपति से पुरजोर मांग की है/
उन्होंने जिलाधिकारी हरिद्वार के माध्यम से प्रेषित पत्र के माध्यम से बताया कि, भारतगण राज्य एक पंथनिरपेक्ष देश है तथा भारत का संविधान सन् 1950 के द्वारा भारत में सरकारों का चयन भारत की सम्मानित जनता द्वारा किया जाता है तथा भारत की जनता को अपने द्वारा चुने गये सांसदों से अपेक्षा रहती है कि वह देश की जनता के मान मर्यादा की रक्षा करेगा। भारत के संविधान द्वारा माननीय सांसदों के विरूद्ध अनावश्यक रूप से मुकदमे आदि देश की जनता ना कर सके, इसलिये भारत के संविधान 1950 के द्वारा अनुच्छेद 105 सांसदों के विशेषाधिकार की व्याख्या करते हुए उन्हें अनावश्यक रूप से दायर किये गये वादों से संरक्षण करता है। किन्तु संविधान निर्माताओं द्वारा संविधान में अनुच्छेद 105 रखते समय उनकी मंशा कतई भी यह नहीं रही होगी कि कोई सांसद सम्मानित संसद में देश के किसी एक वर्ग के विषय में गलत ब्यानी कर उनकी भावनाओं को जानबूझकर आहत करें और देश को तोडने का काम करे। भारत के संविधान अनुच्छेद 105 संविधान के अनुच्छेद 19 के साथ ही पढ़ा जायेगा। जहाँ संविधान का अनुच्छेद 19 का FREEDOM OF SPEECH AND EXPRESSION की व्याख्या करता है तथा अनुच्छेद 19 की उपधारा 2 में SPEECH AND EXPRESSION के राईट पर कुछ अनेक प्रकार की पाबन्दियां भी लगाई गयी है। SPEECH AND EXPRESSION Article 19 RIGHT TO FREEDOM (2) व्यवस्था करता है Nothing is sub-close (A) of close (1) shall effect the operation of any existing law, or prevent the state from making any law, in saw far as such law imposise responsible retriction on the exercise of conferred by the said sub- close in the intrest of (the sovereignty and intergrity of india) The secuinrity of the state, friendly relations with foreign states, public order, dencecy or maorality, or in relation to contempt of court, defamation of incitement two an offence वर्तमान में भारत के N.D.A. 3.0 की सरकार बनी है तथा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के नेता श्री राहुल गाँधी जी विपक्षी के नेता चुने गये हैं तथा विपक्ष का नेता चुने जाने के बाद उनमें अत्यन्त उत्साह आ गया है व उनके सोचने समझने की शक्ति समाप्त हो गयी है तथा ऐसा प्रतीत होता है कि वे अपना मानसिक सन्तुलन खो चुके हैं और भारत के संविधान में एक सांसद के लिए दी गयी अर्हिताओं में यह भी महत्वपूर्ण शर्त दी गयी है कि कोई भी मानसिक रूप से विक्षिपत व्यक्ति सांसद बनने योग्य नहीं होता। क्योंकि राहुल गांधी ने दिनांक 01.07.2024 को संसद सत्र में अपने अभिभाषण में कथन किया है कि, जो व्यक्ति अपने को हिन्दू कहता है, वह हिंसक है, 24 घंटे हिंसा करता है, हिंसा हिंसा हिंसा असत्य असत्य असत्य वह हिन्दू है ही नहीं। इसके अलावा सांसद ने हिन्दू धर्म को मानने वाले लोगों के अराध्य भगवान श्री शिव व उनके त्रिशूल का भी अपमान किया है। राहुल गाँधी का उपरोक्त अभिभाषण के दौरान हिन्दू धर्म को मानने वाले समस्त 120 करोड भारतीयों का अपमान किया है। जिससे देश में अराजकता फैलने की सम्भावना है तथा ऐसे व्यक्ति को भारत जैसे महान देश का सांसद बने रहने का कोई अधिकार नहीं रह गया है। डॉ अरविंद कुमार श्रीवास्तव एडवोकेट ने महामहिम राष्ट्रपति से पत्र के माध्यम से अनुरोध किया है कि राहुल गांधी को संसद पर से प्रकाश तक कर उनकी भारत की नागरिकता भी समाप्त की जानी चाहिए इस पत्र की प्रतिलिपियां उन्होंने प्रधानमंत्री कानून मंत्री एवं गृह मंत्री को प्रसिद्ध की है ।