किसी भी समुदाय के विरुद्ध नहीं हैं समान नागरिक संहिता: श्रीमहंत रविन्द्र पुरी

हरिद्वार।
26 मार्च 2025
एस एम जे एन पीजी कॉलेज हरिद्वार में कॉलेज के आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ, हरिद्वार नागरिक मंच तथा यूको बैंक के संयुक्त तत्वाधान में ‘समान नागरिक संहिता उत्तराखंड राज्य’ विषय पर आयोजित की जा रही दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार के दूसरे दिन भी बौद्धिक मंथन में समाज के विभिन्न क्षेत्रों से आए अधिकारियों, अतिथियों, छात्र-छात्राओं, कॉलेज के शिक्षकों तथा कर्मचारियों ने उत्साह पूर्वक प्रतिभाग किया।
इस अवसर पर शासकीय अधिवक्ता नीरज गुप्ता, महिला अधिवक्ता अजरा कोमल ,छात्र अधिष्टाता छात्र कल्याण डा संजय माहेश्वरी, विधि स्नातक-पत्रकार संदीप रावत ने जिज्ञासु विद्यार्थियों के प्रश्नोत्तर सत्र में जवाब दिए।
इस अवसर पर अपने शुभकामना संदेश में श्रीमहंत रविन्द्र पुरी जी महाराज, अध्यक्ष, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने कहा कि समान नागरिक संहिता के विषय में समाज में भ्रम फैलाया जा रहा हैं कि यह किसी समुदाय के विरुद्ध बनाया हुआ कानून हैं। श्रीमहंत ने कहा कि समान नागरिक संहिता तो सभी धर्मों तथा सभी वर्गों को एक समान दृष्टि से देखता हैं और सभी को समानता का अवसर प्रदान करता हैं। इस अवसर पर अपने शुभकामना सन्देश में महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो सुनील कुमार बत्रा ने आतंरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ को सफल कार्यक्रम के आयोजन के लिए बधाई प्रेषित करते हुए कहा कि समान नागरिक संहिता लिव इन रिलेशन में जन्मे बच्चे को भी उसका अधिकार दिलाता हैं। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि शासकीय अधिवक्ता श्री नीरज कुमार गुप्ता ने समान नागरिक संहिता विषय पर अपनी बात रखते हुये कहा कि इस कानून में विशेष रूप से महिलाओं के अधिकारों का ध्यान रखा गया है । उन्होनें बताया कि समान नागरिक संहिता में मुख्य रूप से विवाह,तलाक, लिव इन रिलेशन और उत्तराधिकार पर कानूनी प्रकाश डालता है । अधिवक्ता नीरज गुप्ता ने यू सी सी से सम्बन्धित शंकाओं का समाधान भी किया
। इस अवसर पर उपस्थित एडवोकेट अजरा कोमल ने जनजागरुकता के लिए महाविद्यालय परिवार के प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि समान नागरिक संहिता देश को नई ऊंचाई पर ले जाने की पहल हैं तथा महिलाओं को अतिरिक्त ताकत तथा सुरक्षा दे रही हैं ।
इस अवसर पर अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉक्टर संजय माहेश्वरी ने कहा कि समान नागरिक संहिता उत्तराखंड की लोक विरासत को भी संरक्षण दे रही हैं। उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता के दायरे में प्रवासी मूल उत्तराखंडी भी आएंगे।
अपने संबोधन में विधि स्नातक और पत्रकार संदीप रावत प्रश्नोत्तर सत्र में विद्यार्थियों के सवाल पर कहा की उत्तराखंड में लागू होने वाले यूसीसी (समान नागरिक संहिता) से अनुसूचित जनजातियों (एसटी) को बाहर रखने का मुख्य कारण उनकी विशिष्ट सामाजिक, सांस्कृतिक और पारंपरिक पहचान को संरक्षित करना है।यह संविधान में उन्हें दिए गए विशेष प्रावधानों के अनुरूप है।
कॉलेज के छात्र छात्राओं द्वारा यू सी सी के प्रति समाज में जागरूकता के लिये नाटिका भी आयोजित की गई जिसमें पिंकी,सौरभ,मोना,दिव्याशुं नेगी,शीतल,भव्या,राज,अनसुईया,नेहा,ऋषिका,वंश और शंशाक ने प्रतिभाग किया। इस अवसर पर श्री यादवेंद्र सिंह ने व्याख्यान के माध्यम से विवाह पंजीकरण की प्रक्रिया को समझाया। कार्यक्रम में मंच का सफल संचालन डॉ० पूर्णिमा सुंदरियाल और डॉ० पल्लवी के द्वारा किया गया। इस अवसर पर डाॅ. शिवकुमार चौहान, डाॅ. मनोज सोही, वैभव बत्रा, दिव्यांश शर्मा, हरीश चंद्र, डाॅ. विनीता चौहान, श्रीमती रिचा मिनोचा, श्रीमती कविता छाबड़ा, श्रीमती रिंकल गोयल, डाॅ. लता शर्मा, डाॅ. आशा शर्मा, डाॅ. मोना शर्मा, डाॅ. रेनू सिंह, डाॅ. सरोज शर्मा,डाॅ. पुनीता शर्मा, डॉ विजय शर्मा, कार्यालय अधीक्षक मोहन चंद्र पाण्डेय, संजीत कुमार, प्रिंस श्रोत्रिय आदि उपस्थित रहे।