बेस चिकित्सालय में अव्यवस्थाओं का बोलबाला, चरम पर हैं लापरवाही
कोटद्वार (गौरव गोदियाल): लोगों की मानें तो बेस चिकित्सालय में हीलाहवाली व लापरवही की सीमा क्रास हो चुकी है। चिकित्सक अपने आराम को छोड़ जल्दी गंभीर रोगियों पर मेहनत तक करना नहीं चाहते। गंभीर रोगी तड़पते रहते हैं और यहां के चिकित्सक गपसड़ाके में मशगूल देखे जा सकते हैं। इससे बुरा हाल तो यहां के जांच विभाग का है । अगर आपकी बेस चिकित्सालय में कोई सोर्स नहीं है तो इलाज यहां हो ही नहीं सकता, सीधे रेफर। सबसे बड़ी शिकायत तो यहां यह है कि यहां का सीएमएस बेअंदाज है न फोन उठाते है और न ही सुनवाई करते है। चाहे मामला मीडिया पर्सन का ही क्यूं न हो। सूत्रों की मानें तो इसके अलावा यहां से नर्सिंग होम में भी लोगों को पढ़ा लिखा बेवकूफ बनाकर भेजने का सिस्टम भी पूर्ण डेवलप है। सूत्रों की मानें तो इसमे खासी दलाली दिन भर मे बटोर लेते हैं और दवाओं में तो जमकर लूट यहां पहले से ही हो रही है । शासन के अनुसार डाक्टर प्राथमिकता में अस्पताल की ही दवाइयां देंगे यदि दवाइयां अस्पताल में नहीं है तो जेनरिक दवाइयों को ही लिखा जाएगा किंतु ऐसा होता नहीं है ।
यही नहीं सूत्रों की मानें तो यहां पर जो दो – चार डाक्टर है वह मरीज पर तभी हाथ लगाते हैं जब वह प्राइवेट अस्पताल की तरह पहले पैसे जमा कर लें । शिकायत वह इसलिए नहीं कर पाते कि कहीं डाक्टर साहब गंभीर बोलकर बाहर रेफर ना कर दें । शुक्रवार को शिब्बूनगर निवासी ने बताया कि वह किसी बुजुर्ग को राजकीय बेस चिकित्सालय की इमरजेंसी में ले गए जहां पर मौजूद डॉक्टर ने गंभीर होने के बावजूद भी मरीज को समय पर नहीं देखा व कहा गया कि पहले आप ओपीडी एवं भर्ती की पर्ची बनवा कर लाओ तब तक हम आप के मरीज को देख रहे हैं इसके बाद जब मैं पर्ची बनाकर वापस आया उसके भी आधे घंटे बाद डॉक्टर ने प्राथमिक उपचार शुरू किया और मेरे मरीज को भर्ती कर दिया । घटना लगभग सुबह 11 बजे की है इसके बाद रात्रि 9 बजे तक कोई भी डॉक्टर राउंड पर नहीं आया जब इस संबंध में सीएमएस से बात करनी चाही तो उन्होंने फोन उठाने की जहमत तक नहीं उठाई । इसके बाद सीएमओ पौडी डॉ. प्रवीण कुमार को फोन किया और समस्या से अवगत कराया तो वह बोले कि वहां पर शासन ने सीएमएस बैठा रखा है आप अपनी समस्या उनसे बोलें । बताया कि अब तो स्टाफ भी लगभग पूरा हो गया है इसके बावजूद भी यदि कमियां आ रही है तो फिर हम क्या कर सकते हैं ।