रामकथा: भाग्य का लिखा कोई नहीं बदल सकता है

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हरिद्वार। स्वामी आलोक गिरी महाराज ने कहा महाराज ने कहा कि कलिकाल में भगवान राम नाम का सुमिरन मुक्ति का आधार है। इसलिए लोगों को सदैव रामनाम का जाप करते रहना चाहिए। उन्होंने कहा राम नाप जपकर ही अनेक ऋषि मुनियों ने सिद्धियां प्राप्त की। गोस्वामी तुलसीदास ने भी रामचरित मानस में राम से बड़ा राम के नाम को बताया है।

संगीतमय श्रीरामचरित मानस कथा के अष्टम दिवस कथा व्यास हरिदास महाराज ने रामकथा का वर्णन करते हुए कहा कि भाग्य का लिखा कोई नहीं बदल सकता है, स्वयं भगवान भी नहीं। इसके चलते अयोध्या के राजा राम जंगल के फकीर बन गये। राम का राज्याभिषेक होना था लेकिन उन्हें वन गमन करना पड़ा। इसका सीधा अर्थ है कि मनुष्य जीवन में भगवान को भी जीवन की प्रतिकुलता भोगना पड़ता है। ऐसे में हमें विपरित परिस्थितियों में घबराना नहीं है। सत्य और धर्म को नहीं छोड़ना नहीं है। राम और कृष्ण की भांति अपने कर्तव्यों का निर्वाहन करना है। उन्होंने कहा सत्य के समान कोई दूसरा धर्म नहीं। राम कथा में कथा व्यास हरिदास महाराज ने भरत मिलाप का भी मार्मिक चित्रण किया। भगवान राम और भरत के मिलाप को सुनकर श्रोता भावविभोर हो गये। उनके नेत्रों से अश्रु धारा फूट पड़ी। हरिदास महाराज ने कहा कि भरत का बड़े भाई के प्रति प्रेम संसार के लिए उदाहरण है। संसार को राजा भरत से सीख लेनी चाहिए। महंत केदार गिरी महाराज, पुजारी मनकामेश्वर गिरी, शंकर गिरी मुख्य यजमान सतपाल मलिक, स्वाति मलिक, महेन्द्र सिंह, सतबीर कौर, मुनेश देवी, राहुल शर्मा, काली प्रसाद साह, विष्णु देव ठेकेदार , रमेश रावत, पं विनय मिश्रा, पं सोहन ढोण्ढियाल सहित अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे।

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