खुजली एक प्रकार का संक्रामक रोग है और यह रोग त्वचा के किसी भी भाग में हो सकता है। यह रोग अधिकतर हाथों और पैरों की उंगुलियों के जोड़ों में होता है। खुजली दो प्रकार की होती है सूखी खुजली तथा तर या गीली खुजली।

*खुजली होने का लक्षण:*खुजली (Eczema)
जब खुजली का रोग किसी व्यक्ति को हो जाता है तो उस व्यक्ति की शरीर की त्वचा पर छोटे-छोटे दाने (फुंसियां) निकलने लगते हैं। इन दानों के कारण व्यक्ति की त्वचा पर बहुत अधिक जलन तथा खुजली होती है। जब रोगी व्यक्ति फुंसियों को खुजलाने लगता है तो वे फूटती हैं और उनमें से तरल दूषित द्रव निकलता है।

*खुजली होने के कारण:*
खुजली होने का सबसे प्रमुख कारण शरीर में दूषित द्रव्य का जमा हो जाना है। जब रक्त में दूषित द्रव्य मिल जाते हैं तो दूषित द्रव शरीर की त्वचा पर छोटे-छोटे दानों के रूप में निकलने लगते हैं। शरीर की ठीक प्रकार से सफाई न करने के कारण भी खुजली हो जाती है। पाचनतंत्र खराब होने के कारण भी खुजली रोग हो सकता है क्योंकि पाचनतंत्र सही से न काम करने के कारण शरीर के खून में दूषित द्रव्य फैलने लगते हैं जिसके कारण खुजली हो सकती है।अधिक औषधियों का सेवन करने के कारण भी खुजली हो सकती है।

खुजली (Eczema)

*खुजली होने पर प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:*
खुजली का उपचार करने के लिए कभी भी पारा तथा गन्धक आदि विषैली औषधियों का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि इनके प्रयोग से शरीर में और भी अनेक बीमारियां हो सकती हैं।खुजली रोग का उपचार करने के लिए रोगी व्यक्ति को 2-3 दिनों तक फलों और साग-सब्जियों का रस पीकर उपवास रखना चाहिए।उपवास रखने के समय रोगी व्यक्ति को गर्म पानी से एनिमा क्रिया करनी चाहिए ताकि पेट साफ हो सके। इसके बाद रोगी को कम से कम 7 दिनों तक फलों का रस तथा साग- सब्जियों का सेवन करना चाहिए और रोगी व्यक्ति को सप्ताह में 1 बार भापस्नान लेना चाहिए और उसके बाद कटिस्नान करना चाहिए।खुजली रोग से पीड़ित रोगी को रात के समय में सोने से पहले अपने पेडू पर गीली मिट्टी की पट्टी लगानी चाहिए और सो जाना चाहिए। इसके बाद रोगी को सुबह के समय में कटिस्नान करना चाहिए।खुजली रोग से पीड़ित रोगी को अधिक मात्रा में फल जैसे संतरा, सेब, अंगूर तथा सब्जियों में हरा चना, मूली, पालक का अधिक सेवन करना चाहिए। रोगी व्यक्ति को चने के आटे की रोटी, शहद, कच्चा दूध, मट्ठा आदि चीजों का सेवन करना चाहिए।नींबू के रस को पानी में मिलाकर प्रतिदिन दिन में कम से कम 5 बार पीना चाहिए। खुजली रोग से पीड़ित रोगी को सुबह का नाश्ता नहीं खाना चाहिए केवल दिन में एक बार तथा शाम के समय में भोजन करना चाहिए तथा नमक बिल्कुल भी सेवन नहीं करना चाहिए।खुजली रोग से पीड़ित रोगी को सप्ताह में कम से कम 3 बार अपने पूरे शरीर पर मिट्टी की गीली पट्टी का लेप करना चाहिए तथा धूप में बैठना चाहिए। जब लेप सूख जाए तब रोगी को एक टब में पानी भरकर उसमें 30 मिनट तक बैठकर स्नान करना चाहिए।खुजली रोग से पीड़ित रोगी को खुली हवा में घूमना चाहिए तथा गहरी सांस लेनी चाहिए।खुजली रोग से पीड़ित रोगी को हरे रंग की बोतल का सूर्यतप्त जल 25 मिलीलीटर की मात्रा दिन में रोजाना 4 बार पीना चाहिए। इसके बाद अपने शरीर पर कम से कम दिन में आधे घण्टे तक नीले तथा हरे रंग का प्रकाश डालना चाहिए।जब रोगी के शरीर में अधिक संख्या में खुजली की फुंसियां निकल रहीं हो तो रोगी व्यक्ति को 2 दिनों तक उपवास रखना चाहिए और फलों का रस पीना चाहिए। दिन में गुनगुने पानी से एनिमा क्रिया करनी चाहिए और इसके साथ-साथ रोगी व्यक्ति को नींबू का रस पानी में मिलाकर पीना चाहिए। रोग को सप्ताह में एक बार खुजली वाली फुंसियों पर ठंडी पट्टी रखकर स्नान करना चाहिए तथा पैरों को गर्म पानी से धोना चाहिए। रोगी को प्रतिदिन 2 बार कटिस्नान तथा मेहनस्नान करना चाहिए। रात के समय में रोगी को अपने पेट पर मिट्टी की गर्म पट्टी रखनी चाहिए। इसके अलावा रोगी को गुनगुने पानी से स्नान करना चाहिए तथा तौलिये से अपने शरीर को पोंछना चाहिए। रोगी को अपने शरीर की खुजली की फुन्सियों पर हरा प्रकाश तथा इसके बाद नीला प्रकाश भी देना चाहिए। इस प्रकार से प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करने से खुजली की फुंसियां जल्दी ठीक हो जाती हैं।

खुजली की फुंसियों को मक्खी आदि से बचाने के लिए उन पर नारियल के तेल में नींबू का रस मिलाकर लगाना चाहिए और इसके साथ-साथ इसका प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करना चाहिए। इसके फलस्वरूप खुजली की फुन्सियां जल्दी ही ठीक हो जाती हैं।रोगी को सुबह के समय में नीम की 4-5 पत्तियां चबानी चाहिए इससे उसकी खुजली की फुन्सियां जल्दी ही ठीक हो जाती हैं।खुजली से पीड़ित रोगी को पानी में नीम की पत्तियां डालकर उस पानी को उबालकर फिर पानी में से नीम की पत्तियों को निकालकर, पानी को गुनगुना करके प्रतिदिन दिन में उस पानी से 2 बार स्नान करने से खुजली जल्दी ही ठीक हो जाती है।
*Dr.(Vaid) Deepak Kumar*
*Adarsh Ayurvedic Pharmacy*
*Kankhal Hardwar*
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