प्रौद्योगिकी से शैक्षिक ज्ञान तो मिल सकता है लेकिन व्यहवहारिक ज्ञान नही : सुरेश सोनी

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-प्लैनेटस्कूल स्टूडियो का लोकापर्ण

हरिद्वार।
भारतीय शिक्षा समिति द्वारा आयोजित पृथ्वीकुल कॉन्क्लेव प्रौद्योगिकी एवं आध्यात्मिकता द्वारा सशक्तिकरण शिक्षा पर व्यख्यान तथा प्लैनेटस्कूल स्टूडियों के लोकापर्ण का शुभारंभ सरस्वती विद्या मंदिर मायापुर हरिद्वार में हुआ।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सह सरकार्यवाह सुरेश सोनी ने कहा कि आध्यत्मिकता वेद,पुराण,शास्त्र ही नही बल्कि जीवन शैली है, जिसे जीया जाता है। शिक्षा के क्षेत्र में जितना प्रौद्योगिकी का महत्व है उससे कहीं ज्यादा आध्यत्मिकता का महत्व है। प्रौद्योगिकी से शैक्षिक ज्ञान तो मिल सकता है लेकिन व्यहवहारिक ज्ञान नही। आध्यत्मिक ज्ञान ही संस्कार मूल भूत प्राकृतिक परिवर्तन लाता है। उन्होंने कहा की टेक्नोलॉजी आपको कनेक्ट कर देगी लेकिन आत्मीयता का सम्बंध नही बना सकती। शिक्षा में आध्यत्मिकता प्रेम बढ़ाती है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि नवाचार मनुष्य का स्वभाव है। नवाचार राष्ट्रीय निर्माण बच्चो को सीखने के लिए हो,
भारतीय मंत्र वसुधैव कुटुंबम के आधार पर विश्व की संस्कृति को एक दिशा देनी है। शिक्षा में यदि आध्यात्मिकता नही है तो जानकारी तो होगी लेकिन ज्ञान नही होगा। उन्होंने बताया कि पतंजलि द्वारा 20 हजार पौधों की गुणवत्ता को सँस्कृत श्लोकों में लिपिबद्ध किया जा रहा है। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में भारतीय शिक्षा समिति के राष्ट्रीय मंत्री शिव कुमार मंचासीन रहे। कार्य्रकम का संचालन अभिषेक जी ने किया।
अतिथियों का परिचय विघा भारती के प्रान्त निरीक्षक डॉ. विजयपाल तथा स्वागत भारतीय शिक्षा समिति के प्रांत मंत्री डॉ रजनीकांत शुक्ला व सरस्वती विघमन्दिर के प्रबंधक जयपाल जी ने स्मृति चिन्ह भेंट कर किया। पृथ्वीकुल कॉन्क्लेव की विषय जानकारी राष्ट्रीय सयोंजक सुनीत जी ने दी। इस मौके पर आरएसएस के क्षेत्र प्रचारक महेंद्र जी, क्षेत्र प्रचार प्रमुख पदम् जी, विघा भारती के प्रांत संगठन मंत्री भुवन चंद विभाग प्रचारक चिरंजीवीं जी, पतंजलि आयुवेदिक विवि के प्रति कुलप्रति प्रो.महावीर अग्रवाल,सँस्कृत विवि के कुलप्रति प्रो.दिनेश चंद्र शास्त्री, गुरुकुल कांगड़ी विवि के कुलप्रति प्रो.सोमदेव शतांश,
ईश्वर भारद्वाज,
सहित विभिन्न शिक्षण संस्थानो से जुड़े प्रतिनिधि, शिक्षाविद, शिक्षक आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे।

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