हिमालय को खोखला कर देश को संकट की ओर धकेला: भोपाल सिंह
*** हिमालय और गंगा की सुरक्षा के लिए मात्र सदन में आयोजित होगा अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण सम्मेलन
हरिद्वार। किसान मंच उत्तराखंड के प्रदेश अध्यक्ष गोपाल सिंह चौधरी ने कहा कि हिमालय बचेगा तभी देश बचेगा। वर्तमान सरकारों ने हिमालय को खोखला कर देश को संकट की ओर धकेल दिया है। ऐसे में जोशीमठ हिमालय और गंगा को बचाने के लिए मात्र साधन आश्रम जगजीतपुर स्वामी सिवानंद के सानिध्य में अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है जिसने देश भर के राजनीतिक सामाजिक एवं धार्मिक क्षेत्र के लोग जुट कर विचार मंथन करेंगे।
प्रेस क्लब हरिद्वार में आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए चौधरी भोपाल सिंह ने कहा कि जोशीमठ, हिमालय ओर गंगा को बचाने के लिए 12,13,14,फरवरी को हरिद्वार मातृ सदन में तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। इस सम्मेलन में विश्व के पर्यावरण विद, कई किसान संगठनों के नेता, जाने माने समाजसेवी ,राजनैतिक नेता, एक विशाल महा सम्मेलन को सम्बोधित करेंगे। साऊथ अफ्रीका के नेल्सन मंडेला मंत्री परिषद के पूर्व मंत्री जयसीलन नायडू , जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद , जल पुरुष राजेंद्र सिंह, पूर्व सांसद अवतार सिंह भड़ाना , भारतीय किसान यूनियन् अम्बावता के राष्ट्रीय अध्यक्ष , हरियाणा के वरिष्ठ किसान नेता गुरुनाम चढ़ूनी , पूर्व मुख्य मंत्री हरिश रावत, सहित विश्व की कई हस्तिया हिमालय ओर पानी को बचाने के लिए एक मंच पर दिखाई देंगे। उन्होंने कहा कि हिमालय बचेगा तो तभी देश बचेगा। आज कल की सरकारों ने उत्तराखंड देव भूमि मे कई सारे बड़े बड़े बाँध बनाकर हिमालय देव भूमि को खोखला कर दिया है । जिस कारण अभी तक पहाड़ो मे आपदा की शुरुआत हो चुकी है अब यही आपदा पूरे देश मे पहुंच जाएगी । हिमालय में बद्रीनाथ, कैदारनाथ,गंगोत्री यमनोत्री, यहाँ तक कि सिक्खों का सबसे बड़ा धार्मिक स्थल भी जोशी मठ के पास है। इस सबको बचाने के लिए अब सभी देश वासियो को एक जुट करने ओर अगली रणनीति बनाने के लिए मातृ सदन में यह सम्मेलन आयोजित किया गया है। उन्होंने कहा कि कि मातृ सदन मे स्वामी सानंद उर्फ़ जीडी अग्रवाल, स्वामी निगमानंद , स्वामी नागनाथ, सहित माँ गंगा पर संसद मे क़ानून बनाने कि मांग पर तपस्या करते हुए शहीद हो चुके है। उनके प्राणो के बलिदान को हम और हमारा संगठन व्यर्थ नहीं जाने देंगे। 5 मेगा वाट से अधिक बड़े बाँध नहीं बनने चाहिए थे । किन्तु इन सरकारों ने पूरे देश को विनाश के कगार पर खड़ा कर दिया है।