*न्यूज इंडस्ट्री पर एआई का प्रभाव*
आगामी समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) न्यूज मीडिया को व्यापक रूप से प्रभावित करने जा रही है। एआई का प्रभाव सकारात्मक और नकारात्मक, दोनों दिशाओं में दिखाई देगा। वस्तुतः एआई न्यूज इंडस्ट्री को नए सिरे से परिभाषित करेगी। मीडिया के स्वरूप और कार्यपद्धति को अधिक तेज और कुशल बनने में सक्षम बनाएगी, लेकिन यह तेजी और कुशलता सकारात्मक दिशा में ही होगी, ऐसा कहना आसान नहीं है। मोटे तौर पर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि एआई का कंटेंट के निर्माण, वितरण और पाठक या श्रोता के अनुभव पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा।
न्यूज इंडस्ट्री में अभी तक खबरों के लिखने, उन्हें तैयार करने, प्रस्तुत करने अथवा खबर आधारित दृश्य-श्रव्य सामग्री निर्मित करने का ज्यादातर कार्य मनुष्य केंद्रित रहा है। लेकिन अब इसका स्थान प्रौद्योगिकी लेने जा रही है। दुनिया के कई प्रमुख मीडिया संस्थानों (वॉशिंगटन पोस्ट और बीबीसी आदि) ने एआई और रोबोटिक्स का इस्तेमाल करके न्यूज इंडस्ट्री में वैकल्पिक संभावनाओं के द्वार खोले हैं। वर्तमान में एआई का उपयोग खेल, वित्तीय मामलों, प्राकृतिक आपदाओं और चुनावी परिणामों की रिपोर्टिंग में बहुत सटीकता के साथ किया जा रहा है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि जेनरेटिव एआई द्वारा निर्मित समाचारों को पर्सनलाइज्ड न्यूज के रूप में तैयार किया जा सकता है। इसका अर्थ यह है कि एआई किसी भी खबर अथवा खबर से संबंधित अन्य सामग्री को उपयोगकर्ता की रुचियों और व्यवहार के अनुरूप परिवर्तित करके प्रस्तुत कर सकता है। उदाहरण के लिए, गूगल न्यूज़ और एप्पल न्यूज़ (यहां तक कि यूट्यूब आदि भी ) पर हम जिस तरह की खबरों को पढ़ते अथवा ट्रैक करते हैं, कुछ समय बाद वैसी ही खबरें अथवा समाचार सामग्री बहुतायत में सामने आने लगती हैं। आने वाले समय में पर्सनलाइज्ड न्यूज कंटेंट की गुणवत्ता और इसका श्रेणीकरण ज्यादा बेहतर होगा।
एआई द्वारा तैयार खबरों के मामले में एक सकारात्मक बात यह हो सकती है कि भ्रामक सूचनाओं का आसानी से पता लगाया जा सकेगा। एआई ने ऐसे अनेक टूल उपलब्ध कराए हैं जो गलत जानकारी और फेक न्यूज़ को पहचानने में मदद करते हैं। आम लोगों के लिए भी लॉजिकली और क्लेम बूस्टर जैसे टूल उपलब्ध हैं, जिन्हें खबरों की विश्वसनीयता और सटीकता का निर्धारण करने के लिए उपयोग किया जा सकता है।
न्यूज इंडस्ट्री में डेटा विश्लेषण और रुझानों का अनुमान लगाने में भी एआई टूल्स बड़ी भूमिका निभाने जा रहे हैं, बल्कि निभाने लग गए हैं। डेटा विश्लेषण की अभी तक की पद्धतियों की तुलना में, एआई विश्लेषण के परिणाम ज्यादा प्रभावी होने की संभावना है। इसी आधार पर यह कहा जा रहा है कि एआई की बदौलत आर्थिक घटनाओं, आपदाओं और सामाजिक रुझानों से संबंधित अधिक प्रभावपूर्ण भविष्यवाणियां की जा सकेंगी।
न्यूज इंडस्ट्री में लाइव रिपोर्टिंग और 24 घंटे रिपोर्टिंग की तस्वीर भी पूर्ण रूप से परिवर्तित हो जाएगी। एआई एल्गोरिदम से घटनाओं को रियल टाइम में न केवल मॉनिटर किया जा सकेगा, बल्कि उनकी तत्काल रिपोर्टिंग भी हो सकेगी। इसके साथ-साथ तत्काल अनुवाद, न्यूज़ रिसर्च और समीक्षा जैसे कार्य भी आसानी से किए जा सकेंगे।
भविष्य की चुनौतियां :-
इन सकारात्मक पहलुओं के साथ एआई न्यूज इंडस्ट्री के सामने कई तरह की चुनौतियां भी खड़ी करने जा रही है। इसमें सबसे बड़ी चुनौती डीप फेक को लेकर है। डीप फेक का इस्तेमाल करके झूठी, फर्जी और मनगढ़ंत खबरें निर्मित की जा सकती हैं। इसके अनेक उदाहरण वर्चुअल मीडिया पर मौजूद हैं। मसलन, हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर नरेश त्रेहन एक वीडियो में अमरूद पर अपनी रिसर्च नोबेल प्राइज के लिए नामांकित होने की बात कह रहे हैं और दूसरे वीडियो में इंडिया टीवी के प्रधान संपादक रजत शर्मा वियाग्रा का प्रचार करते दिखाई दे रहे हैं। एक अन्य वीडियो में भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी 1 जनवरी को नया वर्ष मनाए जाने पर सवाल खड़े कर रहे हैं। इन घटनाओं (वीडियो) से अनुमान लगाया जा सकता है कि ख्यातिप्राप्त लोगों को बदनाम करने या उनके जरिए गलत सूचनाओं को प्रसारित करना कितना खतरनाक रूप से आसान हो जाएगा।
