उत्तराखंड में जल्द ही स्वावलम्बी भारत अभियान के तहत हर जिले में जिला रोजगार सृजन केंद्र खोला जाएगा

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डॉ दिव्या नेगी घई

बेरोजगारी किसी भी विकासशील देश की बहुत बड़ी समस्या होती है हम भी रोज इस परेशानी के बारे में खबरों में पढ़ते है और सुनते हैं, हम सभी जानते हैं इस समस्या के बारे में केवल बात करने से इसका हल नहीं निकलने वाला, यदि हम सच में इसका हल निकालना चाहते हैं तो इसके लिए हमें अपने यहां एक अभियान चलाना होगा जब यह अभियान जन जन तक पहुंचेगा और सभी लोगों की इस में भागीदारी होगी तभी हम मिलजुल कर अपने युवाओं के लिए इस समस्या का समाधान ढूंढ पाएंगे। बेरोजगारी बारे में बात तो बहुत सारे संगठन करते हैं लेकिन इस समस्या के समाधान के लिए ठोस कदम उठाना हर किसी के बस की बात नहीं। इस समय हमारी मुख्य समस्याएं हैं भारत को सन 2030 तक का एक लक्ष्य क्या रखना चाहिए और उन लक्ष्यों को प्राप्त करने का मार्ग क्या है? इस पर विचार करना। रोजगार सृजन भारत की सबसे बड़ी आवश्यकता है, तो क्या 2030 तक भारत को पूर्ण रोजगार युक्त देश बनाया जा सकता है? क्या भारत की आर्थिक संपन्नता का मापदंड, 2030 तक 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था हो सकता है? जो अभी लगभग 3 ट्रिलियन डॉलर है।

स्वदेशी जागरण मंच ने इस प्रकार के विषयों पर अपने प्रारंभिक काल से ही चिंतन मंथन किया है । वास्तव में तो 30 वर्षों के विभिन्न स्वदेशी अभियान, आंदोलन, जन जागरण के कार्यक्रम हो या रचनात्मक कार्यक्रम इन सब का अंतिम उद्देश्य राष्ट्र को आर्थिक स्वावलंबन के मार्ग पर आगे बढ़ाना ही है। राष्ट्र और स्वदेशी आंदोलन ठीक गति से बढ़ रहा था लेकिन तभी कोरोना महामारी ने विश्व और भारत में दस्तक दी उसके कारण अर्थव्यवस्था और रोजगार का बड़ा नुकसान हुआ। जहां जीडीपी में ऐतिहासिक गिरावट आई वही करोड़ों लोगों का रोजगार भी बुरी तरह प्रभावित हुआ इन परिस्थितियों में स्वदेशी जागरण मंच ने देश को इस संकट से उबारने के लिए अनेक स्तरों पर चर्चा की और अंततः सितंबर 2021 में स्वदेशी शोध संस्थान द्वारा ’अर्थ- चिंतन 2021’ गोष्ठी का आयोजन हुआ इस गोष्ठी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह श्री मुकुंद जी, केंद्रीय मंत्री श्री नितिन गडकरी, श्री भूपेंद्र यादव, नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ राजीव कुमार, नाबार्ड के चेयरमैन डॉ जी. आर. चिंताला, मणिपाल ग्लोबल फाउंडेशन के चेयरमैन डॉ टी. वी. मोहनदास पाई, अमूल के सीएमडी श्री रूपेंद्र सिंह सोडी, प्रसिद्ध अर्थशास्त्री प्रो नागेश्वर राव व प्रोफेसर आशिमा गोयल, सॉफ्टवेयर कंपनी जोहो के श्रीधर वैंबू, कनेरी मठ के स्वामी जी, पतंजलि आयुर्वेद के आचार्य बालकृष्ण, जागरण मंच के प्रोफेसर भगवती प्रकाश, सुंदरम जी, डॉ अश्विनी महाजन आदि ने सहभाग किया।

इस गोष्ठी में संपूर्ण चिंतन मनन अर्थ व रोजगार सृजन पर केंद्रित था। इसमें यह निर्णय हुआ कि भारत को पूर्ण रोजगार युक्त करने के लिए और अपने अन्य आर्थिक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए एक व्यापक योजना व अभियान चलाना चाहिए। रोजगार सृजन के रूप में बहुत बड़ी चुनौती समाज के सामने है, सरकार तो अपना प्रयत्न करता ही हैं किंतु आर्थिक, सामाजिक व शैक्षिक संगठनों का भी स्वाभाविक कर्तव्य है कि अपनी छोटे-बड़े प्रयत्न प्रारंभ करें। इसलिए स्वावलम्बी भारत अभियान के अंतर्गत यह प्रयत्न प्रारंभ हुआ और यह तय हुआ कि हर जिले में एक जिला रोजगार सृजन केंद्र का निर्माण किया जाएगा। साथ ही समाज की विशेषकर युवाओं की मानसिकता परिवर्तन हेतु एक बड़ा जन जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा।

उत्तराखंड में स्वावलम्बी भारत अभियान के तहत 2 रोजगार सृजन केंद्र खुल चुके हैं जिसमें एक देहरादून में है और दूसरा हरिद्वार में। यह रोजगार सृजन केंद्र स्वावलम्बी भारत अभियान के तहत वन स्टॉप सॉल्यूशन के अंतर्गत बनाया गया है जहां पर कुछ लोग फुल टाईम अपनी सेवा उपलब्ध कराएंगे। इस प्रांत की टोली के मार्गदर्शन में सृजन केंद्र में विभिन्न सेवा उपलब्ध कराया गया है जिसमें मुख्य रूप से सरकार की योजनाओं का किस तरह से लाभ लिया जाए इस बारे में केंद्र में उपस्थित लोग आम जनों को विस्तारपूर्वक बताएंगे। इस केंद्र में उपस्थित टीम उद्योग के प्रोजेक्ट रिपोर्ट भी बनाएंगे एवं आवश्यकता अनुसार शोध करेंगे। अगर किसी को उद्यम के लिए पूंजी जुटानी है तो उसके लिए भी टीम जानकारी पता कर उन उद्यमियों को पूंजी जुटाने में मदद करेंगे एवं लोन की आवश्यकता होने पर उद्यमियों पुर्ण जानकारी दी जाएगी। यह टीम उद्यमियों के लिए आवश्यकता अनुसार संसाधन जुटाने में भी मदद करेंगी एवं उत्पादित वस्तुओं का मार्केटिंग भी इन्हीं के जिमेदारियों में दिया गया है। उत्तराखंड में अंतर्गत जल्द ही हर जिले में जिला रोजगार सृजन केंद्र खोला जाएगा।
इस स्वावलंबन भारत अभियान के तहत डिजिटल वॉलिंटियर्स को भी जोड़ा जा रहा है।

डॉ दिव्या नेगी घई पेशे से एक शिक्षाविद, लेखिका और युवा सामाज कार्यकर्ता हैं

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