न्यूज़ पोर्टल की आड़ में ब्लैकमेलिंग, उगाही, तब जेल की हवा खायी!

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सौल ऑफ इंडिया
देहरादून/ सोशल मीडिया माध्यम जहाँ एक ओर त्वरित सूचना माध्यम बना है वहीं यह कई लोगों के लिए अच्छी कमाई का माध्यम भी बनता दिखा है, आपकी कला जरूर इस माध्यम से निखर सकती है, परंतु पत्रकारिता के लिए आपके द्वारा बनाये न्यूज़ पोर्टल से किसी को ब्लैक मेलिंग पर आपकी दुकान बिखर सकती है/ ये सही कि सोशल मीडिया किसी के लिए दुकान ही है और वो भी कई बहुमंजिल/
बहुत आसानी से किसी भी नामी मीडिया हाउस के मिलते जुलते नाम से डोमेन हासिल कर न्यूज़ site/ पोर्टल बनाई जा रहे हैं, लोगों को असली नकली को लेकर भ्रम में हैं, बड़े नाम के दबाव में लोग आ जाते हैं, कई बार असली नकली को लेकर भी तू तड़ाक सामने आई, पर कहते हैं न जो दिखता है वही बिकता है, पर अगर बिकना है तो वो पत्रकारिता नहीं, किसी को ठगना है, ठग रहे हैं, तो वो पत्रकार नहीं, कई कथित पत्रकार कई अवैध मांग में जेल जा चुके हैं,
इस छोटे से प्रदेश उत्तराखंड में पत्रकारिता का एक नया काकस तैयार हो रहा है यह वह है जिसका कभी पत्रकारिता से दूर-दूर तक का नाता नहीं रहा/ बस महज रोजगार मानते हुए इन कथित पत्रकारों ने मीडिया के माध्यम से रंगदारी और ब्लैक मेलिंग के कारोबार में हाथ डाल दिया है। बोलने और बातों में बांधने मतलब एक तरह से वॉक पटुता का गुण होना चाहिए बस/ एक बार किसी को फांस लेने के बाद इनके हौन्सले बुलन्द हो जाते हैं, पर कई बारे ऐसे धन लोभी फर्जी पत्रकारों को लेने के देने भी पड़ जाते हैं। जेल उनका मुकाम होती है/
ग्रीष्म कालीन राजधानी के थाना पटेल नगर क्षेत्र में कथित पत्रकारों की एक ऐसी ही “टोली” पकड़ी गई है जिनका पत्रकारिता से दूर-दूर तक कोई लेना देना नहीं है, पुलिस ने एक महिला पत्रकार समेत 4 लोगों के खिलाफ (IPC 147/323/384 के तहत) मुकदमा दर्ज किया है/ पुलिस के अनुसार ये लोग एक कॉल सेंटर मालिक को मीडिया की हेकड़ी दिखाने के उसके पास पहुंचे थे, जाल फंसता देख बढ़कर 50 लाख रुपए की डिमांड कर बैठे। मामला पांच लाख में सेटल हुआ लेकिन इसी दौरान कॉल सेंटर संचालक ने पटेल नगर पुलिस को पूरे मामले की जानकारी दी। पुलिस ने पूरे मामले की जांच पड़ताल शुरू की जिसमें चार फर्जी पत्रकारों के साथ एक महिला भी नामजद की गई है जबकि एक अन्य कथित महिला पत्रकार फरार है।
इन कथित पत्रकारों की बेहूदा करनी से वास्तविक पत्रकारिता का दर्पण भी धुंधला हो रहा है/ ऐसे लोगों के कारण ईमानदारी एवं नैतिक मूल्यों के साथ कार्य करने वाले पत्रकारों की छवि पर भी विपरीत प्रभाव पड़ रहा है/

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