डांडा नागराजा
गलती से चोर घंटियां चुरा ले तो अंधा हो जाता है, ऐसा एक घटना में हो चुका है, मंदिर को किसी को रखवाली की नही पड़ती है जरूरत, ऐसा अद्भुत है डाँडा नागराजा का यह मंदिर/
हिन्दू धर्म मे अनेको कोटि के देवस्थल है उनके विराज होने के स्थान के हिसाब से उनके नाम पड़ गये ऐंसे ही ये मंदिर ऊंची पहाड़ी मे होने के कारण डांडा नागराजा हो गया यहाँ डांडा शब्द का अर्थ पहाड है
नाग देवता का यह मंदिर उत्तराखंड के पौड़ी जिले मे आता है
सुंदर पहाड़ी वादियों मे बसा ये मंदिर अपनी अदभुत सक्तियो के लिये जाना जाता है, यहाँ चोर चाह कर भी चोरी नही कर सकता, हज़ारों घंटियों से सजा सह मंदिर उत्तराखंड का सबसे प्रसिद्ध नाग मंदिर है/
उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण जी के इस अद्वितीय अवतार नागराजा की बहुत मान्यता है। पूरे पौड़ी जिले और गढ़वाल क्षेत्र में कृष्ण जी का यह मंदिर आस्था का प्रमुख केंद्र है।
डांडा नागराजा, कोट विकास क्षेत्र के चार गाँव- नौड,रीई, सिल्सू एव लसेरा का प्रसिद्द धाम है जिसका इतिहास 140 साल पुराना है। यहाँ की मान्यता के अनुसार 140 साल पहले लसेरा में गुमाल जाति के पास एक दुधारू गाय थी जो डांडा में स्थित एक पत्थर को हर रोज़ अपने दूध से नहलाती थी, जिसकी वजह से घर के लोगों को उसका दूध नहीं मिल पाता था इसलिए गुस्से में आकर गाय के मालिक ने गाय के ऊपर कुल्हाड़ी से वार किया। जिसका वार गाय को कुछ नहीं कर पाया और सीधा जाकर उस पत्थर पर लगा, जिसकी वजह से वह पत्थर दो भागों में टूट गया और इसका एक भाग आज भी डांडा नागराजा में मौजूद है। इस क्रूर घटना के बाद गुमाल जाती पूरी तरह से समाप्त हो गई।