एआई का प्रयोग बढ़ने से डेटा सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं रह जाएगी। इससे गोपनीयता प्रश्न के घेरे में आएगी। बीते वर्षों में न्यूज़ मीडिया को सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के लिए इस्तेमाल किए जाने के अनेक मामले सामने आ चुके हैं। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर पक्षपात के आरोप भी लगते रहे हैं। एआई पक्षपात और ध्रुवीकरण को इस तरह से प्रस्तुत करने में सक्षम होगा कि इससे पीड़ित पक्ष के लिए यह जानना कठिन होगा कि उसके साथ अन्याय हुआ है।
एआई आधारित नई सामग्री और उसका निर्माण मानव रोजगार पर भी संकट पैदा करेगा। इससे आने वाले दिनों में संपादक, पत्रकार, संवाददाता, फोटोग्राफर, पेजमेकर, वीडियो मेकर, कंटेंट राइटर, स्क्रिप्ट राइटर, अनुवादक आदि की संख्या में व्यापक रूप से कमी होगी।
चूंकि, एआई पहले से उपलब्ध सामग्री के आधार पर न्यूज कंटेंट तैयार करेगा, इसलिए इस कंटेंट में मानव द्वारा तैयार की गई सामग्री जैसी रचनात्मकता और गुणवत्ता दोनों ही दिखाई नहीं देंगे। प्रमाणिकता का संकट एक अलग रूप में भी दिखाई देगा। जैसे, इस बात की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता कि मीडिया से लोगों का भरोसा उठ जाएगा। एआई निर्मित कंटेंटऔर डीप फेक के सागर के बीच सही सूचनाओं और खबरों को तलाशना काफी मुश्किल हो जाएगा।
एआई आधारित न्यूज इंडस्ट्री छोटे मीडिया माध्यमों, विशेष रूप से पारंपरिक मीडिया माध्यमों, को खत्म कर देगी। छोटे और स्वतंत्र मीडिया माध्यमों के खत्म होने से मीडिया मार्केट में एकाधिकार का खतरा पैदा होगा। इससे प्रोपेगेंडा और एजेंडा आधारित न्यूज कंटेंट के फैलने का खतरा सामने खड़ा होगा।
इतना ही नहीं, एआई अल्गोरिदम मीडिया नैतिकता और अब तक के प्रचलित मूल्य-मानकों को भी चुनौती देगा। इस संदर्भ में कहा जा सकता है कि एआई अपने नए मूल्य एवं मानक तय करेगा, जिनके बारे में यह आश्वस्ति नहीं है कि वे मनुष्य समाज के अनुकूल ही होंगे।
अब सवाल यह है कि न्यूज इंडस्ट्री में एआई के व्यापक दखल के बाद भविष्य का स्वरूप और दिशा क्या होगी ? न्यूज इंडस्ट्री में एआई के प्रयोग और उसके निरंतर बढ़ते दखल को रोक पाना अब संभव नहीं है, ऐसे में इसके प्रयोग को पारदर्शी और जनहितैषी बनाने की आवश्यकता है।
इस संबंध में कुछ जरूरी बातें हैं, जिन पर तत्काल ध्यान दिया जाना चाहिए। सबसे पहले, एआई के इस्तेमाल हेतु मीडिया कर्मियों की ट्रेनिंग कराई जानी चाहिए। सभी मीडिया कर्मियों को फैक्ट चेकिंग टूल्स का प्रयोग करना आना चाहिए। वैश्विक और राष्ट्रीय स्तर पर एआई का नियमन एवं मॉनिटरिंग होनी चाहिए। एआई द्वारा निर्मित की जाने वाली खबरों एवं अन्य संबंधित सामग्री के नकारात्मक एवं सकारात्मक पहलुओं पर जागरूकता बढ़ाई जानी चाहिए। सभी मीडिया माध्यमों द्वारा एआई के प्रयोग के संदर्भ में वैश्विक प्रक्रियाओं और प्रोटोकॉल को स्वीकार किया जाना चाहिए।
यह भी आवश्यक है कि टेक्नोलॉजी और मानव संसाधन के बीच सकारात्मक समन्वय स्थापित किया जाए। इसके अभाव में टेक्नोलॉजी द्वारा मनुष्य का स्थान लिए जाने का खतरा कई गुना बढ़ जाएगा। न्यूज़ मीडिया में एआई का तार्किक एवं विवेकपूर्ण उपयोग किया जाना चाहिए। इस विवेकपूर्ण एवं तार्किक प्रयोग से एआई न्यूज़ मीडिया में पॉजिटिव क्रांतिकारी बदलाव लाने में सक्षम होगी।
एआई द्वारा कंटेंट निर्माण और न्यूज इंडस्ट्री के ऑटोमेशन की प्रक्रिया में मनुष्य की उपस्थिति अनिवार्य रूप से सुनिश्चित की जानी चाहिए। साथ ही, ऐसे एल्गोरिदम को पहचानने की क्षमता भी विकसित की जानी चाहिए, जिनसे समाचारों में पूर्वाग्रह पैदा किया जा सकता हो। चूंकि एआई के प्रयोग से मानव रोजगारों पर फर्क पड़ेगा, इसलिए उन क्षेत्रों की पहचान करना आवश्यक है, जहां मानव संसाधन को वैकल्पिक अवसर उपलब्ध कराए जा सकें। न्यूज इंडस्ट्री में एआई के प्रयोग से संबंधित नीतियों के निर्माण में संपादकों, पत्रकारों, मीडिया कर्मियों और इंडस्ट्री के लोगों को सम्मिलित किया जाना चाहिए।
डॉ.सुशील उपाध्याय