गुणों की खान बथुवा Lamb’s Quarters
साग और रायता बना कर बथुवा अनादि काल से खाया जाता रहा है, अंग्रेजी में इसे Lamb’s Quarters कहते है, इसका वैज्ञानिक नाम Chenopodium album है। राजस्थान में बथुआरी कढ़ी बनाकर खाने का भी चलन है। लेकिन क्या आपको पता है कि विश्व की सबसे पुरानी महल बनाने की पुस्तक शिल्प शास्त्र में लिखा है कि हमारे बुजुर्ग अपने घरों को हरा रंग करने के लिए प्लस्तर में बथुवा मिलाते थे और महिलाएं सिर से जुएँ व फांस (डैंड्रफ) साफ करने के लिए बथुवै के पानी से बाल धोया करती थी ।
बथुवा गुणों की खान है इसमें कई तरह के विटामिन्स पाए जाते हैं।
बथुवै में विटामिन्स-
बथुवा विटामिन B1,B2, B3,B5,B6,B9 और विटामिन C से भरपूर है तथा बथुवे में कैल्शियम, लोहा,मैग्नीशियम, मैगनीज,फास्फोरस, पोटाशियम,सोडियम व जिंक आदि मिनरल्स हैं। 100 ग्राम कच्चे बथुवे यानि पत्तों में 7.3 ग्राम कार्बोहाइड्रेट,4.2 ग्राम प्रोटीन व 4 ग्राम पोषक रेशे होते हैं।
*जब बथुवा शीत (मट्ठा, लस्सी) या दही में मिला दिया जाता है तो यह किसी भी मांसाहार से ज्यादा प्रोटीन वाला व किसी भी अन्य खाद्य पदार्थ से ज्यादा सुपाच्य व पौष्टिक आहार बन जाता है और साथ में बाजरे या मक्के की रोटी, मक्खन व गुड़ हो तो इस खाने के लिए देवता भी तरसते हैं।
*जब हम बीमार होते हैं तो आजकल डॉक्टर सबसे पहले विटामिन की गोली ही खाने की सलाह देते हैं। गर्भवती महिला को खासतौर पर विटामिन बी, सी व लोहे ( Iron) की गोली बताई जाती है और बथुवे में वो सबकुछ है ही, कहने का मतलब है कि बथुवा पहलवानो से लेकर गर्भवती महिलाओं तक,बच्चों से लेकर बूढों तक, सबके लिए अमृत समान है।
*यह साग प्रतिदिन खाने से गुर्दों में पथरी नहीं होती।
*बथुआ आमाशय को बलवान बनाता है, गर्मी से बढ़े हुए यकृत को ठीक करता है। बथुए के साग का सही मात्रा में सेवन किया जाए तो निरोग रहने के लिए सबसे उत्तम औषधि है। *बथुए का सेवन कम से कम मसाले डालकर करें। नमक न मिलाएँ तो अच्छा है, यदि स्वाद के लिए मिलाना पड़े तो काला नमक मिलाएँ और देशी गाय के घी से छौंक लगाएँ।
* बथुए का उबाला हुआ पानी अच्छा लगता है तथा दही में बनाया हुआ रायता स्वादिष्ट होता है। किसी भी तरह बथुआ नित्य सेवन करें।
*बथुवै में जिंक होता है जो कि शुक्राणुवर्धक है मतलब किसी भाई को पुरुषत्व की कमजोरी हो तो उसको भी दूर करता है बथुवा।
*बथुवा कब्ज दूर करता है और अगर पेट साफ रहेगा तो कोई भी बीमारी शरीर में लगेगी ही नहीं, ताकत और स्फूर्ति बनी रहेगी।
*कहने का मतलब है कि जब तक इस मौसम में बथुए का साग मिलता रहे, नित्य इसकी सब्जी खाएँ। बथुए का रस, उबाला हुआ पानी पीएँ और तो और *यह खराब लीवर को भी ठीक कर देता है।*
*पथरी हो तो एक गिलास कच्चे बथुए के रस में शकर मिलाकर नित्य पिएँ तो पथरी टूटकर बाहर निकल आएगी।
*पेशाब के रोगी बथुआ आधा किलो,पानी तीन गिलास,दोनों को उबालें और फिर पानी छान लें । बथुए को निचोड़कर पानी निकालकर यह भी छाने हुए पानी में मिला लें। स्वाद के लिए नींबू जीरा, जरा सी काली मिर्च और काला नमक लें और पी जाएँ।
*आप ने अपने दादा दादी से ये कहते जरूर सुना होगा कि हमने तो सारी उम्र अंग्रेजी दवा की एक गोली भी नहीं ली। उनके स्वास्थ्य व ताकत का राज यही बथुवा ही है।*
प्रस्तुति: अवनीश कुमार मिश्रा