उत्तराखंड : इगास पर्व पर 04 नवम्बर को रहेगा सार्वजनिक अवकाश, आदेश जारी
देहरादून : प्रदेश में बूढ़ी दीवाली यानी इगास पर्व पर सार्वजनिक अवकाश रहेगा। इस बार इगास बग्वाल चार नवंबर को है। इस संबंध में आज मंगलवार को शासन ने अधिसूचना जारी की। उत्तराखंड में बूढ़ी दिवाली यानी ईगास लोकपर्व को लेकर छुट्टी की अधिसूचना जारी हो गई है। बीते दिनों पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की ने इगास पर छुट्टी को लेकर घोषणा की थी। प्रदेश में यह दूसरा मौका होगा जब लोकपर्व ईगास बग्वाल को लेकर अवकाश घोषित किया गया है।
बता दें कि, इस बार इगास बग्वाल 04 नवंबर को है। इस दिन सार्वजनिक अवकाश को लेकर आज मंगलवार को शासन ने अधिसूचना जारी कर दी है। बीते 25 अक्टूबर को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने लोकपर्व ईगास बग्वाल पर राजकीय अवकाश की घोषणा की थी।सीएम पुष्कर सिंह धामी ने पहाड़ी बोली भाषा में ट्वीट कर लिखा था कि “आवा! हम सब्बि मिलके इगास मनोला नई पीढ़ी ते अपणी लोक संस्कृति से जुड़ोला। लोकपर्व ‘इगास’ हमारु लोक संस्कृति कु प्रतीक च। ये पर्व तें और खास बनोण का वास्ता ये दिन हमारा राज्य मा छुट्टी रालि, ताकि हम सब्बि ये त्योहार तै अपणा कुटुंब, गौं मा धूमधाम से मने सको। हमारि नई पीढी भी हमारा पारंपरिक त्यौहारों से जुणि रौ, यु हमारु उद्देश्य च।”
इगास बग्वाल क्या है ?
उत्तराखंड में दिवाली के बाद 11वें दिन यानी एकादशी को लोकपर्व इगास बग्वाल मनाने का रिवाज है। मान्यता है कि, जब मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे, तो लोगों ने घी के दीये जलाकर उनका स्वागत किया था। लेकिन, गढ़वाल क्षेत्र में भगवान राम के लौटने की सूचना दीपावली के ग्यारह दिन बाद कार्तिक शुक्ल एकादशी को मिली थी, इसलिए ग्रामीणों ने खुशी जाहिर करते हुए एकादशी को दीपावली का उत्सव मनाया था।
ईगास बग्वाल क्यों मनाई जाती है?
एक अन्य मान्यता है कि, दिवाली के वक्त गढ़वाल के वीर माधो सिंह भंडारी के नेतृत्व में गढ़वाल की सेना ने दापाघाट और तिब्बत का युद्ध जीतकर विजय प्राप्त की थी और दिवाली के ठीक 11वें दिन गढ़वाल सेना अपने घर पहुंची थी। युद्ध जीतने और सैनिकों के घर पहुंचने की खुशी में उस समय दिवाली मनाई गई थी।