महाभारतकालीन ऐतिहासिक लाखामंडल-lakchagrh

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लाखामंडल–

टिहरी एवं उत्तरकाशी जिलों के मिलन भाग तथा देहरादून जिले के अंतिम छोर रंवांई-जौनसार क्षेत्र में स्थित है महाभारतकालीन ऐतिहासिक लाखामंडल। लाखामंडल अर्थात महाभारत कालीन संभवतया विश्व के सबसे बड़े षड्यंत्र लाक्षागृह की स्थापना। जहां दुर्योधन और मामा शकुनि के द्वारा पांचो पांडव और उनकी माताश्री कुंती को जिंदा जलाने की योजना बनाई गई थी। लेकिन कहा जाता है कि मारने वाले से बचाने वाला बड़ा। महात्मा विदुर की सूझबूझ से पांचो पांडव और उनकी माताश्री कुंती सकुशल गुफा मार्ग से बाहर निकले।
लाखामंडल स्थान पर यह गुफा आज जिज्ञासुओं के लिए शोध का विषय है।यह स्थान ही बहुत रमणीक और सौंदर्यमयी है। हिमालय की ऊंची ऊंची चोटियों के मध्य दूरस्थ रास्ता तय कर यहां पहुंचना होता है। देहरादून से यह दूरी लगभग 130 किलोमीटर है। प्राकृतिक सौंदर्य का कोई उपादान ऐसा नहीं है जो यहां उपस्थित न हो। गहरी गहरी घाटियों और ऊंची ऊंची चोटियों के मध्य चलकर जब हम इस चौरस मैदान में पहुंचे तो मन आह्लादित हो उठा। यह स्थान निश्चित रूप से कुछ समय बिताने के लिए स्वर्ग समान ही है। यहां पहुंचकर सारी थकान छूमंतर हो जाती है। मान्यता के अनुसार यहां पर पांडवों द्वारा स्थापित पौराणिक शिव मंदिर है जो अद्भुत शैली में है और अपनी पौराणिकता का गवाह स्वयं है। मंदिर परिसर काफी मैदानी जैसा है और उसमें पहाड़ की प्रसिद्ध पठालें बिछी हुई हैं जो बहुत आकर्षित करती है। विशेष बात यह है कि समय-समय पर यहां पर की जाने वाली खुदाई में अनेक मूर्तियां प्राप्त होती रहती हैं। इतने ऊंचे और दूरस्थ स्थान पर इन मूर्तियों का मिलना अपने आप में अचंभित करता है। मंदिर परिसर में ही बाहर एक बड़ा शिवलिंग स्थापित है। ज्ञात हुआ कि यह शिवलिंग भी कुछ वर्ष पहले खुदाई में ही प्राप्त हुआ है और विशेष बात यह है कि इस शिवलिंग में जल अर्पित करते हुए लिंग पर आईने के समान अपना प्रतिबिंब दिखाई देता है। यह भी बहुत आकर्षक है। यह धरती पूरी तरह से आध्यात्मिकता से ओतप्रोत लगती है। राज्य सरकार को चाहिए कि इस स्थान को विशेष धरोहर घोषित करें और यहां का उचित रखरखाव करें। पर्यटक और धार्मिक यात्रियों के लिए यह बहुत बड़ा आकर्षण का केंद्र हो सकता है क्योंकि यह स्थान निश्चित रूप से बहुत अद्भुत और अलौकिक है।

डॉ ० हरिनारायण जोशी अंजान

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