शब्दवीणा की साहित्यिक भेंटवार्ता “सत्यम् शिवम् सुंदरम्”का हुआ शुभारंभ
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-प्रगति पंथ पर उत्तरोत्तर अग्रसर रहे शब्दवीणा : आचार्य ओम नीरव*
गया। राष्ट्रीय साहित्यिक-सह-सांस्कृतिक संस्था ‘शब्दवीणा’ द्वारा आयोजित साप्ताहिक साहित्यिक भेंटवार्ता “सत्यम् शिवम् सुंदरम्” का अविस्मरणीय शुभारंभ लेखक, समीक्षक एवं गीतिका विधा के प्रवर्तक प्रख्यात साहित्यकार आचार्य ओम नीरव द्वारा हिन्दी कविताओं में छंदों के प्रयोग पर दिये गये सारगर्भित विचारों तथा प्रस्तुत सुमधुर गीतों के साथ हुआ। शब्दवीणा की राष्ट्रीय साहित्य मंत्री-सह-वार्ताकार कवयित्री वंदना चौधरी एवं कार्यक्रम से जुड़े दर्शकों ने आचार्य नीरव से हिन्दी भाषा एवं साहित्य, गद्य, पद्य, तथा गीतिका विधा से संबंधित अनेक प्रश्न पूछे तथा उत्तर पाकर अति हर्षित तथा संतुष्ट जान पड़े। इस भेंटवार्ता के साक्षी देश के विभिन्न प्रदेशों से जुड़े शब्दवीणा पदाधिकारी, सदस्य एवं जाने-माने साहित्यकारगण बने। राष्ट्रीय साहित्य मंत्री वंदना चौधरी द्वारा प्रस्तुत सुमधुर सरस्वती वंदना एवं शानदार संचालन की सभी ने प्रशंसा की। आचार्य ओम नीरव ने शब्दवीणा की संस्थापक-सह-राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो.डॉ. रश्मि प्रियदर्शनी एवं समस्त शब्दवीणा परिवार को इस अत्यंत सुंदर तथा उद्देश्योन्मुख साहित्यिक आयोजन हेतु हार्दिक शुभकामनाएं दीं।
आचार्य नीरव ने सद्साहित्य के सृजन के लिए हृदय में “सत्यम्, शिवम्, सुंदरम्” के भावों को आवश्यक ठहराया। कार्यक्रम के नाम की सार्थकता पर भी अपने विचार रखे।आचार्य नीरव ने कहा कि कविता को सरस तथा उत्कृष्ट बनाने में छंदों की अहम भूमिका होती है। कविता की भाषा सहज, सरल, सरस, सुनियोजित तथा सर्वग्राह्य होनी चाहिए। कविताओं का लिखा जाना तभी सार्थक है, जब उससे समाज में सकारात्मकता तथा जागरूकता का सृजन व संचार हो। आचार्य नीरव के अनुसार, हिन्दी में भी विभिन्न भाषाओं के शब्दों का प्रयोग किया जा सकता है, लेकिन हिन्दी व्याकरण का अनिवार्य रूप से ध्यान रखना चाहिए। कहा कि हिन्दी भाषा के संस्कार समस्त भारतीय संस्कृति को समेटे हुए हैं। आचार्य ओम नीरव ने स्वयं को आचार्य की जगह विद्यार्थी बताते हुए वर्णिक छंद, मात्रिक छंद, मुक्त छंद, रबर छंद, रोला, मापनी, सवैया, गीतिका छंदों पर भी अपने विचार रखे। उन्होंने गीतिका को छंद नहीं, अपितु एक विधा बताया। दर्शकों के आग्रह पर अपने प्रसिद्ध स्वरचित गीतों को भी अपने सुमधुर स्वर में सुनाया।
आचार्य नीरव ने शब्दवीणा संस्था को प्रगति पंथ पर उत्तरोत्तर अग्रसर रहने हेतु हार्दिक शुभकामनाएं दीं। डेढ़ घंटे से अधिक समय तक चले इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण शब्दवीणा केन्द्रीय फेसबुक पेज से किया गया, जिसका आनंद शब्दवीणा के राष्ट्रीय सचिव महावीर सिंह वीर, राष्ट्रीय उप सचिव राजमणि मिश्र, अनुराग सैनी मुकुंद, डॉ. रवि प्रकाश, पी. के. मोहन, पंकज मिश्र, अजय वैद्य, पंकज मिश्र, मृदुल, डॉ. कैलाश नाथ मिश्र, अभिषेक अग्निहोत्री, नंद कुमार जोशी, सरोज कुमार, ओंकार साहू मृदुल, ज्ञानेन्द्र मोहन ज्ञान, दिनेश कुमार, पुरुषोत्तम तिवारी, विभा जोशी, भारती पायल, बोधिसत्व कस्तूरिया, डी एन झा, अरुण यादव, अजय अगत, टुन्नू दांगी सहित सैकड़ों साहित्यानुरागियों ने उठाया।