पत्रकार महासंघ ने पीसीआई सब कमेटी के समक्ष उठाई विज्ञापन से सम्बन्धित समस्याएं
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यह जरूरी है कि यहां निकलने वाले छोटे और तमाम समाचार पत्रों के हितों को ध्यान में रखकर ही भविष्य में कोई विज्ञापन नीति बनायी: बीना उपाध्याय
देहरादून। उत्तराखण्ड पत्रकार महासंघ ने छोटे अखबारों सहित तमाम समाचार पत्रों – पत्रिकाओं के हितों को ध्यान में रखकर विज्ञापन नीति बनाए जाने का आग्रह भारतीय प्रेस परिषद की सब कमेटी से किया है।
दरअसल उत्तराखंड प्रिंट मीडिया, विज्ञापन नीति के संबंध में पत्रकारों के विचार, सुझाव लेने के लिए उत्तराखंड आयी भारतीय प्रेस परिषद की सब कमेटी ने यहां सचिवालय के मीडिया सेंटर में पत्रकार संगठनों, प्रेस क्लबों और समाचार पत्रों के स्वामियों, प्रकाशकों, प्रतिनिधियों के साथ बैठक की। संयोजक गुरिन्दर सिंह की अगुआई में आयी सब कमेटी में सदस्य श्याम सिंह पंवार और आरती त्रिपाठी शामिल थे। सब कमेटी के अन्य सदस्य प्रो राजपूत बैठक में वीसी के माध्यम से पत्रकारों के साथ जुडे।
इस बैठक में कई पत्रकार संगठनों के प्रतिनिधियों ने विज्ञापन से सम्बन्धित समस्याओं को कमेटी के समक्ष उठाया। बैठक में उत्तराखंड पत्रकार महासंघ ने भी विज्ञापन नीति को लेकर सुझाव दिए और पत्रकारों की अन्य समस्याओं की ओर कमेटी का ध्यान दिलाया।
महासंघ के केन्द्रीय अध्यक्ष निशीथ सकलानी के निर्देशानुसार प्रदेश उपाध्यक्ष श्रीमती बीना उपाध्याय के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने इस बैठक में भाग लिया। इस दौरान प्रदेश उपाध्यक्ष श्रीमती बीना उपाध्याय ने महासंघ की ओर पत्रकारों की समस्याओं को उठाया। उन्होंने सब कमेटी को लिखित रूप में एक ज्ञापन भी दिया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाला राज्य है। यहां से निकलने वाले सभी समाचार पत्र के स्वामी, प्रकाशक संसाधनों के अभाव में या बेहद कम संसाधनों के साथ समाचार पत्रों का प्रकाशन करते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि यहां निकलने वाले छोटे और तमाम समाचार पत्रों के हितों को ध्यान में रखकर ही भविष्य में कोई विज्ञापन नीति बनायी जिसके तहत सभी समाचार पत्र – पत्रिकाओं को बिना किसी भेदभाव के एक समान रूप से विज्ञापन मिल सके जिससे वे अपने समाचार पत्र को निरन्तर प्रकाशित कर सके और उनका विकास कर सके। उन्होंने कहा कि साप्ताहिक, पाक्षिक और मासिक जैसे छोटे समाचार पत्र – पत्रिकाओं को भी दैनिक की भांति सभी सजावटी विज्ञापन और टेंडर सूचनाएं दिए जाने का कदम उठाया जाए। उन्होंने सब कमेटी से अनुरोध किया कि ऐसी व्यवस्था भी की जाए जिससे डीएवीपी के विज्ञापन भी पूर्व की तरह छोटे अखबारों को मिल सके। उन्होंने कि पहले दैनिक अखबारों के साथ ही प्रत्येक छोटे समाचार पत्रों को भी विभिन्न अवसरों पर विज्ञापन दिए जाते थे लेकिन अब कई वर्षों से छोटे मध्यम समाचार पत्रों की अनदेखी की जा रही है। महासंघ की उपाध्यक्ष ने कहा कि अखबारी कागज, स्याही व प्रिटिंग सहित सारी सामग्री पहले की अपेक्षा मंहगी हो गयी है और रोज दाम बढ रहे लेकिन समाचारों की विज्ञापन दरों में बढ़ोतरी नहीं हो रही। उन्होंने सब कमेटी से इस बारे में अपने स्तर से कार्यवाही कर विज्ञापन दरों में बढ़ोतरी कराने का भी आग्रह किया। उन्होंने यह भी कहा कि 2024 में डीएवीपी द्वारा समान प्रसार संख्या वाले कई अखबारों की दर घटा तो कई की दर को बढा दिया जो न्यायोचित नहीं है। इस खामी को दूर किया जाना चाहिए। उन्होंने राज्य स्तर पर विज्ञापन आवंटन में होने वाले भेदभाव की ओर भी भारतीय प्रेस परिषद की सब कमेटी का ध्यान आकर्षित किया। इस अवसर पर महासंघ के सदस्य नरेश रोहिला ने भी छोटे समाचारों की कठिन आर्थिक स्थिति की ओर सब कमेटी का ध्यान दिलाया और विश्वास व्यक्त किया कि भविष्य सब कमेटी ऐसी विज्ञापन नीति बनाए जाने के संबंध में सरकार को अपनी सिफारिश करेगी जिससे सभी समाचार पत्रों को अपने विकास का अवसर मिल सके।
सब कमेटी संयोजक ने बैठक में आए पत्रकार संगठनों के प्रतिनिधियों को आश्वस्त किया कि वह यहां मिले सुझाव को शासन के समक्ष रखकर समस्याओं के समाधान की भी कोशिश करेंगे।
बैठक में महासंघ के प्रदेश सचिव सुभाष कुमार, जिला अध्यक्ष कैलाश सेमवाल, जिला महामंत्री कृपाल सिंह बिष्ट, घनश्याम जोशी, राजेन्द्र सिराडी और शिवनारायण