सांसद को उत्तराखंड के प्रत्येक जिले में वाणिज्य न्यायालय को स्थापना हेतु ज्ञापन सौंपा

0

हरिद्वार के वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ अरविंद कुमार श्रीवास्तव ने प्रधानत्री श्री नरेंद्र मोदी को द्वारा राज्य सभा सांसद श्री राकेश सिन्हा से मिलकर उत्तराखंड के प्रत्येक जिले में वाणिज्य न्यायालय को स्थापना हेतु ज्ञापन सौंपा ।
उन्होंने बताया कि रूल ऑफ लॉ एंड जस्टिस फाउंडेशन वादकारियों को सस्ता व सुलभ न्याय दिलाने हेतु देश में काफी लंबे समय से कार्य कर रही है, भारत सरकार द्वारा सस्ता, सुलभ और शीघ्र न्याय हेतु वर्ष 2015 में वाणिज्यिक न्यायालय अधिनियम पारित इस उदेश्य की पूर्ति हेतु किया गया था कि देश में वाणिज्यिक न्यायालय का गठन होने के पश्चात् वदिकारियों को सुलभ और सस्ता न्याय प्राप्त हो सकेगा, किन्तु उत्तराखंड सरकार द्वारा वाणिज्यिक न्यायालय का गठन करते हुए समस्त उत्तराखंड के वादकारियों के लिए मात्र देहरादून व हल्द्वानी जिला नैनीताल में वाणिज्यिक न्यायालय की स्थापना की गई है. जिसके उपरात जो उत्तराखंड के विभिन्न न्यायालयों में वाणिज्यिक वाद विचाराधीन थे उन्हें वाणिज्यिक न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया है. तथा नये वाणिज्यिक वाद का दायरा भी हो रहा है, जिस कारण उत्तराखंड राज्य की मात्र दो वाणिज्यिक न्यायालय पर पुरे प्रदेश के वाणिज्यिक वाद का भार पड़ गया है, जिसकारण वाणिज्यिक न्यायालय में क्षमता से अधिक वर्तमान में लगभग 15000 वाद विचाराधीन हैं तथा उनमे सुनवाई हेतु नियत की जाने वाली तिथि लगभग तीन माह के अन्तराल में पड रही है.
जिससे वादकारियों को न्याय मिलना काफी कठिन हो गया है तथा न्याय काफी लम्बित हो गया है। जिस कारण वादकारियों के शुलभ एवं त्वरित न्याय के लिये उत्तराखण्ड के प्रत्येक जिले में वाणिज्यिक न्यायालय की स्थापना अत्यन्त आवश्यक है। जैसे जैसे वादकारियों अधिवक्ताओं को वाणिज्यिक न्यायालय अधिनियम 2015 की जागरूकता बढ़ेगी, ऐसे ऐसे ही दायर होने वादों की संख्या में भी इजाफा होगा तथा उत्तराखण्ड में दो ही न्यायालय होने के कारण विलम्ब बढ़ता जायेगा तथा न्याय की मशा फोत हो जायेंगी। वर्तमान समय में जब न्याय चला निर्धन से मिलने की परिकल्पनों पर भारत का समस्त न्यायालय अग्रसर है तब उत्तराखण्ड राज्य में दो ही वाणिज्यक न्यायालय होना विरोधाभाषी है।

वाणिज्यिक न्याय अधिनियम 2015 की धारा 3 में साणिज्यिक न्यायालयों का गठन दिया गया है जिसके अनुसार राज्य सरकार सम्बिन्धत उच्च न्यायालय से परामर्श करने के पश्चात अधिसूचना द्वारा इस अधिनियम के अधीन वाणिज्किय न्यायालयों पर प्रदत्त अधिकारिता और शक्तियो का प्रयोग करने के प्रयोजन के लिये जिला स्तर पर उतने ऐसे न्यायालयों का गठन कर सकेंगी, जितना यह आवश्यक समझे परन्तु आरम्भिक सिविल अधिकारिता वाले उच्च न्यायालयों के सम्बन्ध में राज्य सरकार अधिसूचना द्वारा सम्बन्धित उच्च न्यायालय के परामर्श के पश्चात जिला न्यायाधीश स्तर पर वाणिज्यिक न्यायालयों की स्थापना कर सकेगी।
(1 क) इस अधिनियम के किसी वाद के होते हुये भी राज्य सरकार सम्बन्धित उच्च न्यायालय से परामर्श के पश्चात अधिसूचना द्वारा सम्पूर्ण राज्य या राज्य के भाग के लिये ऐसा घनीय मूल भी निर्दिष्ट कर सकेगी जो यह उचित समझे, जो 3 लाख रुपये या ऐसे उच्चतर मूल्य से कम नही होगा।
2 राज्य सरकार सम्बन्धित उच्च न्यायालय से परामर्श करने के एश्चात अधिसूचना द्वारा उस क्षेत्र की स्थानीय सीमाये भी निर्दिष्ट करेगी जिस पर किसी वाणिज्यिक न्यायालय की अधिकारिता का विस्तार किया जायेगा और समय समय पर ऐसी सीमाओं को बढ़ा सकेंगी कम कर सकेगी या उनमें परिवर्तन कर सकेगी।
3 राज्य सरकार उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति की सहमति से, या तो जिला न्यायाधीश के स्तर पर या किसी जिला न्यायाधीश के स्तर से निम्न किसी न्यायालय से ऐसे एक या अधिक व्यक्तियों को जिनके पास वाणिज्यिक विवादों के सम्बन्ध में कार्यवाही करने का अनुभव हो, वाणिज्यिक न्यायालय का या के न्यायाधीश नियुक्त कर सकेंगी।
इस कारण राज्य सरकार को निर्देशित किया जाए कि वह उत्तराखंड के प्रत्येक जिले में वाणिज्यिक न्यायालय की स्थापना करे । साथ में विनय कुमार, विवेक कुमार, गुरुमीत सिंह अधिवक्तागण उपस्थित रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Share