*शब्दवीणा के राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में विभिन्न प्रांतों के रचनाकारों ने पढ़ीं एक से बढ़ कर एक कविताएं*

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गया। राष्ट्रीय साहित्यिक-सह-सांस्कृतिक संस्था ‘शब्दवीणा’ की दिल्ली प्रदेश समिति द्वारा आयोजित एक राष्ट्रीय कवि सम्मेलन “कवियों का संसार: सावन की बहार” में शब्दवीणा की बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, गुजरात, राजस्थान, गुजरात, तेलंगाना, झारखंड, दिल्ली, गोवा आदि विभिन्न प्रदेश एवं जिला समितियों से उपस्थित पदाधिकारियों एवं अन्य रचनाकारों ने मनभावन सावन पर एक से बढ़कर एक रचनाएँ पढ़ीं। कवि सम्मेलन का शुभारंभ शब्दवीणा की संस्थापक-सह-राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो डॉ रश्मि प्रियदर्शनी द्वारा स्वरचित सरस्वती वंदना “ज्ञान दे, सुर-तान दे, माँ शारदे वरदान दे” से हुआ। तत्पश्चात कोलकाता से जुड़े शब्दवीणा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष-सह-राष्ट्रीय संयोजक कौशल किशोर त्रिवेदी ने कवि सम्मेलन में कार्यक्रम अध्यक्ष एवं शब्दवीणा की राष्ट्रीय कार्यक्रम समन्वयक ज्योति नारायण, मुख्य अतिथि राष्ट्रीय सचिव महावीर सिंह वीर तथा विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष कन्हैयालाल मेहरवार एवं उपस्थित शब्दवीणा के सभी पदाधिकारियों एवं रचनाकारों का स्वागत किया। श्री त्रिवेदी ने हिन्दी साहित्य, भारतीय संगीत एवं ललित कलाओं के उत्थान में संस्था की स्वस्थ तथा सक्रिय प्रतिबद्धता की चर्चा करते हुए संस्था की संस्थापक सह राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ रश्मि के नेतृत्व में संस्था के तेजी से होते सांगठनिक प्रचार-प्रचार पर हर्ष व्यक्त करते हुए शब्दवीणा परिवार के उज्ज्वल भविष्य की कामना की।

कवि सम्मेलन में शब्दवीणा बिहार से राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ प्रियदर्शनी, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष कन्हैया लाल मेहरवार, राष्ट्रीय उप संगठन मंत्री पंकज मिश्रा, राष्ट्रीय प्रचार मंत्री डॉ. रवि प्रकाश, प्रो सुनील कुमार उपाध्याय, जैनेन्द्र कुमार मालवीय, अनामिका अनु, विनोद बरबिगहिया, मानसी सिंह एवं चाँदनी बसोया, उत्तर प्रदेश से अनुराग सैनी मुकुंद, अनुराग दीक्षित, रीतू पांडेय, अमिता गुप्ता नव्या एवं ग़ज़लकार राम देव शर्मा ‘राही’, अमिता गुप्ता, मध्य प्रदेश से वरिष्ठ कवि अनंग पाल सिंह भदौरिया ‘अनंग’ एवं संगठन मंत्री कर्नल गोपाल अश्क़, उत्तराखंड से राष्ट्रीय सचिव महावीर सिंह वीर, तेलंगाना से ज्योति नारायण, पश्चिम बंगाल से हीरा लाल साव, कर्नाटक से सुनीता सैनी गुड्डी, विजेंद्र सैनी, ब्रजेन्द्र मिश्र ज्ञासु, निगम राज, एवं संध्या निगम, गोवा से राष्ट्रीय राष्ट्रीय साहित्य मंत्री वंदना चौधरी, राजस्थान से मीना रावलानी, गुजरात से नंदकिशोर जोशी, दिल्ली प्रदेश से राष्ट्रीय संगठन मंत्री डॉ. संतोष संप्रीति, आशा दिनकर, डॉ. विभा जोशी, रजनी बाला एवं शिव कुमार शिव आदि ने काव्य पाठ किया।

