सुब्रमण्यम स्वामी सुप्रीम कोर्ट में आना चाहते हैं तो उनका स्वागत है, विस अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी की स्वामी को दो टूक

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सोल ऑफ इंडिया

देहरादून। विधानसभा में बैकडोर भर्ती मामले को लेकर कांग्रेस लगातार सरकार पर हमला बोल रही है। वहीं जिसके बाद भाजपा के बड़े नेता बीच बचाव करते दिख रहे हैं। वहीं मामले में सुब्रमण्यम स्वामी के हस्तक्षेप के बाद उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने दो टूक कहा है कि यदि वह बहुत बड़े वकील हैं तो सुप्रीम कोर्ट में उनका स्वागत है। विधानसभा में बैक डोर भर्ती मामले में विधानसभा अध्यक्ष द्वारा कड़ा फैसला करते हुए बर्खास्त किए गए 228 कर्मचारियों को लेकर के लगातार राजनीति जारी है। भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने इस मामले में रुचि दिखाते हुए विधानसभा से बर्खास्त किए गए कर्मचारियों की तरफ से लड़ने की घोषणा की है। उन्होंने इस मामले पर देश के सर्वोच्च न्यायालय में जाने की भी घोषणा की है। वहीं सुब्रमण्यम स्वामी के बर्खास्त कर्मचारियों की तरफ से आने पर विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने अपन प्रतिक्रिया दी है।
उन्होंने दो टूक जवाब दिया कि यदि वह बहुत बड़े वकील हैं तो सुप्रीम कोर्ट में उनका स्वागत है, वह उन्हें शुभकामनाएं देती हैं। ऋतु खंडूड़ी का कहना है कि मामला सबज्यूडिस है और पहले भी इसको लेकर के कुछ लोग सुप्रीम कोर्ट गए थे। अगर सुब्रमण्यम स्वामी मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आना चाहते हैं तो उनका स्वागत है। हालांकि विधानसभा अध्यक्ष ने यह भी बताया कि इस मामले में पहले भी कुछ लोगों को न्यायालय से निराशा मिल चुकी है।
विधानसभा भर्ती मामले में बर्खास्त किए गए कर्मचारियों को लेकर की जा रही राजनीति को लेकर भी ऋतु खंडूड़ी ने कड़े शब्दों में अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि हमें आज केवल राजनीतिक नफे नुकसान को ध्यान में रखकर नहीं बल्कि अपने प्रदेश के युवाओं के भविष्य को देखते हुए अपनी राजनीति को आगे बढ़ाना चाहिए। कांग्रेस के कुछ नेताओं द्वारा विधानसभा भर्ती मामले में बर्खास्त किए गए कर्मचारियों की तरफदारी की गई। कहा कि यह राजनीति का ही घिनौना चेहरा है, कभी इस तरफ से कहा जाता है, कभी उस तरफ से कहा जाता है। कांग्रेस नेता हरीश रावत के नेतृत्व में कांग्रेस ने भी बर्खास्त किए गए 228 लोगों की तरफ से पक्ष रखा था। जिसके बारे में बताते हुए कहा कि कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल को भी यही जवाब दिया कि उन्हें इन 228 कर्मचारियों से कोई दुश्मनी नहीं है। बल्कि सवाल उत्तराखंड के 8 लाख युवा बेरोजगारों का है। सवाल सही और गलत का है और नियम और कानून के पालन का है।

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