बहुआयामी हैं ‘शब्दवीणा सृजन त्रिविधा’ के उद्देश्य : डॉ. रश्मि

गया। राष्ट्रीय साहित्यिक-सह-सांस्कृतिक संस्था ‘शब्दवीणा’ द्वारा प्रत्येक शुक्रवार आयोजित होने वाली संगीत संध्या ‘सरगम’ एवं प्रत्येक रविवार आयोजित होने वाली भेंटवार्ता ‘सत्यम् शिवम् सुन्दरम्’ को श्रोताओं एवं दर्शकों से काफी सराहना मिल रही है। जहाँ ‘सरगम’ कार्यक्रम संगीत की गायन एवं वादन विधाओं से जुड़ा है, वहीं ‘सत्यम् शिवम् सुंदरम्’ कार्यक्रम में साहित्यिक तथा सांस्कृतिक जगत की चर्चित तथा प्रेरक हस्तियों के साथ भेंटवार्ता आयोजित की जा रही है। शब्दवीणा की संस्थापक-सह-राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. डॉ. रश्मि प्रियदर्शनी ने बताया कि 22 फरवरी से प्रत्येक शनिवार को ‘शब्दवीणा सृजन त्रिविधा’ नाम से एक साप्ताहिक कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा, जिसमें हर शनिवार रात्रि 8.00 बजे से 9.00 बजे तक तीन बाल, युवा, अथवा वरिष्ठ रचनाकारों का समूह साहित्य की तीन मूल विधाओं गद्य, पद्य अथवा नाटक विधाओं पर आधारित प्रस्तुतियाँ देंगे। सृजन त्रिविधा का शुभारंभ मथुरा के कवि रामदेव शर्मा राही, बेंगलुरु के कवि निगम राज़ एवं बरेली की कवयित्री नेहा मिश्रा के काव्य पाठ से किया जायेगा। संचालन शब्दवीणा की दिल्ली प्रदेश संगठन मंत्री डॉ विभा जोशी द्वारा किया जायेगा। हर शनिवार आयोजित होने वाले इस साप्ताहिक साहित्यिक आयोजन का आनंद साहित्यप्रेमी फेसबुक पर शब्दवीणा केन्द्रीय पेज से उठा सकेंगे।
डॉ. रश्मि ने कहा कि साहित्य का दायरा सिर्फ कविता लेखन अथवा काव्य पाठ तक ही सीमित नहीं कर दिया जाना चाहिए। इससे साहित्यिक सृजन में नीरसता तथा उबाऊपन भी आ जाने की संभावना बन जाती है। कथाकारों, लेखकों, समीक्षकों, निबंधकारों, नाटककारों, व्यंग्यकारों, विचारकों, प्रतिवेदकों एवं पत्रकारों के लिए भी संवादात्मक साहित्यिक मंच होना जरूरी है। शब्दवीणा द्वारा प्रत्येक शनिवार नियमित रूप से आयोजित होने वाले कार्यक्रम “सृजन त्रिविधा” में इन्हीं उद्देश्यों को ध्यान में रखा जायेगा। ‘सृजन त्रिविधा’ कार्यक्रम से रचनाकारों की रुचि केवल कविता लेखन एवं वाचन तक ही सीमित नहीं रखकर, कथा, लघु कथा, नाटक, संस्मरण, व्यंग्य, साहित्यिक संवाद, रिपोतार्ज, आलेख लेखन आदि में भी बढ़ाने की कोशिश की जायेगी। ‘शब्दवीणा सृजन त्रिविधा’ कार्यक्रम के आयोजन के उद्देश्य बहुआयामी हैं एवं इसके प्रभाव अत्यंत सृजनात्मक होंगे।