जल विद्युत परियोजनाओं में घटा बिजली उत्पादन, बारिश बनी वजह
उत्तरकाशी। जनवरी में भी आखिरकार बारिश नहीं हुई जबकि मौसम कई बार बना/बारिश न होने से भागीरथी नदी सहित सहायक नदियों और जल स्रोतों में वाटर डिस्चार्ज घटता जा रहा है। इसका असर बिजली उत्पादन पर भी पड़ रहा है। मनेरी भाली जल विद्युत परियोजना सहित लघु जल विद्युत परियोजनाओं से बिजली उत्पादन में कमी आई है। यदि इस सीजन में बारिश की कमी के चलते भागीरथी नदी के वाटर डिस्चार्ज में भी कमी आई है। स्थिति ये है कि पूर्व में इस दौरान जहां 35 क्यूमेक्स से अधिक वॉटर डिस्चार्ज रहता था, वहीं अब यह 28 से कम हो गया है। इसके चलते एक टर्बाइन चलाने के लिए जरूरी 34 से 35 क्यूमेक्स का डिस्चार्ज भी नहीं मिल पा रहा है। इसके कारण करीब 100 मेगावाट उत्पादन क्षमता वाली मनेरी भाली परियोजना प्रथम चरण के तिलोथ पावर हाउस से बमुश्किल प्रतिदिन एक मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन हो पा रहा है। जबकि यह एक मिलियन यूनिट बिजली से अधिक ही रहता था.जल्द बारिश और बर्फबारी नहीं हुई तो आने वाले दिनों के साथ गर्मियों में बिजली संकट गहरा सकता है। वहीं 304 मेगावाट क्षमता की द्वितीय चरण परियोजना के धरासू पावर हाउस में भी एक टर्बाइन चलाने लायक पानी नहीं मिल पा रहा है। इसके चलते जल विद्युत निगम जोशियाड़ा बैराज में जलाशय के भरने पर चैबीस घंटे में 8 से 10 घंटे ही दो टर्बाइन चला पा रहे हैं। जिससे 1.5 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन हो रहा है। कभी यह 7 मिलियन यूनिट तक रहता था। उधर, बड़कोट तहसील की गंगनानी लघु जल विद्युत परियोजना और बडियाड़ गाड़ लघु जल विद्युत परियोजना में भी बिजली उत्पादन गिरा है। 8 मेगावाट क्षमता की गंगनानी लघु जल विद्युत परियोजना से मात्र 2 मेगावाट और 5 मेगावाट क्षमता की बडियाड़ गाड़ लघु जल विद्युत परियोजना से एक मेगावाट बिजली का ही उत्पादन हो पा रहा है। ऐसे में जल्द बारिश और बर्फबारी नहीं हुई तो आने वाली गर्मियों में बिजली संकट गहरा सकता है। यूजेवीएनएल देहरादून के पीआरओ विमल डबराल का कहना है कि बारिश न होने से भागीरथी नदी के वॉटर डिस्चार्ज में कमी आ रही है। इससे बिजली उत्पादन में गिरावट जारी है. ऐसा ही रहा तो आने वाले समय दिक्कत होगी।