महावीर सिंह ‘वीर’ के मुक्तक “हर भाई के कर में राखी, मस्तक रोली चंदन है। फिर भी, बहनें सहमी- सहमी, अंतर्मन में क्रंदन है।। जिस दिन मेरे भारत की, हर बहन सुरक्षित हो जाए; मैं उस दिन समझूंगा मेरे देश में रक्षाबंधन है” पर खूब वाहवाहियां लगीं। अनंग पाल सिंह भदौरिया ‘अनंग’ की “बादलों की छुअन सा, अहसास सांसों में बसाये। गगन में फिर वही चिर परिचित लुभावन जलद छाये”, डॉ. सुनील उपाध्याय की कजरी “बदरा घिरि आईल घनघोर, प्रिया बिनु डरत बा मन मोर”, कर्नल गोपाल अश्क़ की “तुझ से दूर हर पल यादों की बौछार होती है। पीड़ा से जन्म जिसका, वो शै प्यार होती है”, निगम राज़ की “लहराई है चपल चांदनी, घड़ी है उसके आवन की। उल्लसित हैं पवन, झकोरे, झड़ी लगी है सावन की, संध्या निगम की “सावन में छाई कारी बदरिया, रिमझिम पड़त फुहार रे”, पंकज मिश्र की “मीत है सावन, प्रीत है सावन”, आशा दिनकर की “आया सावन झूम के, रिमझिम बरसत मेह, मधुर-मधुर मौसम हुआ, उमड़त मन में नेह”, डॉ. संतोष संप्रीति की “रिमझिम रिमझिम नन्ही बूँदें सावन की, अँखियाँ देखें राह पिया घर आवन की”, वंदना चौधरी की “पीकर जिसने विष का प्याला, तीन लोक के कष्ट हरे…ऐसा मेरा महादेव, वंदन मेरा स्वीकार करे”, विनोद बरबिगहिया की “समय सावन का, मधुर लगे बदरा की बोली”, तथा डॉ. रश्मि प्रियदर्शनी की, “हवा बहकी, फ़िजा महकी, मचलने लग गया सावन” एवं “सुनो सहेली सावन आया, मनमोहक, मनभावन आया” सुनकर सभी झूम उठे। कन्हैयालाल मेहरवार के ‘तुमने ही चाहा था मुझको, तुमने ही बिसराया है’ सुनकर मंच मंत्र मुग्ध हो गया। कार्यक्रम अध्यक्ष ज्योति नारायण की “मातृभूमि की मिट्टी सबसे पावन है, नंदन वन है यही इन्द्र का कानन है। यहांँ सभी ऋतुओं का नर्तन होता है, फागुन खिलते फूल, बरसता सावन है” तथा अनुराग सैनी मुकंद की “विघ्न पर धैर्य रखो, धैर्य से प्रताप जागे। धैर्य के शौर्य ही अब विघ्न को हरायेंगे” पर खूब तालियाँ बजीं।

शब्दवीणा प. बंगाल उपाध्यक्ष हीरालाल साव की “दुश्मनी से बाज वो आते नहीं, दोस्ती हम करें तो कब तलक। धैर्य की सीमाएं हद से पार हैं, अब न जागोगे तो जागोगे कब तलक”, सुनीता सैनी गुड्डी की “दुनिया से न्यारे मेरे चारों री बीरा, शत्रु, भरत, लछमन, रघुबीरा”, विजेंद्र सैनी की “इस कवि सम्मेलन से कुछ, संस्कृति-संस्कार लेके जाइये। आपस में जो घट चुका, वो प्यार लेके जाइये”, नंद किशोर जोशी की “सागर है गमों का, जिसका नहीं कोई किनारा। बेसहारा सा हो गया हूं, अब नहीं कोई सहारा”, मीना रावलानी की “ज़रा दूर से देखना ज़ख्म जरा गहरा है” को भी श्रोताओं की खूब सराहना मिली। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहीं प्रतिष्ठित कवयित्री ज्योति नारायण ने शब्दवीणा के राष्ट्रीय कवि सम्मेलन को अद्भुत तथा अविस्मरणीय बताते हुए डॉ. रश्मि और समस्त शब्दवीणा परिवार को हार्दिक शुभकामनाएं दीं। उन्होंने शब्दवीणा के भविष्य को अत्यंत शानदार तथा गौरवपूर्ण बताया। कार्यक्रम के समापन पर धन्यवाद ज्ञापन संस्था की दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष आशा दिनकर ने किया।

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