योग प्रसार को संस्कृत विवि की नई पहल
Soulofindia
विभिन्न स्थानों पर 50 दिन में 50 योग सत्र आयोजित होंगे
हरिद्वार, 2 मई।
उत्तराखंड संस्कृत यूनिवर्सिटी अगले 50 दिन तक योग को लेकर विशेष अभियान चलाएगी। इस अभियान को ‘50 दिन 50 योग सत्र‘ का नाम दिया गया है। कुलपति प्रो. दिनेश चंद्र शास्त्री ने कहा कि यूनिवर्सिटी हरिद्वार और निकटस्थ क्षेत्रों में हजारों लोगों को सक्रिय तौर पर योग के साथ जोड़ेगी। इस अभियान का समापन अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर 21 जून को होगा।
उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के योग विज्ञान विभाग ने जन सामान्य को योग के साथ जोड़ने के लिए अनूठी शुरूआत की है। ‘50 दिन 50 योग सत्र‘ का पहला सत्र विश्वविद्यालय परिसर में संपन्न हुआ। इस अभियान पर कुलपति प्रो. दिनेश चंद्र शास्त्री ने कहा कि आगामी पचास दिनों में हजारों युवाओं, ग्रामीणों, महिलाओं तक योग को पहुंचाने का संकल्प लिया गया है। इससे उनके जीवन में मन और शरीर, दोनों के स्तर पर संतुलन की अनुभूति होगी। इस अभियान के माध्यम से बताया जाएगा कि योग केवल शारीरिक आसनों का ही नाम नहीं है, बल्कि यह जीवन के समग्र प्रबंधन की विद्या है। इसका समापन 21 जून 2023 को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर एक बड़े योगाभ्यास कार्यक्रम के रूप में होगा, जिसमें विश्वविद्यालय परिसर के अलावा हरिद्वार जनपद एवं निकटस्थ क्षेत्रों के सभी लोगों को योग के लिए आमांत्रित किया जाएगा।
योग विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष और मानविकी संकाय के डीन डॉ. कामाख्या कुमार ने बताया कि विभाग के छात्र-छात्राएं, शोधार्थी एवं शिक्षक आगामी 20 जून तक हरिद्वार एवं आसपास के क्षेत्रों के
स्कूल-कॉलेजों, हॉस्पिटलों, हेल्थ क्लबों, सामुदायिक केंद्रों, गंगा घाटों, आश्रम-मंदिरों में योगाभ्यास के माध्यम से स्वस्थ रहने के तौर-तरीके सिखाएंगे। इस वक्त विभाग के पास सौ से अधिक छात्र, शोधार्थी एवं शिक्षक-प्रशिक्षक उपलब्ध हैं जो इस अभियान को गति देंगे।
योग विभाग के शिक्षक और जाने-माने योगाचार्य डाॅ. लक्ष्मी नारायण जोशी ने कहा कि भारत सरकार के प्रयास के बाद योग के प्रति लोगों में जागरूकता तो बढ़ी है, लेकिन वे अभी सही प्रकार से प्रशिक्षित नहीं हैं। इसी कमी को पूरा करने के लिए विभाग ने इस अभियान की शुरूआत की है। उत्तराखंड में इतने व्यापक स्तर पर चलने वाला यह पहला अभियान है। इसकी सबसे बड़ी खूबी यह है कि विश्वविद्यालय के प्रशिक्षक सीधे लोगों तक पहुंच रहे हैं और उन्हें निशुल्क तौर पर प्रशिक्षित करने को तैयार हैं। डाॅ. जोशी ने कहा कि यदि कोई संस्था इस अभियान का हिस्सा बनना चाहती है अथवा अपने यहां योग सत्र आयोजित करना चाहती है तो वे योग विज्ञान विभाग में संपर्क कर सकते हैं।