ईश्वर की अदालत में किसी का जोर नहीं चलताः भारती
देहरादून। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के संस्थापक एवं संचालक सद्गुरू आशुतोष महाराज की असीम अनुकम्पा से संस्थान द्वारा अपने निरंजनपुर स्थित आश्रम सभागार में विशाल स्तर पर साप्ताहिक रविवारीय सत्संग-प्रवचनों तथा मधुर भजन-संर्कीतन के कार्यक्रम का आयोजन किया गया। संस्थान की प्रचारिका साध्वी अनीता भारती ने उपस्थित भक्तजनों के समक्ष अपने विचारों को प्रस्तुत करते हुए बताया कि ईश्वर की अदालत में जीव का जोर नहीं चलता क्योंकि मनुष्य अपने कर्मों को मनुष्यों से तो छुपा सकता है किन्तु ईश्वर से अपने कर्मों को नहीं छुपा सकता, जब मनुष्य को अपनी मंजिल का रास्ता ही नहीं पाता तो वह इस संसार में भटकता हीं रहता है।
संत महापुरूषों के उपदेशों को ग्रहण करके यदि मनुष्य अच्छे कर्म करे तो वह ईश्वर की प्राप्ति भी कर सकता है जिस प्रकार एक चोर संत के उपदेश पाकर सत्य बोलकर मंत्री की उपाधि को भी पा सकता है उसी प्रकार यदि मनुष्य अपने जीवन में सत्य को ग्रहण करे तो मनुष्य भी ईश्वर की प्राप्ति कर सकता है। संत महापुरूष समझाते है कि माया अग्नि समान होती है जितना बुझाने की प्रयास करे वह उतनी ही आस को बढ़ती जाती है। जब मनुष्य को भूख लगती है तो वह भोजन को ग्रहण करता है उसी प्रकार माया भी एैसी ही होती है जब मनुष्य की कोई इच्छा पूर्ण होती है तभी अन्य इच्छाएं उत्पन्न हो जाती है। संत महापुरूष बताते है कि यह माया बड़ी ठगनी होती है यह सुख व आनन्द देने वाली नहीं होती। आत्मा का तो घर परमात्मा होते है फिर भी मनुष्य संसार में भटकते हुए मलिन (अपवित्र) हो गया है। जब संत महापुरूष जीव की आत्मा को परमात्मा से मिलवा देते है तो वह जीव भी ईश्वर को प्राप्त कर लेता है और वह मनुष्य जन्म-मरण बंधनों से मुक्त हो जाता है। कार्यक्रम के समापन पर प्रसाद का वितरण किया गया।