भैया दूज -जानिए कौन से तिथि शुभ है
हमारे देश में जिस तरह से रक्षाबंधन को भाई-बहनों को त्योहार माना जाता है उसी प्रकार भैया दूज भी भाई-बहन को त्योहार है। यह त्योहार भाई-बहन भैया दूज भाई-बहन के अटूट और अनन्य प्रेम का प्रतीक पर्व है। भाई दूज के दिन की शुरुआत यमराज और यमुना जी ने की थी पंचांग के अनुसार, इस साल कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि का आरंभ 14 नवंबर को दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर होगा और 15 नवंबर को रात 1 बजकर 47 मिनट पर समाप्त होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, 15 नवंबर को भाई दूज मनाया जाएगा।
भाई दूज के दिन की शुरुआत यमराज और यमुना जी ने की थी
क्योंकि भाई दूज के दिन की शुरुआत यमराज और यमुना जी ने की थी, इसलिए भाई और बहन दोनों को ही तिलक करने से पहले यमराजऔर यमुना जी की पूजा करनी चाहिए. इसके बाद भाई का तिलक करना चाहिए. पूजा के दौरान बहन को भाई की सभी मुसीबतें दूर करने और उसे लंबी आयु प्रदान करने की प्रार्थना करनी चाहिए।
जब भी तिलक करें तो ध्यान रखें कि तिलक कराते हुए भाई का मुंह उत्तर या उत्तर-पश्चिम में से किसी एक दिशा में होना चाहिए और बहन का मुंह उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा में होना चाहिए।
भाई को तिलक करने से पहले तक बहन को व्रत रखना चाहिए. आपकी निष्ठा, प्रेम और समर्पण से भगवान भी प्रसन्न होते हैं और आपके व भाई के बीच का रिश्ता अच्छा बना रहता है, बहन को तिलक करने के बाद ही अपना व्रत खोलना चाहिए।
तिलक करने के बाद भाई को मिष्ठान जरूर खिलाएं. बहन को भाई को अपने हाथों से मिष्ठान खिलाना चाहिए. ऐसा करना शुभ माना जाता है. साथ ही हर भाई अपनी बहन को आज के दिन सामर्थ्य के अनुसार कुछ न कुछ उपहार जरूर दें।
भाई दूज के दिन भाई और बहन, दोनों को किसी तरह का विवाद नहीं करना चाहिए और न ही एक दूसरे को अपशब्द कहने चाहिए. अगर आपके और बहन के बीच किसी तरह का झगड़ा है, तो आज के दिन उसे सुलझाकर मनमुटाव दूर कर लें।
भाई दूज के दिन भाई अपनी बहन के घर जाता है. इस दिन बहन को भाई का पूरे मन से सत्कार करना चाहिए. उसे भोजन आदि खिलाना चाहिए. अगर भाई किसी कारण घर न आ सके तो भाई के घर तिलक की सामग्री और सूखे नारियल को भिजवा दें।
भाई जो भी उपहार दे, बहन को उसे प्रेमपूर्वक स्वीकार करना चाहिए, भाई के उपहार का निरादर न करें. भाई को भी पूरे मन से बहन को गिफ्ट देना चाहिए।
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