*शब्दवीणा बिहार प्रदेश समिति के तत्वावधान में बिहार दिवस पर ‘परिचर्चा एवं काव्यांजलि’ का हुआ आयोजन*

*-बिहार के कई जिलों से जुड़े शब्दवीणा कवियों ने अर्पित की भावभीनी काव्यांजलि*
गया। राष्ट्रीय साहित्यिक-सह-सांस्कृतिक संस्था शब्दवीणा की बिहार प्रदेश समिति द्वारा बिहार दिवस 2025 के अवसर पर आयोजित साहित्यिक परिचर्चा एवं काव्यांजलि में बिहार के गया, पटना, नवादा, जहानाबाद, औरंगाबाद, बेगूसराय, नालंदा, समस्तीपुर आदि जिलों के शब्दवीणा कवियों व साहित्यकारों ने बिहार के गौरवशाली अतीत, चुनौतियों से परिपूर्ण वर्तमान एवं स्वर्णिम भविष्य पर अपने विचार रखते हुए बिहार की शस्यश्यामला धरती को भावभीनी काव्यांजलि अर्पित की। कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना एवं शब्दवीणा गीत से हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता शब्दवीणा गया जिला संरक्षक वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. रामसिंहासन सिंह ने तथा संचालन शब्दवीणा की संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. डॉ रश्मि प्रियदर्शनी ने किया। मुख्य अतिथि के रूप में शब्दवीणा बिहार प्रदेश संगठन मंत्री प्रो. डॉ. दीनानाथ एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रो डॉ. सुनील कुमार उपाध्याय की उपस्थिति रही। परिचर्चा एवं काव्यांजलि में डॉ रामसिंहासन सिंह, जैनेन्द्र कुमार मालवीय, डॉ. रश्मि प्रियदर्शनी, अनामिका अनु, डॉ रवि प्रकाश, पंकज मिश्र, प्रो. सुशील कुमार उपाध्याय, प्रो. दीनानाथ, डॉ गोपाल निर्दोष, ललित शंकर, दीपक कुमार, अनिल कुमार, सुरेश विद्यार्थी, गोविंद सिंह भारद्वाज, सावन कुमार ने भारत देश की प्रगति में बिहार के मूल्यवान योगदान, कुछ प्रदेशों में मेहनती व प्रतिभावान बिहारियों के साथ किये जा रहे अनुचित दुर्व्यवहार, एवं बिहार में कैसे रहेगी बहार विषयों पर विचार प्रकट करते हुए अपनी स्वरचित रचनाएँ पढ़ीं।
डॉ रश्मि ने “है गौतम की जो तपोभूमि, गंगा-फल्गू की जहाँ धार। हैं जहाँ नारियाँ सीता-सी वह है अपना प्यारा बिहार” जैसी पंक्तियों द्वारा बिहार की गौरवमयी महिमा का सारगर्भित चित्रण किया। शब्दवीणा बिहार प्रदेश साहित्य मंत्री एवं जहानाबाद जिला अध्यक्ष ललित शंकर की पंक्ति “नालंदा की ईंट में छिपा ज्ञान का सार। विश्व गुरु की राह में, जग में था विस्तार” को भी बहुत सराहना मिली।
जहानाबाद के ही वरिष्ठ कवि दीपक कुमार की ‘हे भइया मिल के गावा महिमा बिहार के’ एवं “दिवस का मेला ताम-झाम का, निशा गहनतम निरा अकेली’ तथा अनिल कुमार की “हम वेद पाठ करने वाले सन्यासी हैं। हम त्रिभुवन की शुभ शांति के अभिलाषी हैं” पर खूब वाहवाहियाँ लगीं। शब्दवीणा के गया जिला अध्यक्ष जैनेन्द्र कुमार मालवीय की “हरि अनंत हरि कथा अनंता चहुंओर विस्तार है। धन्य, धन्य है देवभूमि ये, धन्य बिहार हमार है” तथा पटना जिला साहित्य मंत्री प्रो. डॉ. सुनील कुमार उपाध्याय की “आईं, आईं, हे गणेश जी पधारीं अंगना, लेखनी में धार रहीं, आईं जंग ना” एवं “नगरिया छोड़ी जाए के पड़ी” की मधुर प्रस्तुति ने सभी का मन मोह लिया। राष्ट्रीय उप संगठन मंत्री पंकज मिश्र की “मगध की पावन धरती में शूरवीरों की निशानी है। बिहार की अमर कहानी है” तथा कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ. राम सिंहासन सिंह की “कैसे तुझे पुकारूँ मन में भाव अनेकों उठते। नये नये अक्षर भी जुटते। कैसे तुझे संवारूँ” पंक्तियाँ स्वयं में बिहार और भारत देश के प्रति असीम श्रद्धा के भाव पिरोये हुई थीं। शब्दवीणा बिहार प्रदेश प्रचार मंत्री एवं नवादा जिला अध्यक्ष डॉ गोपाल निर्दोष की “आँख खोलकर दुनिया देखे, क्या गजब आज हो गया। अपना बिहार फिर से देश का सरताज हो गया” सुनकर मंच जय बिहार, जय भारत के नारों से गूंज उठा।
शब्दवीणा बेगूसराय जिला साहित्य मंत्री गोविंद सिंह भारद्वाज की “महावीर, गुरुगोविंद सिंह का, है ये जन्म स्थान। गर्व है हमें बिहार पर, बिहारी होने का हमें अभिमान” तथा गया जिला उपाध्यक्ष कवयित्री अनामिका अनु की सीता की यह भूमि है, पावन पूज्य बिहार। काव्य की बहती धारा। ज्ञान का भरा पिटारा। चंद्रगुप्त का शौर्य है, अशोक की तलवार” रचनाओं ने भी बिहारवासियों के गौरवशाली इतिहास पर प्रकाश डाला। शब्दवीणा नवादा जिला कोषाध्यक्ष कवि सावन कुमार ने देश प्रेम पर रचना पढ़ी, तो औरंगाबाद जिला अध्यक्ष सुरेश कुमार विद्यार्थी ने औरंगाबाद की महत्ता पर कविता पढ़ी। डॉ रश्मि ने शब्दवीणा बिहार प्रदेश सचिव व समस्तीपुर के वरिष्ठ कवि अर्जुन प्रभात द्वारा प्रेषित रचना “बाल अरुण की नवल रश्मियाँ पहनाती हैं हार। धर्म भूमि है, कर्म भूमि यह अपना राज्य बिहार” कविता पढ़कर सुनाया। कार्यक्रम का सीधा प्रसारण शब्दवीणा केन्द्रीय फेसबुक पेज से किया गया, जिससे जुड़े शब्दवीणा बिहार प्रदेश संरक्षक प्रो. सुबोध कुमार झा, आर. के. निगम, अर्जुन प्रभात, डॉ आशा मेहर किरण, डॉ. वीरेन्द्र कुमार, प्रो. दीनानाथ, पुरुषोत्तम तिवारी, प्यारचन्द कुमार मोहन, डॉ. रवि प्रकाश, सुनील कुमार सिन्हा, ज्ञानेन्द्र मोहन ज्ञान, विनोद मिश्र, टुन्नू दांगी, फतेहपाल सिंह सारंग, दिनेश कुमार, रामधन राम एवं हजार से अधिक दर्शक एवं श्रोताओं ने प्रतिभागी कवियों व साहित्यकारों का अपनी टिप्पणियों द्वारा उत्साहवर्द्धन किया।