*प्रशांत का हुआ उत्तराखण्ड पीसीएस में चयन*
सोल ऑफ इंडिया,
दशरथ मांझी के वाक्य ‘जब तक तोड़ेंगे नहीं तब तक छोड़ेंगे नहीं’ को उन्नाव, उत्तरप्रदेश के निवासी प्रशांत शुक्ल ने वास्तविक जीवन में चरितार्थ कर दिखाया।
अपनी सिविल सेवा यात्रा पर बात करते हुए वह बताते है कि सिविल सेवा के प्रति लगाव के चलते, साफ्टवेयर इंजीनियर के सफल कैरियर को छोड़कर उन्होने सिविल सेवा की तैयारी करने का फैसला लिया। वह भावुक हो कहते है कि उन्हें इसका बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि यह एक लम्बा व कठिन संघर्ष होने वाला था। लगातार विभिन्न लोक सेवा आयोगों की मुख्य परीक्षा व साक्षात्कार देने के बावजूद उनका चयन अंतिम रूप से नहीं हो पा रहा था।
इसी बीच वह बताते है कि इसी बीच उनकी माता जी सुषमा शुक्ला का देहांत हो गया और वर्ष 2021 में सबसे छोटे भाई सत्यम शुक्ला की स्वर्गवास हो गया। सत्यम का चयन 64वीं बिहार पीसीएस में हो गया था जिसका परिणाम उनके इस दुनिया से जाने के बाद मई 2021 में आया।
वह बताते है कि इन परिस्थितियों में उन्हे तैयारी छोडकर साफ्टवेयर क्षेत्र में पुनः कैरियर शुरू करने का विचार भी आया ।
इस परिस्थिति में ईश्वर की प्रेरणा ने तथा पिता अवधेश चन्द्र शुक्ला (जो स्वयं जिला युवा कल्याण अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त है) , मयूर दुबे ,पारूल दुबे ,शुभम, दिया तथा डाँ ज्योति प्रसाद गैरोला ने उन्हें नए जोश के साथ संघर्ष के लिए प्रेरित किया।
कहते है कि “हर घने अंधेरे के बाद प्रातः होती है।” इस संघर्ष का परिणाम सुखद रहा और प्रशान्त का उत्तराखण्ड पी सी एस 2021 में अंतिम रूप से चयन हुआ हो गया।
प्रशांत के मित्र डाँ ज्योति प्रसाद गैरोला, जो स्वयं राजकीय कालेज में प्रवक्ता है, बताते है प्रशांत की यह सफलता निरंतर संघर्ष व धैर्यता का परिणाम है।