वाडिया भू विज्ञान संस्थान की रिपोर्ट: क्षमता से अधिक अनियोजित निर्माण बन रहा भू- धसाव और भूस्खलन का कारण

0

देहरादून। बरसात के सीजन में उत्तराखण्ड में बढ़ती भू धसाव और भूस्खलन की घटनाओं ने पहाड़ वासियों की मुसीबतों को बढ़ा दिया है। लोग अपनी जान माल की सुरक्षा को लेकर अत्यंत ही चिंतित है। पड़ोसी राज्य हिमाचल में इस बार भूस्खलन की विनाशलीला देखने को मिली। जिससे पहाड़ी क्षेत्रों में निवास करने वाले लोगों में दहशत का माहोल बना हुआ है। भू विज्ञानिको को हिमालयी राज्यों में लगातार हो रहे भूस्खलन की चिंता ने परेशानी में डाल रखा है। वाडिया भू विज्ञान संस्थान की टीम द्वारा भू- धसाओं और भूस्खलन के मूल कारणो को तलाशने की कोशिश की गई है। जिसका परिणाम यह निकलता दिखाई दे रहा है कि पहाड़ पर हो रहा अनियोजित विकास पहाड़ी क्षेत्रों के विनाश का अहम कारण बनता जा रहा है।
वाडिया भूविज्ञान संस्थान के निदेशक द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार संस्थान की टीम द्वारा उत्तराखण्ड के उन प्रभावित शहरों और क्षेत्रों में सर्वे किया गया है जहां अधिक भू धसाव व भूस्खलन की घटनाएं सामने आई हैं। उन्होंने बताया है कि हमने मसूरी, नैनीताल, भागीरथी व गोरी गंगा बेसिन क्षेत्र का स्टडी कार्य पूरा कर लिया है तथा इसकी एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर शीघ्र ही सरकार को सौंपी जाएगी। सरकार इस रिपोर्ट के आधार पर यह तय करेगी कि किस शहर की वहन क्षमता क्या है? तथा कौन सा शहर रहने लायक है और कौन सा नहीं है। किस क्षेत्र की अधिकतम आबादी क्या होनी चाहिए तथा किस शहर में कितनी अधिकतम ऊंचाई के भवनो का निर्माण होना चाहिए।
उनका कहना है कि राज्य सरकार सिटी प्लानर्स के साथ इस मुद्दे पर चर्चा के बाद शहरी विकास की नीतियों का निर्धारण कर सकती है। उनका मानना है कि वहन क्षमता से अधिक आबादी व भवनों का निर्माण, वृक्षों और पहाड़ों का अंधाधुंध कटान इस समस्या का मूल कारण है जो आज पहाड़ के विनाश का कारण बनता जा रहा है। हमें किसी भी स्थान, मिटृी और उनकी प्रवृत्ति के आधार पर ही विकास का ढांचा तैयार करना होगा। तभी इस विनाश से बचा जा सकता है। उत्तराखंड में जोशीमठ ही नहीं चमोली, टिहरी और नैनीताल तथा उत्तरकाशी और रुद्रप्रयाग के कई क्षेत्र व सैकड़ो गांवों पर भू धसाव व भू स्खलन का खतरा बना हुआ है। जिनका विस्थापन किया जाना अनिवार्य हो चुका है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed

Share