प्रदेश में न्यूनतम मजदूरी दर में 25% की वृद्धि लागू करने को लेकर मुखर हुआ भारतीय मजदूर संघ
हरिद्वार, soulofindia, एस.बेलवाल/
भारतीय मजदूर संघ प्रदेश में न्यूनतम मजदूरी दर लागू करने को लेकर मुखर है/
आज प्रेस क्लब हरिद्वार में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान भारतीय मजदूर संघ,उत्तराखंड के प्रदेश महामंत्री सुमित सिंघल ने कहा कि मजदूरों को बढ़ी दर से वेतन नहीं दिया जा रहा है, जबकि प्रदेश सरकार द्वारा अप्रैल माह, 2024 से न्यूनतम मजदूरी सलाहकार बोर्ड के परामर्श पर शासन ने 25% की वृद्धि करने का ऐलान किया और जिसकी अधिसूचना भी जारी कर दी गई जिसमें अकुशल, अर्ध कुशल एवं कुशल श्रमिकों को श्रेणी के अनुसार वेतन तय किया गया है/ एक्ट में भी यह प्रावधान है कि हर 5 सालों में न्यूनतम वेतन की बढ़ोतरी सरकार करती है परंतु सरकार द्वारा न्यूनतम वेतन में वृद्धि करने के 2 महीने बीत जाने के बाद भी अभी तक कई उद्योगों द्वारा न्यूनतम वेतन मजदूरों को नहीं दिया जा रहा है, जिसे लेकर मेहनत कशों में रोष है.
प्रदेश महामंत्री सुमित सिंघल ने आगे कहा ऐसे उद्योग तमाम तरह की सुविधाएँ, सब्सिडी सरकार से ले रहे हैं और उसके बावजूद भी आज ऐसे उद्योग प्रबंधन ने श्रमिकों को बंधुआ मजदूर बनाकर रख दिया है। आज इतनी महंगाई और कठिन परिस्थितियों में श्रमिकों द्वारा उनके परिवार का पालन पोषण करना बहुत मुश्किल से होता है, जिसे शायद ये लोग समझना नहीं चाहते/आज पूरे प्रदेश में औद्योगिक अशांति का कारण ऐसा उद्योग प्रबंधन है और श्रम अधिकारी हैं जिस कारण श्रमिक अपने अधिकारों को लेकर और न्यूनतम वेतन पाने को लेकर दर-दर भटक रहे हैं और उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
आज श्रमिकों से 12 से 15 घंटे और उससे भी अधिक कार्य लिया जा रहा है और उनको श्रम कानून के अनुरूप ओवर टाइम का दुगना वेतन भी नहीं दिया जा रहा है और बिना सेफ्टी इक्विपमेंट के ट्रेनिंग और कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्त श्रमिकों से जबरदस्ती मशीनों पर कार्य लिया जा रहा है जो की गैरकानूनी है जिससे आए दिन उनके साथ हादसे हो रहे हैं और उनको ईएसआईसी और पीएफ के लाभ से भी उन्हें वंचित रखा जा रहा है जिससे उनके इलाज और पेंशन की व्यवस्था भी नहीं हो पाती है।
मजदूर संघ के प्रदेश महामंत्री ने कहा श्रमिकों की कोई सुनवाई श्रम कार्यालय में तैनात अधिकारियों द्वारा नहीं की जाती है बल्कि श्रम अधिकारी फैक्ट्री मैनेजमेंट के साथ मिलकर श्रमिकों का उत्पीड़न करते हैं। त्रिपक्षीय वार्ता में समझौता कराने के बजाए श्रमिकों का केस कोर्ट में रेफेर कर दिया जाता है जिससे उन्हें केस में न्याय पाने के लिए बहुत लंबा इंतज़ार करना पड़ता है और पैसा भी खर्च होता है जिससे थक हार कर श्रमिक अपना केस नहीं लड़ पता है।
प्रदेश महामंत्री ने कहा कि भारतीय मजदूर संघ सरकार से यह मांग करता है कि जो उद्योग न्यूनतम वेतन नहीं दे रहे हैं ऐसे उद्योगों को चिन्हित कर उन पर सख्त कार्रवाई की जाए और ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों पर भी कार्यवाही की जाये जो प्रबंधन के साथ मिलकर श्रमिकों का उत्पीड़न करते है और हम चेतावनी देते हैं ऐसे उद्योगी के मैनेजमेंट को और श्रम अधिकारियों को जो श्रमिकों का उत्पीड़न करते हैं जिनके कारण श्रमिक न्यूनतम वेतन तक नहीं पा पा रहे हैं अगर 15 दिन के अंदर न्यूनतम वेतन श्रमिकों को नहीं मिलता है तो ऐसे उद्योगों और अधिकारियों के विरुद्ध भी भारतीय मजदूर संघ आंदोलन करेगा।
पत्रकार वार्ता में भारतीय मजदूर संघ के पदाधिकारी
सुमित सिंघल प्रदेश महामंत्री के अतिरिक्त भारतीय मजदूर संघ उत्तराखंड एवं अध्यक्ष हीरो मोटोकॉर्प कर्मचारी संघ सिडकुल हरिद्वार, सदस्य न्यूनतम वेतन सलाहकार बोर्ड उत्तराखंड, ललित पुरोहित, जिला मंत्री भारतीय मजदूर संघ हरिद्वार पवन शर्मा, भारतीय मजदूर संघ हरिद्वार, नरेश रावत भारतीय मजदूर संघ हरिद्वार, राजवीर सिंह प्रदेश उपाध्यक्ष एफसीआई यूनियन उत्तराखंड एवं प्रचार मंत्री भारतीय मजदूर संघ हरिद्वार, जितेंद्र सिंह एफसीआईयूनियन ,
राजेंद्र सिंह भारतीय मजदूर संघ हरिद्वार,
हरिश्चंद्र एफसीआई यूनियन संबंध भारतीय मजदूर संघ उपस्थित रहे/