भारत के वीर बलिदानी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के अद्वितीय बलिदान को नमन करते हुए भावभीनी श्रद्धांजलि दी

*बलिदानियों की निडरता और स्वतंत्रता के प्रति उनकी अडिग प्रतिबद्धता हमें हमेशा प्रेरित करती रहेगी*
*वीरांे का साहस और संकल्प हम सबके लिए हमेशा मार्गदर्शक*
*भारत के वीर बलिदानी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को श्रद्धांजलि अर्पित कर आज की परमार्थ गंगा आरती की समर्पित*
* नमन शहीदों को, नमन उनके बलिदान को*
*स्वामी चिदानन्द सरस्वती*
ऋषिकेश। आज परमार्थ निकेेतन में भारत के वीर क्रांतिकारियों भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के अद्वितीय बलिदान को श्रद्धांजलि अर्पित की। इन महान शहीदों ने अपनी जवानी देश की स्वतंत्रता के लिए समर्पित कर दी और अपने साहसिक कदमों से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि आज हम सभी उनकी वीरता और बलिदान को याद कर, उन्हें नमन करते हैं और उनके दिखाए गए मार्ग पर चलने का संकल्प लेते हैं।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि राष्ट्र प्रथम की भावना व लक्ष्य को लेकर इन बलिदानियों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी। राष्ट्र ने मेरे लिये क्या किया नहीं बल्कि जो है राष्ट्र है, राष्ट्र की हवा, मिट्टी, पानी की खूशबु में ही हम पल रहे हैं। मेरे प्यारे भारत की माटी तुझे सौ सौ बार प्रणाम इस दिव्य मंत्र को लेकर इस माटी के खातिर फाँसी के फंदों को भी चूमने वाले इन वीरों को सलाम।
यशस्वी मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी के नेतृत्व में उत्तराखंड सरकार ने अपने पहले तीन गौरवशाली वर्ष पूर्ण किये। इन तीन वर्षों में अपार सफलता प्राप्त की है और राज्य के समग्र विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। सरकार के इस तीन वर्षीय कार्यकाल को लेकर परमार्थ निकेतन की ओर से उन्हें अनंत शुभकामनाएं एवं बधाई अर्पित करते हैं। यह समय हमारे राज्य के लिए गर्व और खुशी का है, क्योंकि इस दौरान सरकार ने कई ऐतिहासिक योजनाओं और नीतियों को लागू किया, जो न केवल राज्य के विकास को गति देती हैं, बल्कि आम जनमानस की जीवनशैली में सुधार भी लाती हैं।
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह जी के नेतृत्व में उत्तराखंड सरकार ने जनकल्याण और राज्य के समग्र विकास के लिए कई उल्लेखनीय कदम उठाए हैं। इन योजनाओं और नीतियों के माध्यम से राज्य के हर नागरिक को लाभ हुआ है। हम सभी सरकार की इन उपलब्धियों पर गर्व महसूस करते हैं और विश्वास करते हैं कि आने वाले वर्षों में यह राज्य और भी प्रगति करेगा। मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह जी को उनके अथक प्रयासों के लिए हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं। माननीय मुख्यमंत्री के नेतृत्व में उत्तराखंड का एक नया और उज्जवल भविष्य होगा।
स्वामी जी ने कहा कि वीर भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव का नाम भारतीय इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखा गया है। इन वीरों ने न केवल ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ संघर्ष किया, बल्कि भारतीय जनता में स्वतंत्रता की भावना को भी प्रज्वलित किया। वीर भगत सिंह का आदर्श और उनके विचार आज भी हमारे दिलों में जीवित हैं। उनका नारा इन्कलाब जिंदाबाद आज भी हर भारतीय के दिल में गूंजता है।
इन वीर बलिदानियों की शहादत ने न केवल भारत में बल्कि समस्त विश्व में यह संदेश दिया कि स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए अपने प्राणों की आहुति देने में कोई संकोच नहीं होना चाहिए। वीर भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की प्रेरणादायक शहादत ने युवा पीढ़ी को यह सिखाया कि यदि किसी उद्देश्य के लिए संघर्ष किया जाए तो न केवल वे अपने देश बल्कि पूरे समाज को बदल सकते हैं।
स्वामी चिदानंद सरस्वती जी, ने शहीदों की शहादत पर नमन करते हुए कहा, वीर भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की शहादत हमें यह सिखाती है कि राष्ट्र प्रथम। आज के इस समय में, जब हम अपने देश में व्याप्त समस्याओं का सामना कर रहे हैं, हमें इन वीरों के आदर्शों को अपनाने की आवश्यकता है। इन महान शहीदों ने हमें यह संदेश दिया है कि केवल शब्दों से ही नहीं, बल्कि कर्मों से भी देश की सेवा की जा सकती है।
स्वामी चिदानंद सरस्वती जी ने कहा इन क्रांतिकारियों ने अपने जीवन में जो संकल्प लिया था, वह आज भी हमारे जीवन का मार्गदर्शन करता है। हमें उनके संघर्षों और बलिदानों को कभी नहीं भूलना चाहिए। हमें अपने देश की समृद्धि और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।
वीर भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव का संघर्ष केवल उनके समय तक सीमित नहीं रहा, बल्कि उनके विचार और कार्य आज भी हमारे समाज में जीवित हैं। भगत सिंह का विश्वास था कि केवल राजनीतिक स्वतंत्रता से देश नहीं बदल सकता, बल्कि समाज में वास्तविक समानता और न्याय की स्थापना भी आवश्यक है। यही कारण है कि वे समाजवाद के प्रति अपनी प्रतिबद्धता रखते थे और उनकी सोच ने स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी।
बलिदानी राजगुरु और सुखदेव ने अपने अद्वितीय साहस और समर्पण के लिए हमेशा याद किए जाएंगे। उनका संघर्ष केवल एक आंदोलन का हिस्सा नहीं था, बल्कि उन्होंने भारतीय जनता के भीतर एक ऐसी चिंगारी को प्रज्वलित किया, जो कभी भी बुझने नहीं पाई।
आज शहीद दिवस पर, हम सबको यह संकल्प लेना चाहिए कि हम अपने देश की स्वतंत्रता और सम्मान की रक्षा के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। वीर भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के बलिदान को सच्ची श्रद्धांजलि तभी दी जा सकती है जब हम उनके विचारों और आदर्शों को अपने जीवन में आत्मसात करें। उनकी शहादत हमें यह बताती है कि स्वतंत्रता की कीमत कितनी बड़ी होती है और उसके लिए हमें अपनी निस्वार्थ सेवा और समर्पण के साथ काम करना होगा।