आईआईटी रुड़की ने एक भारत, श्रेष्ठ भारत के तहत झारखंड और उत्तराखंड के सांस्कृतिक संगम की मेजबानी की

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देहरादून। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की (आईआईटी रुड़की) ने युवा संगम के समापन समारोह की सफलतापूर्वक मेज़बानी की, जो शिक्षा मंत्रालय की एक भारत श्रेष्ठ भारत (ईबीएसबी) पहल के तहत एक परिवर्तनकारी यात्रा की परिणति को दर्शाता है। इस संस्करण में झारखंड के 45 छात्र प्रतिनिधियों का स्वागत किया गया, जिनके साथ आईआईटी (आईएसएम) धनबाद के संकाय समन्वयक भी थे, जिन्होंने उत्तराखंड की विरासत, उद्योग और समुदाय की खोज करने वाले सांस्कृतिक रूप से समृद्ध अनुभव के लिए भाग लिया। समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर के.के. पंत की गरिमामयी उपस्थिति रही। कार्यक्रम की शुरुआत औपचारिक दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई, जिसके बाद आईआईटी रुड़की के कुलगीत ने उत्सव का वातावरण तैयार किया। नोडल अधिकारी प्रोफेसर एम.वी. सुनील कृष्ण ने कार्यक्रम की प्रभावशाली गतिविधियों, जिसमें औद्योगिक दौरे, सांस्कृतिक कार्यक्रम और सामुदायिक संपर्क शामिल हैं, पर प्रकाश डालते हुए एक विस्तृत यात्रा रिपोर्ट प्रस्तुत की। समारोह का एक अनूठा आकर्षण प्रतिभागियों और शिक्षकों द्वारा अनुभव साझा करना था, जिसने पहल के परिवर्तनकारी प्रभाव को रेखांकित किया।
प्रतिभागियों ने हरिद्वार, ऋषिकेश, लैंसडाउन एवं कोटद्वार जैसे प्रतिष्ठित स्थलों का भ्रमण किया, जिससे उन्हें उत्तराखंड की प्राकृतिक और सांस्कृतिक विरासत के बारे में जानकारी मिली। प्रतिनिधिमंडल ने स्थानीय गांव में महिला स्वयं सहायता समूहों के साथ भी बातचीत की, जिससे उन्हें स्थायी आजीविका और ग्रामीण विकास के बारे में जमीनी स्तर पर जानकारी मिली। उत्तराखंड और झारखंड दोनों के सांस्कृतिक प्रदर्शनों ने संध्या को समृद्ध किया, जिसमें भारत की जीवंत परंपराओं को दर्शाया गया। इस पहल पर विचार करते हुए, आईआईटी रुड़की के निदेशक, प्रो. के.के. पंत ने कहा, युवा संगम भारत की विविधता की शक्ति का प्रमाण है। यह हमारे युवाओं को नेतृत्व और सहयोग को बढ़ावा देते हुए विभिन्न सांस्कृतिक दृष्टिकोणों की सराहना करने के लिए सशक्त बनाता है। हमें इस सार्थक पहल और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने में इसकी भूमिका में योगदान देने पर गर्व है। प्रतिभागियों ने दिल से प्रशंसा साझा की, जिसमें एक छात्र ने कहा, यह यात्रा आंखें खोलने वाली और प्रेरणादायक रही है। समुदायों के साथ बातचीत करने और उत्तराखंड की संस्कृति का अनुभव करने से भारत की विविधता के लिए मेरी प्रशंसा और बढ़ी है व हमारे देश की एकता में योगदान देने का मेरा संकल्प मजबूत हुआ है। प्रो. एम.वी. सुनील कृष्ण ने कहा, यह कार्यक्रम न केवल सांस्कृतिक आदान-प्रदान का उत्सव मनाता है, बल्कि युवाओं को नेतृत्व सीखने और जमीनी स्तर पर विकास की सराहना करने के लिए एक मंच भी प्रदान करता है। आईआईटी रुड़की के लिए इस तरह की प्रभावशाली पहल की मेजबानी करना सौभाग्य की बात है।

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