राजस्थान की कैर सांगरी की सब्ज़ी
राजस्थान पहुँचते ही सदैव की भाँति राजस्थानी कचौड़ी खाई और खाते ही मुँह से निकला कि इससे अच्छी राजस्थानी कचौड़ी तो लखनऊ में मिल जाती है. फिर लंच में Radha Goswammi जी ने कैर सांगरी की सब्ज़ी रिकमेंड की.
यद्यपि अब यह सब्ज़ी भी शेष भारत में अच्छे राजस्थानी रेस्टोरेंट में मिल जाती है, पर अगर इसका असल स्वाद लेना हो तो राजस्थान ही जाना पड़ेगा.
जिसने भी सबसे पहले इस सब्ज़ी को बनाया होगा वाक़ई बहुत इनोवेटिव व्यक्ति रहा होगा. कैर की बेरी और सांगरी की फली सुखा कर दो अलग अलग चीजों का कॉम्बिनेशन है यह सब्ज़ी. रेगिस्तानी इलाक़े में पाये जाने वाले पेड़ हैं. सब्ज़ी जल्दी ख़राब नहीं होती, परफ़ेक्ट है राजस्थान के हाई टेम्परेचर के लिये. तेल मसालेदार सब्ज़ी है. कैर कूलिंग इफ़ेक्ट देता है तो सांगरी की फली में मिनरल्स और विटामिन प्रचुर मात्रा में होते हैं. चूँकि इन्हें सुखा कर सब्ज़ी बनाई जाती है तो रेगिस्तानी इलाक़े में इसे तोड़ कर लंबे समय स्टोर भी कर सकते हैं.
सांगरी की फली खेजड़ी के पेड़ में होती है. इस वृक्ष की बिश्नोई समाज पूजा करता है. सैंकड़ों वर्ष पूर्व मारवाड़ के महाराजा ने अपना महल बनाने हेतु लकड़ी के लिये खेजड़ी के पेड़ काटने के आदेश दे दिये. इसके विरोध में पूरा बिश्नोई समाज अमृता देवी के नेतृत्व में सामने आया. पूरे समाज के लोग पेड़ों से चिपक गये और प्रण कर लिया कि जीवित रहते पेड़ नहीं काटने देंगे. 363 लोगों ने अपनी जाने दे दीं पेड़ बचाने के लिए.
पूरे विश्व के इतिहास में पर्यावरण की रक्षा हेतु इतना ज़बरदस्त बलिदान कभी किसी ने नहीं दिया. तबसे इस पेड़ को काटने पर पूर्ण पाबंदी है. हर साल इन बलिदानी आत्माओं की याद में मेला लगता हैबौर एक म्यूजियम भी बनाया गया है.