चंद वंशीय राजा समझते थे नौलों की अहमियत, अब हमें समझना होगा
सोल ऑफ इण्डिया
अल्मोड़ा। वैसे तो यहां अभी हम उत्तराखण्ड के महत्वपूर्ण जिले अल्मोड़ा में बहुतायत पाए जाने वाले नौलों की बात कर रहे हैं, पर प्राकृतिक जल धारा के मुख्य स्रोत यह नौले एक तरह से समस्त उत्तराखण्ड के पहाड़ी जीवन की लाइफ लाइन याने जीवन रेखा हैं इस बात से आज भी इंकार नहीं किया जा सकता। जैसे अल्मोड़ा की बाल मिठाई हर जगह प्रसिद्ध है, पूरे उत्तराखण्ड की मिठाई की दुकानें देखने को मिलती है, पर धीरे-धीरे उसका चलन कम हो रहा है, वैसे ही यहां कभी शुद्ध जल प्राकृतिक जल के 365 नौले हुआ करते थे जो आज धीरे-धीरे लुप्त प्राय: होने की दहलीज पर खड़े हैं। परंतु हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि यह हमारी चिरकालिक परंपराएं हैं, संस्कृति हैं इन्हें बचाने के लिए हमें भी प्रयास करने होंगे, सरकार के भरोसे ही सब नहीं हो सकता।
जिले में इन दिनों नगर क्षेत्र से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक पानी की समस्या लंबे समय से बनी हुई है। एक जमाने में अल्मोड़ा शहर में सैकड़ों प्राकृतिक जल स्रोत नौला पेयजल व्यवस्था का मुख्य आधार थे, लेकिन उपेक्षा के कारण धीरे- धीरे अधिकांश नौले लुप्त होते गए। वर्तमान में मौजूद दर्जनों नौले बदहाल स्थिति में हैं। जिनके सुधारीकरण के लिए कोई कार्य नहीं हुआ है। हां अगर समय रहते इन बदहाल नौलों की सुध ली जाय तो क्षेत्र में पानी की किल्लत को दूर हो सकती है, लोगों को शुद्ध स्वास्थ्यवद्धर्क पीने का पानी मिल सकता है।
इतिहास पर निगाह डालें तो अल्मोड़ा नगर को 15वीं शताब्दी में चंद वंशीय राजाओं ने बसाया था। चंद वंशीय राजाओं ने उस समय यहां के प्राकृतिक जल स्रोतों को संरक्षित कर नौले बनाये थे। ये नौले यहां के लोगों के पेयजल का मुख्य आधार हुआ करते थे। अल्मोड़ा नगर पालिका के अध्यक्ष प्रकाश चंद्र जोशी बताते हैं कि शहर और आसपास के क्षेत्रों में एक जमाने मे चंद वंशीय राजाओं के बनाये 365 नौले हुआ करते थे। लोग इन नौलों का ही पानी उपयोग में लाते थे, लेकिन वर्तमान में इन नौलों की बदहाल स्थिति और अतिक्रमण के चलते ये अपना अस्तित्व खोते गए। विगत 6 वर्ष पूर्व अल्मोड़ा नगर व आसपास के क्षेत्रों में नौलों की खोज को लेकर एक सर्वे किया गया था, जिसमें यह सामने आया कि वर्तमान में शहर क्षेत्र में करीब 50 नौले ही रह गए हैं। इनमें से आधा दर्जन नौले तो ठीक स्थिति में है, लेकिन तीन दर्जन नौले काफी बदहाल स्थिति में हैं। जिनके जीर्णोद्धार करने की आवश्यकता है, जिससे यहां पेयजल की कमी को पूरा किया जा सके। इन बदहाल नौलों को ठीक करने के लिए कई बार सरकार से भी मांग की जा चुकी है, लेकिन अभी भी इस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है।